Poll-Ads Pre-Certification: मद्रास हाईकोर्ट ने ECI से सुप्रीम कोर्ट का आदेश पेश करने को कहा, कहा- ECI हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र को सीमित करने वाले आदेश पारित नहीं कर सकता

Update: 2024-04-18 06:27 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को टिप्पणी की कि ECI संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट की शक्तियों को दोगुना नहीं कर सकता। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि ECI हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र को सीमित करने वाले आदेश पारित नहीं कर सकता।

चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस सत्य नारायण प्रसाद की खंडपीठ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें टेलीविजन चैनलों और केबल नेटवर्क पर राजनीतिक दलों द्वारा विज्ञापनों को विनियमित करने के लिए 2023 के समेकित दिशानिर्देशों को चुनौती दी गई। पार्टी ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के उस आदेश को भी चुनौती दी, जिसमें 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के प्री-सर्टिफिकेट को अस्वीकार करने की पुष्टि की गई।

पिछली सुनवाई में याचिकाओं की स्थिरता को चुनौती देते हुए ECI ने तर्क दिया कि सचिव, सूचना और प्रसारण मंत्रालय बनाम जेमिनी टीवी मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार, पीड़ित पक्ष केवल प्री-सर्टिफिकेट की अस्वीकृति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।

बुधवार को शुनमुगसुंदरम ने दलील दी कि 2004 का फैसला केवल उस अवधि तक ही सीमित है और अनुच्छेद 142 के तहत आदेश केवल उसी अवधि के लिए है। उन्होंने कहा कि यह नियम ECI द्वारा लिखे गए नियमों को खत्म करता है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि उपरोक्त आदेश, जो कि सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश है, मामले के अंतिम निपटान के बाद मूल्य खो देगा।

अदालत इस दलील से सहमत दिखी और कहा कि एक बार जब किसी मामले का अंतिम निपटान हो जाता है तो अंतरिम आदेश भी जारी करना पड़ता है। इसके बाद अदालत ने ECI के वकील से पूछा कि क्या मामले में कोई स्पष्ट आदेश है और क्या अंतिम आदेश की प्रति उपलब्ध है।

हालांकि, प्रथम दृष्टया अदालत की राय है कि ECI अदालत के अधिकार क्षेत्र को हड़पने वाली ऐसी अधिसूचनाएं पारित नहीं कर सकता, अदालत ने पक्षकारों को गुरुवार तक अंतिम आदेशों की कॉपी पेश करने का निर्देश दिया और मामले को स्थगित कर दिया।

केस टाइटल: द्रविड़ मुनेत्र कड़गम बनाम भारत निर्वाचन आयोग

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