पति को ट्रांसजेंडर कहना मानसिक क्रूरता के बराबर: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2024-10-22 06:44 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा पति के पक्ष में दिया गया तलाक बरकरार रखा, जिसमें कहा गया कि पत्नी द्वारा अपने पति को हिजड़ा (ट्रांसजेंडर) कहना मानसिक क्रूरता के बराबर है।

जस्टिस सुधीर सिंह एवं जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने कहा,

"यदि फैमिली कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों की जांच माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के आलोक में की जाए तो यह सामने आता है कि अपीलकर्ता-पत्नी के कृत्य एवं आचरण क्रूरता के बराबर हैं। सबसे पहले प्रतिवादी-पति को हिजड़ा (ट्रांसजेंडर) कहना और उसकी मां को ट्रांसजेंडर को जन्म देने वाला कहना क्रूरता का कार्य है।"

अदालत फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसके तहत 12 जुलाई को फैमिली कोर्ट ने उसके पति के पक्ष में तलाक मंजूर कर लिया था।

तलाक की याचिका में पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी पोर्नोग्राफी देखने की आदी थी। अपनी बीमार सास से पहली मंजिल पर अपने कमरे में दोपहर का खाना लाने के लिए कहती थी। याचिका के अनुसार वह उसे उसके साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए शारीरिक रूप से फिट नहीं होने के लिए ताना मारती थी और कहती थी कि वह किसी और से शादी करना चाहती है।

पत्नी ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि पति ने उसे उसके ससुराल से निकाल दिया था।

प्रस्तुतियों की जांच करने के बाद न्यायालय ने कहा,

"क्रूरता के कृत्य ऐसे होने चाहिए, जिनसे यह तर्कसंगत और तार्किक रूप से निष्कर्ष निकाला जा सके कि उक्त कृत्यों के कारण पक्षों के बीच कोई पुनर्मिलन नहीं हो सकता। क्रूरता शारीरिक या मानसिक या दोनों हो सकती है। यद्यपि क्रूरता की सीमा को निर्धारित करने के लिए कोई गणितीय सूत्र नहीं है, फिर भी प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों की जांच उनमें निहित गंभीरता के प्रकाश में की जानी चाहिए।"

न्यायालय ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत दायर याचिका को JMIC न्यायालय ने खारिज किया, जिसमें कहा गया कि उसके साथ कोई घरेलू हिंसा नहीं की गई।

यह भी कहा कि पत्नी द्वारा पति के खिलाफ क्रूरता का मामला दायर किया गया लेकिन यह मामला अभी लंबित है।

इस बात पर विचार करते हुए कि दोनों पक्ष पिछले छह वर्षों से अलग-अलग रह रहे थे, पीठ ने कहा,

“फैमिली कोर्ट ने सही पाया कि दोनों पक्षों के बीच विवाह इतना टूट चुका है कि उसे सुधारा नहीं जा सकता और यह एक मृत लकड़ी बन चुका है।"

उपरोक्त के आलोक में तलाक बरकरार रखी गई और पत्नी की अपील खारिज कर दी गई।

केस टाइटल: XXXX बनाम XXXXX

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