पंजाब में सार्वजनिक समारोहों में बड़े पैमाने पर हो रहा फायर आर्म्स का इस्तेमाल, प्रतिबंध के बावजूद कोई बदलाव नहीं: हाईकोर्ट ने डीजीपी से मांगा जवाब

Update: 2024-04-18 09:33 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब में सार्वजनिक समारोहों में फायर आर्म्स के व्यापक उपयोग और अपराध करने के लिए लाइसेंस प्राप्त बंदूकों के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि प्रतिबंध के बावजूद "कोई विजिबल चेंज नहीं हुआ है"।

पंजाब सरकार ने 2022 में सार्वजनिक स्थानों और सोशल मीडिया पर फायर आर्म्स के उपयोग और प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया था और तदनुसार अधिकारियों को अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया था।

जस्टिस हरकेश मनुजा ने कहा, "उस (प्रतिबंध) के बावजूद जमीन पर कोई बदलाव नहीं दिख रहा है और जहां एक ओर शादियों और सार्वजनिक समारोहों में फायर आर्म्स का उपयोग व्यापक है, वहीं दूसरी ओर, लाइसेंस प्राप्त फायर आर्म्स का उपयोग अपराध करने के लिए भी किया जा रहा है।"

जज ने आगे कहा कि, "ऐसा प्रतीत होता है कि पंजाब में न तो हथ‌ियारों के लाइसेंस के आवंटन के नियमों और विनियमों को सख्ती से लागू किया जा रहा है और न ही इस न्यायालय द्वारा जारी किए गए उपरोक्त निर्देशों को अक्षरश: लागू किया जा रहा है।"

उपरोक्त के आलोक में, न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को अगली तारीख से पहले निम्नलि‌खित आशय का अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया,

i) क्या पंजाब में आर्म्ड लाइसेंस देने के बारे में शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत कोई प्रोटोकॉल, दिशानिर्देश या मानदंड है।

ii) पिछले 5 वर्षों में पंजाब में कितने आर्म्ड लाइसेंस जारी किए गए हैं, साथ ही यह भी बताना होगा कि वे किस मद के तहत जारी किए गए थे।

iii) सार्वजनिक समारोहों में फायर आर्म्स के प्रदर्शन की जांच के लिए 13.11.2022 से प्रत्येक जिले में कितने औचक दौरे किए गए हैं?

iv) यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं कि शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 13(2) के तहत आवश्यक निकटतम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी की रिपोर्ट में हेरफेर नहीं किया जा रहा है?

v) 13.11.2012 के निर्देशों के अनुसरण में तैयार की गई कोई भी स्थिति/अनुपालन रिपोर्ट भी रिकॉर्ड में रखी जाएगी।

मामला

गुरभेज सिंह की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दरमियान, कोर्ट ने ये निर्दिश जार किए। गुरभेज सिंह पर आईपीसी की धारा 307, 506, 188 और शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25 और 27 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

यह आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता के एक साथी, प्रभजोत सिंह ने अपने हाथ में पिस्तौल लेकर शिकायतकर्ता पर गोली चलाई, जो उसकी दाहिनी और बाईं जांघों पर लगी और एक गोली उसके बाएं हाथ की मध्य उंगली पर लगी और जब गुरविदर सिंह नामक व्यक्ति उसे बचाने के लिए आगे आया तो करमजीत सिंह ने प्रभजोत सिंह से पिस्तौल ले ली और गुरविदर सिंह पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं, जो उसकी दाहिनी जांघ पर लगी।

प्रस्तुतियां सुनने के बाद, न्यायालय ने कहा कि "दैनिक आधार पर, इस न्यायालय द्वारा कई मामलों का निपटारा किया जा रहा है, जिसमें व्यक्ति खुले तौर पर फायर आर्म्स ले जा रहे हैं और दूसरों को चोट पहुंचा रहे हैं।" न्यायालय ने रीत मोहिंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य'', [2019(5) आरसीआर (सिविल) 580] का उल्लेख किया, जिसमें हाईकोर्ट ने निर्देश दिया:

"पंजाब, हरयाणा और चंडीगढ़ यूटी में कोई भी व्यक्ति किसी मेले, धार्मिक जुलूस/विवाह या अन्य सार्वजनिक सभा में या किसी शैक्षणिक संस्थान के परिसर या परिसर के भीतर कोई फायर आर्म्स नहीं ले जाएगा।"

जस्टिस मनुजा ने पंजाब सरकार द्वारा फायर आर्म्स के उपयोग और प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने पर भी गौर किया और डीजीपी को हथियार लाइसेंस जारी करने के दिशानिर्देशों और राज्य के आदेश को लागू करने के लिए की गई कार्रवाई के विवरण के साथ अपना हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। मामले को आगे विचार के लिए 26 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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