ड्राइविंग लाइसेंस एक्सपायरी के 30 दिन बाद तक वैलिड: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी की रिकवरी राइट्स की अपील खारिज की

Update: 2025-12-03 03:49 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक इंश्योरेंस कंपनी की अपील खारिज की, जिसमें मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT), जींद के 2003 के एक अवॉर्ड को चुनौती दी गई, जिसमें रिकवरी राइट्स दिए बिना इंश्योरेंस कंपनी पर लायबिलिटी तय कर दी गई।

इंश्योरर ने इस आधार पर रिकवरी राइट्स मांगे थे कि एक्सीडेंट की तारीख पर गलती करने वाली गाड़ी के ड्राइवर के पास वैलिड ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।

जस्टिस वरिंदर अग्रवाल ने कहा,

"एक बार जब कानूनी ग्रेस पीरियड लागू हो जाता है तो यह बात पूरी तरह साफ हो जाती है कि एक्सीडेंट की तारीख और समय पर रेस्पोंडेंट नंबर 3 का लाइसेंस मौजूद था। 04.06.2001 को लाइसेंस का एक्सपायर होना, कानून के तहत दिए गए तीस दिन के एक्सटेंशन के साथ इस बात में कोई शक नहीं रह जाता कि एक्सीडेंट 04.07.2001 को सुबह 10:45 बजे हुआ था, जो उसके लीगल असर के समय के अंदर था। ऐसे हालात में, इंश्योरेंस कंपनी की दलील में कोई दम नहीं है।"

इंश्योरेंस कंपनी ने कहा कि ड्राइवर का लाइसेंस (Ex. R-1) 04.06.2001 को एक्सपायर हो गया, जबकि एक्सीडेंट 04.07.2001 को हुआ। लाइसेंस 06.08.2001 को ही रिन्यू हुआ। इस आधार पर इंश्योरेंस कंपनी ने तर्क दिया कि एक्सीडेंट की तारीख पर ड्राइवर के पास “ठीक से लाइसेंस” नहीं था और ट्रिब्यूनल ने मालिक से मुआवज़ा वसूलने का अधिकार न देकर गलती की।

गाड़ी के मालिक के वकील ने अपील का विरोध करते हुए कहा कि इंश्योरेंस कंपनी का तर्क मोटर व्हीकल्स एक्ट, 1988 के तहत कानूनी स्कीम के खिलाफ है। धारा 14 के प्रोविज़ो पर भरोसा करते हुए यह तर्क दिया गया कि ड्राइविंग लाइसेंस अपनी एक्सपायरी के 30 दिन बाद तक कानूनी तौर पर लागू रहता है। चूंकि लाइसेंस 04.06.2001 को एक्सपायर हो गया, इसलिए कानूनी समय 05.06.2001 से शुरू हुआ और 30वां दिन 04.07.2001 को पड़ा – जो एक्सीडेंट की तारीख थी।

इसलिए यह तर्क दिया गया कि घटना के समय ड्राइवर के पास कानूनी तौर पर लाइसेंस था और पॉलिसी की शर्तों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ। कानूनी नियम (मोटर व्हीकल्स एक्ट, 1988 का सेक्शन 14) को दोहराते हुए कोर्ट ने माना कि ग्रेस पीरियड साफ़ तौर पर एक्सपायर हो चुके लाइसेंस की कानूनी असर को तीस दिनों के लिए बढ़ाता है। इसे मौजूदा मामले में लागू करते हुए कोर्ट ने यह नतीजा निकाला कि 04.07.2001 को सुबह 10:45 बजे हुआ एक्सीडेंट पूरी तरह से कानूनी समय-सीमा के अंदर हुआ था।

कोर्ट ने हरियाणा राज्य और अन्य बनाम करकोर और अन्य (FAO नंबर 2975 ऑफ़ 2005, 24.05.2018 को तय) में अपने पहले के फैसले पर भी भरोसा किया, जहाँ यह माना गया कि कोई इंश्योरेंस कंपनी कानूनी ग्रेस पीरियड के दौरान रिकवरी के अधिकारों का दावा नहीं कर सकती। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम संतोष कुमारी, 2018 (4) ADJ 527 में भी ऐसा ही फैसला लिया था।

यह मानते हुए कि इंश्योरेंस कंपनी की दलील में “कोई दम नहीं है,” कोर्ट ने MACT अवॉर्ड को कन्फर्म किया और यह देखते हुए रिकवरी के अधिकार देने से मना कर दिया कि एक्सीडेंट के समय लाइसेंस कानूनी तौर पर लागू था।

Title: National Insurance Company Limited v. Satbir and Others

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