हाईकोर्ट ने पंजाब चुनाव आयोग और राज्य को बिना परिसीमन के 15 दिनों में नगर निगम चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के राज्य चुनाव आयोग और पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वे बिना नए सिरे से परिसीमन किए सभी नगर पालिकाओं और नगर निगमों में चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित करके चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करें।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल ने कहा, "इस न्यायालय को निर्देश देने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि वह राज्य चुनाव आयोग, पंजाब और पंजाब राज्य को संवैधानिक आदेश का पालन करते हुए नए सिरे से परिसीमन किए बिना इस आदेश की तिथि से 15 दिनों के भीतर सभी नगर पालिकाओं और नगर निगमों में चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित करके चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दे।"
खंडपीठ ने आगे कहा कि संवैधानिक जनादेश के अनुसार नगरपालिका के गठन के लिए चुनाव अनुच्छेद 243यू (3)(बी) के अनुसार इसके विघटन की तिथि से छह महीने की अवधि समाप्त होने से पहले कराए जाने चाहिए।
"इस आदेश के अनुसार, नगर पालिकाओं के चुनाव उनके पांच साल के कार्यकाल की समाप्ति से पहले पूरे होने चाहिए। अनुच्छेद 243U(3)(b) चुनाव कराने के लिए अधिकतम समय सीमा प्रदान करता है, जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि चुनाव नगर पालिका के विघटन की तिथि से छह महीने के भीतर होने चाहिए।
न्यायालय दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें यह बताया गया था कि 42 से अधिक नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों का कार्यकाल 5 साल बाद समाप्त हो गया है और 2020 से 2023 तक के वर्षों के लिए चुनाव लंबित हैं।
पंजाब के महाधिवक्ता ने प्रस्तुत किया कि विभाग को प्रत्येक नगर पालिका के लिए डोर टू डोर सर्वेक्षण करने, रफ मैप तैयार करने और उस पर परिसीमन करने के लिए परिसीमन बोर्ड का गठन करना आवश्यक है।
आगे कहा गया कि 47 में से 44 नगर पालिकाओं के लिए परिसीमन बोर्ड गठित किए जा चुके हैं तथा तीन नगर पालिकाओं अर्थात् नगर निगम जालंधर, नगर परिषद तलवारा तथा नगर पंचायत भादसो के गठन की प्रक्रिया बहुत जल्द जारी की जाएगी।
प्रस्तुतियां सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि, "भारत के संविधान के अनुच्छेद 243ई तथा अनुच्छेद 243यू क्रमशः पंचायतों आदि तथा नगर पालिकाओं की अवधि के लिए प्रावधान करते हैं।"
न्यायालय ने कहा, "यह स्पष्ट है कि अनुच्छेद 243ई तथा 243यू का अधिदेश बिल्कुल स्पष्ट है, जैसा कि किशन सिंह तोमर बनाम अहमदाबाद शहर के नगर निगम तथा अन्य, (2006) 8 एससीसी 352 में संविधान पीठ द्वारा उल्लिखित किया गया है।"
खंडपीठ ने आगे कहा कि, किशन सिंह मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष रूप से माना है कि परिसीमन की प्रक्रिया को चुनाव प्रक्रिया को रोकने का आधार नहीं बनाया जा सकता।
सुश्री महाजन बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य, (2022) 12 एससीसी 770 में, सर्वोच्च न्यायालय ने न केवल मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग या मध्य प्रदेश राज्य को बल्कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को अनुच्छेद 243ई और 243यू में निहित संवैधानिक जनादेश का पालन करने के निर्देश जारी किए, न्यायालय ने इस बात पर प्रकाश डाला।
परिणामस्वरूप, न्यायालय ने पंजाब के राज्य चुनाव आयोग और पंजाब सरकार को संवैधानिक जनादेश का तत्काल पालन करने के लिए परमादेश जारी किया।
तदनुसार दलीलों का निपटारा किया गया।
केस टाइटलः बेअंत कुमार उर्फ बेअंत किंगर बनाम पंजाब राज्य और अन्य