[Bihar Excise Act] अगर सह-यात्री के पास शराब मिलती है तो मोटरसाइकिल मालिक के खिलाफ कोई अनुमान नहीं: पटना हाईकोर्ट

Update: 2025-12-20 14:39 GMT

पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जहां अवैध शराब सह-आरोपी व्यक्ति से बरामद की जाती है, न कि वाहन के किसी हिस्से से, तो यह नहीं कहा जा सकता कि मोटरसाइकिल का इस्तेमाल बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम (Bihar Excise Act) के तहत अपराध करने में किया गया। नतीजतन, अधिनियम की धारा 32 के तहत वाहन के मालिक के खिलाफ कानूनी अनुमान तब तक नहीं लगाया जा सकता, जब तक अभियोजन पक्ष यह साबित न कर दे कि वाहन का इस्तेमाल कथित अपराध करने में किया गया।

पटना हाईकोर्ट की जस्टिस जितेंद्र कुमार की सिंगल जज बेंच याचिकाकर्ता द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क (संशोधन) अधिनियम, 2022 की धारा 30(a) के तहत दर्ज एक मामले में गिरफ्तारी का डर है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, मोटरसाइकिल पर सवार दो लोगों को रोका गया था। पीछे बैठे व्यक्ति के पास कथित तौर पर एक पिट्ठू बैग था, जिसमें छह लीटर अवैध शराब थी। मोटरसाइकिल के रजिस्टर्ड मालिक याचिकाकर्ता के साथ-साथ बरामदगी के समय वाहन चला रहे दो लोगों के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई।

कोर्ट ने कहा कि FIR से यह साफ है कि अभियोजन पक्ष का यह मामला नहीं है कि याचिकाकर्ता मोटरसाइकिल चला रहा था, मौके पर मौजूद था, या उसके पास अवैध शराब पाई गई। महत्वपूर्ण बात यह है कि कथित बरामदगी पीछे बैठे व्यक्ति के पिट्ठू बैग से हुई, न कि मोटरसाइकिल से।

कोर्ट ने कहा:

“9. मैंने यह भी पाया कि अवैध शराब मोटरसाइकिल की डिक्की या किसी दूसरे हिस्से से नहीं, बल्कि सह-आरोपी अमरेंद्र कुमार के पास से बरामद हुई, जो अपनी पीठ पर एक पिट्ठू बैग ले जा रहा था... ऊपर बताए गए तथ्यों और परिस्थितियों में मोटरसाइकिल को एक्साइज एक्ट के तहत कथित अपराध करने में इस्तेमाल किया गया नहीं माना जा सकता। एक्साइज एक्ट की धारा 32 के तहत वाहन के मालिक, जो यहां याचिकाकर्ता है, उसके खिलाफ अनुमान तभी लगाया जाएगा, जब वाहन को एक्साइज एक्ट के तहत कथित अपराध करने में इस्तेमाल किया गया माना जाए।”

कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसी परिस्थितियों में मोटरसाइकिलों को ज़ब्त करने से निर्दोष मालिकों को परेशानी होगी और राष्ट्रीय संसाधनों की बर्बादी होगी, क्योंकि ज़ब्त किए गए वाहन अक्सर जंग लगने और लंबे समय तक इस्तेमाल न होने के कारण समय के साथ कबाड़ बन जाते हैं।

मौजूदा मामले के तथ्यों पर आते हुए कोर्ट ने कहा कि एक्साइज एक्ट के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है। इसलिए अग्रिम ज़मानत की अर्ज़ी मंज़ूर कर ली।

Cause Title: Princekant Kumar @Prinskant Kumar v. State of Bihar

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