बर्खास्तगी केवल लंबित आपराधिक मामले के आधार पर हुई हो तो कर्मचारी को बरी होने के बाद बहाल किया जाना चाहिए: राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2025-11-15 05:28 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी कर्मचारी की बर्खास्तगी का मूल आधार उसके विरुद्ध लंबित आपराधिक मामला है। उस आपराधिक मामले के परिणामस्वरूप सक्षम आपराधिक न्यायालय द्वारा कर्मचारी को बरी कर दिया जाता है तो ऐसी बर्खास्तगी का आधार समाप्त हो जाता है और नियोक्ता को कर्मचारी को बहाल करना होगा।

जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने श्रम न्यायालय और सिंगल जज की पीठ के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें उस कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाया गया था, जिसे एक लंबित आपराधिक मामले के कारण बर्खास्त कर दिया गया और बरी होने के बाद भी उसे बहाल करने से इनकार कर दिया गया।

प्रतिवादी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत एक बहुउद्देशीय कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत थी, जब उसके विरुद्ध किसी पारिवारिक विवाद के कारण FIR दर्ज की गई। FIR के संबंध में वह कुछ समय तक न्यायिक हिरासत में रही और जमानत पर रिहा होने के बाद, वह अपनी ड्यूटी पर वापस लौटना चाहती थी।

हालांकि, उसे फिर से काम पर लौटने की अनुमति नहीं दी गई और बाद में उसकी सेवाएं इस आधार पर समाप्त कर दी गईं कि वह आपराधिक मामले के संबंध में न्यायिक हिरासत में थी। इस बर्खास्तगी को उसने एक औद्योगिक विवाद दायर करके चुनौती दी और जब यह कार्यवाही लंबित थी, तब उसे आपराधिक मामले में बरी कर दिया गया।

तदनुसार, श्रम न्यायालय ने उसकी बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया और उसे बहाल करने का निर्देश दिया, जिसे राज्य ने एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी, लेकिन असफल रहा। इसलिए खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील दायर की गई।

राज्य का तर्क था कि किसी आपराधिक मामले में केवल बरी होने से कर्मचारी को स्वतः ही बहाली का कोई अधिकार नहीं मिल जाता या वह सेवा लाभों की हकदार नहीं हो जाती, जब तक कि बर्खास्तगी आदेश को कानून द्वारा विकृत या असमर्थित न पाया जाए।

इस तर्क को न्यायालय ने खारिज कर दिया, जो श्रम न्यायालय और सिंगल जज के निष्कर्षों से सहमत था और उसने यह राय दी कि चूंकि बर्खास्तगी आदेश आपराधिक मामले के लंबित रहने पर आधारित था, ऐसे मामले में कर्मचारी के बरी होने के साथ ही बर्खास्तगी आदेश का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।

तदनुसार, विशेष अपील खारिज कर दी गई और राज्य को प्रतिवादी को बहाल करने का निर्देश दिया गया।

Title: the State of Rajasthan & Anr. v Smt. Manju Berwa & Anr.

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