पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने साफ किया, भरण-पोषण कार्यवाही में संपत्ति कुर्की और सशर्त गिरफ्तारी वारंट का आदेश एक साथ जारी किया जा सकता है
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि धारा 125 सीआरपीसी के तहत भरण-पोषण राशि की वसूली के लिए संपत्ति की कुर्की और गिरफ्तारी के सशर्त वारंट एक साथ जारी किया जा सकता है। नए आपराधिक कानून के तहत पत्नी, बच्चों और माता-पिता के भरण-पोषण के लिए संबंधित धारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 144 है।
मौजूदा मामले में न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि संपत्ति की कुर्की के आदेश के बाद भरण-पोषण राशि की वसूली के लिए गिरफ्तारी के सशर्त वारंट जारी करना अवैध है।
जस्टिस हरप्रीत सिंह बरार ने कहा, "सीआरपीसी की धारा 125 की उपधारा (3) को देखने से यह समझा आता है कि मजिस्ट्रेट को जुर्माना लगाने के लिए निर्धारित तरीके से बकाया भरण-पोषण की वसूली के लिए वारंट जारी करने का अधिकार है और वह ऐसे व्यक्ति को प्रत्येक महीने के भत्ते के पूरे या उसके किसी हिस्से के लिए कारावास की सजा भी दे सकता है।"
उन्होंने कहा कि "और" शब्द को उसका स्पष्ट और शाब्दिक अर्थ दिया जाना चाहिए और इस प्रकार, इसे एक संयोजक शब्द के रूप में व्याख्यायित किया जाना चाहिए। चूंकि सीआरपीसी के अध्याय IX का व्यापक उद्देश्य उपेक्षित पति या पत्नी और नाबालिग बच्चों का भरण-पोषण करना और उन्हें पर्याप्त मासिक भत्ता प्रदान करना है ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें, इसलिए "और" शब्द को उसका शाब्दिक अर्थ देने से बकाया राशि की वसूली और भरण-पोषण के भुगतान को सुगम बनाने का उद्देश्य बेहतर ढंग से प्राप्त होगा।"
न्यायालय ने कहा कि धारा 125(3) सीआरपीसी द्वारा प्रदत्त शक्तियों का दायरा उल्लंघनकारी पक्षों को दंडित करना नहीं है, जिन्होंने आदेश का पालन नहीं किया है, बल्कि उसे ऐसी स्थिति में पहुंचाना है, जहां उसे मासिक भत्ता देने के लिए बाध्य किया जाता है और वह बकाया राशि का वास्तविक भुगतान करता है।
कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में विधानमंडल की मंशा इस प्रावधान द्वारा और अधिक स्पष्ट की गई है, जो उस व्यक्ति को सजा देने की अनुमति देता है, जो बिना पर्याप्त कारण के आदेश का पालन करने में विफल रहता है, उसे भरण-पोषण के लिए प्रत्येक महीने के भत्ते के पूरे या किसी हिस्से के लिए, जिसमें अवैतनिक अंतरिम भरण-पोषण भी शामिल है, दंडित किया जा सकता है।सजा एक महीने तक की अवधि के लिए या भुगतान किए जाने तक, यदि पहले हो, कारावास तक बढ़ाई जा सकती है।"
मामले में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट कहा कि भरण-पोषण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आश्रित पति या पत्नी विवाह की विफलता के कारण निराश्रित या खानाबदोशी की हालत में न पहुंच जाए।
कोर्ट ने श्रीमती कुलदीप कौर बनाम सुरिंदर सिंह और अन्य [(1989) 1 एससीसी 405] में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भरोसा करते हुए कहा, " एक ओर रिकवरी के तरीके और दूसरी ओर बकाया मासिक भत्ते की राशि की वास्तविक रिकवरी के बीच अंतर किया जाना चाहिए। किसी व्यक्ति को जेल की सजा देना 'प्रवर्तन का तरीका' है। यह दायित्व की 'संतुष्टि का तरीका' नहीं है। बकाया राशि का वास्तविक भुगतान करके ही दायित्व को पूरा किया जा सकता है।"
जस्टिस बरार ने धारा 125 (3) सीआरपीसी पर प्रकाश डाला, जिससे यह पता चला कि भरण-पोषण के भुगतान का निर्देश देने वाले आदेश का उल्लंघन करने की स्थिति में, मजिस्ट्रेट सीआरपीसी की धारा 421 के तहत निर्धारित तरीके से जुर्माना लगाने के लिए देय राशि वसूलने के लिए वारंट जारी कर सकता है और मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति को प्रत्येक महीने के भत्ते के पूरे या उसके किसी हिस्से के लिए सजा भी दे सकता है।
उन्होंने कहा कि ये दोनों ही तरीके उस व्यक्ति को मजबूर करने के तरीके हैं, जिसके खिलाफ निष्पादन कार्यवाही शुरू की गई है कि वह भरण-पोषण की बकाया राशि का भुगतान करे।
पारिवारिक न्यायालय द्वारा पारित आदेश का अवलोकन करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता की संपत्ति की कुर्की के बावजूद, वह न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने और बकाया राशि का वास्तविक भुगतान करने में विफल रहा।
न्यायालय ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता वर्तमान मामले में अज्ञानता का बहाना नहीं बना सकता, क्योंकि उसने उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत प्रतिवादी संख्या 2 से 5 (पत्नी और बच्चे) को अंतरिम भरण-पोषण दिया गया था। परिणामस्वरूप, याचिकाकर्ता के खिलाफ गिरफ्तारी के सशर्त वारंट जारी किए गए।
उपर्युक्त के आलोक में, न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील का यह तर्क कि याचिकाकर्ता की संपत्ति पहले ही कुर्क हो जाने के बाद गिरफ्तारी के सशर्त वारंट जारी करना अनुचित है, स्वीकार करने योग्य नहीं है। इन्ही टिप्पणियों के साथ याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटलः XXXX बनाम XXXX
साइटेशन: 2024 लाइवलॉ (पीएच) 174