BREAKING|हाईकोर्ट ने बिहार कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माँ वाली वीडियो हटाने का निर्देश दिया
पटना हाईकोर्ट ने बुधवार (17 सितंबर) को बिहार कांग्रेस द्वारा पोस्ट किए गए AI-जनरेटेड वीडियो को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का निर्देश दिया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत माँ हीराबेन मोदी दिखाई दे रही हैं।
अदालत ने मध्यस्थों को निर्देश दिया कि यदि वीडियो अभी भी प्रसारित हो रहा है तो उसे "केएस पुट्टस्वामी", "नालसा फाउंडेशन", "सुब्रमण्यम स्वामी" आदि जैसे सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों के आलोक में प्रसारित होने से रोकें, जिनमें कहा गया कि निजता और सम्मान का अधिकार व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हिस्सा हैं।
खंडपीठ ने आदेश दिया,
"यदि कोई और नुकसान हो तो उससे बचने के लिए प्रतिवादी नंबर 6-8 को निर्देश दिया जाता है कि वे इस अदालत द्वारा पारित किए जाने वाले अगले आदेश तक इस वीडियो क्लिपिंग को यहां से प्रसारित न करें।"
प्रतिवादी नंबर 6 से 8 मेटा प्लेटफॉर्म्स, गूगल इंडिया (यूट्यूब) और एक्स (ट्विटर) इंडिया हैं।
एक्टिंग चीफ जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस आलोक कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने विवेकानंद सिंह नामक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें वीडियो हटाने की मांग की गई।
अदालत ने केंद्र सरकार, बिहार सरकार, बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी, भारत निर्वाचन आयोग और राहुल गांधी को भी नोटिस जारी किया।
विचाराधीन वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी को नींद में एक सपना आता हुआ दिखाया गया है, जिसमें उनकी माँ उन्हें उनकी नीतियों के लिए फटकार लगाती हुई दिखाई दे रही हैं। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह वीडियो "घृणित, अरुचिकर और अपमानजनक" है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री की दिवंगत माँ की गरिमा का हनन करता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि वीडियो राहुल गांधी की जानकारी में पोस्ट किया गया था।
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट संतोष कुमार ने दलील दी कि यह वीडियो पितृ पक्ष के पवित्र समय से मेल खाता है, जब प्रधानमंत्री अपनी दिवंगत माँ के लिए अनुष्ठान कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वीडियो में प्रधानमंत्री की माँ उन्हें नोटबंदी जैसी नीतियों के लिए डांटती हुई दिखाई दे रही हैं। इस संबंध में उन्होंने बताया कि नोटबंदी की नीति को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।
उन्होंने कहा,
"प्रधानमंत्री पर सबसे बुरा आरोप लगाया गया है।"