औद्योगिक ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती देने वाले एकल पीठ के निर्णय की अपील खंडपीठ के समक्ष की जा सकती है: पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने माना कि औद्योगिक विवाद अधिनियम (ID Act) की धारा 17-बी के तहत दिए गए अवार्ड को चुनौती देने वाले एकल न्यायाधीश के निर्णय के खिलाफ़ लेटर्स पेटेंट अपील (LPA) सुनवाई योग्य होगी।
न्यायालय ने कहा कि पटना के लेटर पेटेंट के खंड 10 के अनुसार ID Act की धारा 17-बी के तहत पारित अवार्ड को चुनौती देने वाले एकल पीठ के निर्णय के खिलाफ़ एलपीए की स्थिरता पर कोई रोक नहीं है।
अधिनियम की धारा 17बी में स्पष्ट रूप से कहा गया कि यदि लेबर कोर्ट किसी कर्मचारी की बहाली का आदेश देता है और नियोक्ता इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लेता है तो नियोक्ता को हाईकोर्ट में लंबित कार्यवाही की अवधि के लिए कर्मचारी को उसके द्वारा अंतिम बार प्राप्त पूर्ण वेतन, साथ ही उसके लिए लागू किसी भी अन्य भरण-पोषण भत्ते का भुगतान जारी रखना चाहिए, बशर्ते कि कर्मचारी उस अवधि के दौरान कहीं और नियोजित न रहा हो।
वर्तमान मामले में केंद्रीय सरकार औद्योगिक ट्रिब्यूनल ने औद्योगिक ट्रिब्यूनल अधिनियम के तहत अपीलकर्ता के खिलाफ अवार्ड पारित करने की कार्यवाही की। औद्योगिक ट्रिब्यूनल के निर्णय के खिलाफ एकल पीठ के समक्ष रिट याचिका दायर की गई। याचिका पर अपीलकर्ताओं के खिलाफ निर्णय लिया गया।
इसके बाद एकल पीठ के निर्णय के खिलाफ LPA को डिवीजन बेंच के समक्ष पेश किया गया। LPA को इस नोट पर खारिज कर दिया गया कि यह केंद्रीय सरकार औद्योगिक ट्रिब्यूनल के अवार्ड को चुनौती के खिलाफ दिए गए एकल पीठ के फैसले के खिलाफ बनाए रखने योग्य नहीं है।
वर्तमान में शामिल मुख्य मुद्दा यह है कि क्या LPA एकल न्यायाधीश के आदेश के विरुद्ध दायर की गई याचिका एकल न्यायाधीश के समक्ष केन्द्रीय सरकार औद्योगिक ट्रिब्यूनल के निर्णय को चुनौती देने के रूप में स्वीकार्य है तथा LPA के तहत आगे स्वीकार्य है या नहीं।
पुष्टि में उत्तर देते हुए जस्टिस पी.बी. बजंथरी तथा जस्टिस आलोक कुमार पाण्डेय की खंडपीठ ने SLP (सी) 14516/1999 में नियोक्ता से केन्द्रीय खान योजना एवं डिजाइन संस्थान लिमिटेड बनाम भारत संघ (UOI) एवं अन्य के प्रबंधन के संबंध में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 17-बी के तहत पारित आदेश पटना के लेटर्स पेटेंट के खंड-10 के अर्थ में निर्णय है, इसलिए यह अपील योग्य है।
अदालत ने कहा,
“उद्धृत निर्णय LPA पर विचार करने के लिए वर्तमान मामले पर पूरी तरह लागू है। इस प्रकार, समन्वय पीठ ने लेटर्स पेटेंट अपील पर विचार न करके विधि के प्रश्न पर त्रुटि की है। अपीलकर्ता-सिविल समीक्षा याचिकाकर्ता ने LPA नंबर 691/2017 में पारित समन्वय पीठ के दिनांक 13.12.2019 के आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए मामला बनाया है। तदनुसार LPA नंबर 691/2017 में समन्वय पीठ द्वारा दिनांक 13.12.2019 को पारित आदेश को वापस लिया जाता है, जबकि LPA नंबर 691/2017 को बहाल किया जाता है।”
तदनुसार वर्तमान सिविल पुनर्विचार की अनुमति दी गई।
केस टाइटल- उमा शंकर राम बनाम बैंक ऑफ इंडिया और अन्य, सिविल समीक्षा संख्या 16/2020