24 कैदियों की पहचान के लिए पाकिस्तान सरकार से मंजूरी का इंतजार: केंद्र ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को बताया

Update: 2024-09-16 07:04 GMT

केंद्र सरकार ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को सूचित किया कि वह 24 कैदियों की पहचान के लिए पाकिस्तान सरकार से मंजूरी का इंतजार कर रही है। वे कथित तौर पर बरी होने के बावजूद जेलों में बंद हैं।

इससे पहले केंद्र ने प्रस्तुत किया कि 30 में से 6 पाकिस्तानी नागरिक कैदियों का प्रत्यावर्तन 26 जुलाई को होने की संभावना है। शेष 24 कैदियों के संबंध में यह मंत्रालय और सभी हितधारकों के सक्रिय विचाराधीन है।

एएसजी सत्य पाल जैन ने चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया,

"दिनांक 11.07.2024 के आदेश में उल्लिखित छह कैदियों को रिहा कर दिया गया। भारत सरकार शेष 24 कैदियों की पहचान के संबंध में पाकिस्तान सरकार से मंजूरी का इंतजार कर रही है।"

पिछली कार्यवाही में हाईकोर्ट ने पाया कि केंद्र सरकार अपनी सजा पूरी होने के बावजूद हिरासत में लिए गए पाकिस्तानी कैदियों को वापस भेजने के संवेदनशील मुद्दे पर अभी भी अपने कदम पीछे खींच रही है।

न्यायालय ने केंद्र सरकार को चेतावनी भी दी कि अगर अगली सुनवाई तक कार्रवाई नहीं की जाती है तो उस पर कठोर जुर्माना लगाया जाएगा।

मामले की पृष्ठभूमि

यह घटनाक्रम तब सामने आया जब किशोर गृह में बंद पाकिस्तान के दो किशोरों ने जस्टिस एन.एस. शेखावत जो फरीदकोट सत्र प्रभाग के प्रशासनिक न्यायाधीश भी हैं, उसके समक्ष प्रस्तुत किया कि उन्हें अप्रैल 2023 में बरी किए जाने के बाद भी हिरासत में रखा गया। उनके प्रत्यावर्तन का मामला पंजाब के सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास निदेशालय के समक्ष लंबित है।

2022 में दो पाकिस्तानी नागरिकों पर पासपोर्ट एक्ट 1920 की धारा 3 और विदेशी अधिनियम 1946 की धारा 14 के तहत पंजाब के तरन तारन में भारत और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था और तब से उन्हें किशोर निगरानी गृह में रखा गया।

किशोर बोर्ड ने फैसला सुनाया कि परिसीमा स्तंभ से दूसरे सीमा स्तंभ के बीच कोई बाड़ नहीं थी। धुंधले दिनों में गलती से भारत के क्षेत्र में प्रवेश करने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि मौके पर तार या गेट न होने के कारण किशोर दो देशों के क्षेत्र का अंतर नहीं समझ पाए इसने दोनों को बरी करते हुए टिप्पणी की थी।

दोनों किशोरों ने जस्टिस शेखावत को मुकदमे में बरी होने के बावजूद पर्यवेक्षण गृह में बंद रहने की अपनी दुर्दशा के बारे में लिखा, क्योंकि उनके प्रत्यावर्तन का मामला लंबित है।

प्रस्तुतियों पर विचार करते हुए मामले को उचित आदेशों के लिए एक्टिंग चीफ जस्टिस को भेज दिया गया।

पिछली सुनवाई में पंजाब सरकार ने प्रस्तुत किया कि दोनों किशोरों को पाकिस्तान वापस भेज दिया गया। अन्य पाकिस्तानी किशोर को बरी होने के बावजूद हिरासत में पाया गया।

मामले को आगे के विचार के लिए 25 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया।

केस टाइटल- न्यायालय अपने स्वयं के प्रस्ताव पर बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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