हाईकोर्ट ने कुछ यूट्यूब चैनल्स को समाज के लिए बताया 'खतरा', कहा- राज्य को उन्हें नियंत्रित करना चाहिए
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि कुछ यूट्यूब चैनल समाज के लिए खतरा बन गए हैं और अपनी सदस्यता बढ़ाने के लिए अपमानजनक सामग्री प्रकाशित कर रहे हैं। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि अब समय आ गया है कि राज्य ऐसे यूट्यूब चैनलों को विनियमित करने के लिए कदम उठाए, जो अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करना जारी रखते हैं।
जस्टिस कुमारेश बाबू ने यूट्यूबर फेलिक्स गेराल्ड द्वारा दायर याचिका पर मौखिक टिप्पणी की। जेराल्ड पर कोयंबटूर पुलिस ने यूट्यूबर और व्हिसल ब्लोअर सवुक्कू शंकर के इंटरव्यू के सिलसिले में मामला दर्ज किया था, जिसमें सवुक्कू ने महिला पुलिस अधिकारियों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी।
अपमानजनक टिप्पणियों के बाद भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294 (बी) और 506 (1) के साथ तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत मामले दर्ज किए गए। गिरफ्तारी की आशंका से जेराल्ड ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
राज्य ने जमानत याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि गेराल्ड ने शंकर का इंटरव्यू करके और यह जानते हुए कि इससे अपमानजनक टिप्पणियां होंगी, प्रश्न पूछकर अपमानजनक बयानों को बढ़ावा दिया। राज्य ने यह भी बताया कि गेराल्ड समन मिलने के बाद भी जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हुआ और इस तरह पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा है।
न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि गेराल्ड को पहले आरोपी के रूप में पेश किया जाना चाहिए था, क्योंकि उसने शंकर को अपमानजनक बयान देने के लिए प्रेरित और इसे प्रोत्साहित किया, जिससे बल का मनोबल कम हुआ।
न्यायाधीश ने यह भी टिप्पणी की कि कुछ यूट्यूब चैनल समाज के लिए खतरा बन रहे हैं और उन्हें विनियमित किया जाना चाहिए।
इसके बाद अदालत ने मामले को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।
केस टाइटल: जी फेलिक्स जेराल्ड बनाम राज्य