बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में बहू के खिलाफ पिता की विरोध याचिका उसकी अनुकंपा नियुक्ति से इनकार करने का आधार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
मृतक सरकारी कर्मचारी के पिता द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि मृतक की पत्नी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में नकारात्मक पुलिस रिपोर्ट के खिलाफ विरोध याचिका का लंबित होना उसकी अनुकंपा नियुक्ति से इनकार करने का पर्याप्त आधार नहीं है।
जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पहली याचिका मृतक सरकारी कर्मचारी के पिता द्वारा दायर की गई, जिसमें उनके बेटे की मृत्यु के बाद उनकी बहू को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित करने की मांग की गई, जो सरकारी शिक्षक के रूप में कार्यरत थे।
पिता का मामला था कि उसके बेटे को उसकी बहू ने आत्महत्या के लिए उकसाया था, जिसके संबंध में उसने एक मामला भी दर्ज कराया। इसमें पुलिस ने निगेटिव फाइनल रिपोर्ट पेश की। उसके द्वारा निगेटिव फाइनल रिपोर्ट के खिलाफ विरोध याचिका दायर की गई, जो लंबित थी। इसलिए आपराधिक जांच लंबित होने के कारण यह प्रस्तुत किया गया कि बहू अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं थी।
दूसरी याचिका मृतक की पत्नी द्वारा अनुकंपा नियुक्ति की मांग करते हुए दायर की गई, क्योंकि उसके ससुर द्वारा दर्ज मामले में पुलिस द्वारा पहले ही निगेटिव फाइनल रिपोर्ट दायर की जा चुकी थी, जिसमें आरोप झूठे और केवल संदेह पर आधारित पाए गए।
न्यायालय ने पत्नी के वकील द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों के साथ तालमेल बिठाया और माना कि ससुर के कहने पर विरोध याचिका का लंबित होना अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने में बाधा के रूप में कार्य नहीं करता है।
न्यायालय ने नर्बदा बनाम राजस्थान राज्य और अन्य के मामले का भी उल्लेख किया, जिसमें राजस्थान हाईकोर्ट की समन्वय पीठ समान तथ्य परिदृश्य से निपट रही थी और उसी निर्णय पर पहुंची थी।
मृतक के पिता द्वारा दायर याचिका खारिज की और न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया कि मृतक की पत्नी द्वारा आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उसे अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
केस टाइटल: लाल सिंह बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य।