Farmers Protest | पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का किसानों के आंदोलन के खिलाफ केंद्र और हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई से इनकार
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने किसानों को संशोधित वाहनों, ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों के साथ आगे बढ़ने से रोकने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया।
आवेदन पर सुनवाई के लिए केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन और हरियाणा सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने एक्टिंग चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस लपीता बनर्जी की खंडपीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। प्रदर्शनकारी दिल्ली में घुसने की योजना बना रहे हैं।
किसानों के विरोध प्रदर्शन का मुख्य मामला 29 फरवरी को पोस्ट किया गया।
एसीजे जी.एस. संधावालिया ने मौखिक रूप से पंजाब सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में इकट्ठा न हों।
न्यायाधीश ने कहा,
"उन्हें विरोध करने का अधिकार है लेकिन यह उचित प्रतिबंधों के अधीन है।"
सुनवाई के दौरान एसीजे संधावालिया ने किसानों के विरोध प्रदर्शन के लिए ट्रैक्टर और ट्रॉली में यात्रा करने पर भी आपत्ति जताई।
एसीजे ने कहा,
"मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, आप राजमार्ग पर ट्रैक्टर और ट्रॉलियों का उपयोग नहीं कर सकते... आप अपने ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों पर अमृतसर से दिल्ली तक यात्रा कर रहे हैं... हर कोई अपने अधिकारों के बारे में जानता है लेकिन संवैधानिक कर्तव्य भी हैं।"
हालांकि, बाद में जारी आदेश में न्यायालय द्वारा विरोध प्रदर्शन के लिए राजमार्गों पर ट्रैक्टर या ट्रॉली के साथ यात्रा करने पर कोई निर्देश नहीं दिया गया।
पिछली सुनवाई में पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार ने अपना हलफनामा दाखिल किया था। न्यायालय के पिछले निर्देशों के अनुपालन में संघ द्वारा स्थिति रिपोर्ट भी दायर की गई।
पंजाब के विशेष पुलिस डायरेक्टर जनरल ने हलफनामे में कहा कि हरियाणा पुलिस ने शंभू सीमा पर मजबूत बैरिकेडिंग की है और वर्तमान स्थिति शांतिपूर्ण है।
वहीं, हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि विरोध स्थल प्रत्येक जिले द्वारा निर्दिष्ट किए गए हैं और प्रदर्शनकारी अपने संबंधित जिलों में शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इसने आगे कहा,
"राज्य कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ हर संभव कदम उठाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रदर्शनकारी हरियाणा में महत्वपूर्ण सड़कों और स्थानों को अवरुद्ध न करें।"
न्यायालय ने केंद्र को सुनवाई की अगली तारीख तक नवीनतम घटनाक्रम और किसानों के साथ बैठकों में क्या हुआ, उसके साथ हलफनामे पर स्टेस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षकारों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौते का आह्वान किया था। केंद्र सरकार ने भी कोर्ट में बयान दिया था कि वह इस मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है। तदनुसार, पिछले सप्ताह बैठक निर्धारित की गई।
याचिकाकर्ता, चंडीगढ़ स्थित वकील उदय प्रताप सिंह ने सरकार की "अवरोधक कार्रवाइयों" को चुनौती दी, जिसमें हरियाणा और पंजाब के बीच सीमा को सील करना और हरियाणा के कई जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं और थोक एसएमएस को निलंबित करना शामिल है।
केस टाइटल: उदय प्रताप सिंह बनाम पंजाब राज्य एवं अन्य।