सामाजिक बहिष्कार और खाप पंचायतों पर राजस्थान हाईकोर्ट का सख्त, विशेष आयोग का गठन

Update: 2025-03-22 16:30 GMT
सामाजिक बहिष्कार और खाप पंचायतों पर राजस्थान हाईकोर्ट का सख्त, विशेष आयोग का गठन

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य में प्रचलित सामाजिक बहिष्कार, खाप पंचायतों द्वारा लगाए जाने वाले अवैध दंड, ऑनर किलिंग और अन्य सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध सख्त कदम उठाने का आदेश दिया है। जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ में विभिन्न आपराधिक याचिकाओं की सुनवाई के दौरान समाज में व्याप्त गंभीर समस्याओं पर गहन मंथन किया गया।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि राजस्थान के विभिन्न जिलों जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, जालौर और पाली में खाप पंचायतें अब भी सामाजिक बहिष्कार और आर्थिक दंड जैसे अवैध फैसले सुना रही हैं। अदालत ने पाया कि प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों और उनके परिवारों को समाज से बहिष्कृत किया जा रहा है।

जस्टिस अली की पीठ ने आदेश में कहा कि यह मुद्दा केवल व्यक्तिगत अधिकारों का नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त एक गहरी समस्या है। इसे रोकने के लिए न्यायालय ने एक विशेष आयोग गठित करने का निर्णय लिया।

सामाजिक बुराइयों पर अदालत की चिंता

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में बताया कि भारतीय समाज में कई सुधारकों—राजा राम मोहन राय, ज्योतिराव फुले, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद और डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष किया था, लेकिन आज भी कई कुरीतियां बनी हुई हैं।

अदालत ने विशेष रूप से निम्नलिखित सामाजिक समस्याओं पर चिंता जताई-

1. सामाजिक बहिष्कार - प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों और उनके परिवारों को समुदाय से अलग-थलग कर दिया जाता है, जिससे वे आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रभावित होते हैं।

2. खाप पंचायतों का गैरकानूनी हस्तक्षेप - ये पंचायतें विवाह और सामाजिक जीवन को नियंत्रित करने के लिए अवैध दंड लगाती हैं।

3. जातिगत भेदभाव - अंतरजातीय विवाह करने वालों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जिसमें हत्या तक की घटनाएं शामिल हैं।

4. ऑनर किलिंग - परिवार की झूठी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए विवाहिता या उसके पति की हत्या कर दी जाती है।

5. भूत-प्रेत साधना एवं डायन प्रथा - महिलाओं को अंधविश्वास के आधार पर प्रताडि़त किया जाता है।

6. नाटा प्रथा - इस सामाजिक प्रथा के कारण कई बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है।

विशेष आयोग की नियुक्ति

अदालत ने इन सामाजिक बुराइयों की जमीनी हकीकत जानने के लिए एक पाँच सदस्यीय आयोग नियुक्त किया, जिसमें चार वकील और एक समाजसेवी शामिल हैं। इनका कार्य राजस्थान के विभिन्न जिलों में जाकर वास्तविक स्थिति की जांच करना है। यह आयोग संबंधित पुलिस अधीक्षकों के सहयोग से काम करेगा और अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट न्यायालय को सौंपेगा।

आयोग के सदस्य रामावतार सिंह चौधरी, भगीरथ राय बिश्नोई, शोभा प्रभाकर, देवकीनंदन व्यास और महावीर कांकडिय़ा (समाजसेवी) होंगे। आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद, इस मामले पर अगली सुनवाई 14 मई 2025 को होगी।

केस टाइटल - भाकाराम बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य

रजाक खान हैदर @ लाइव लॉ नेटवर्क

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