[NDPS Act] प्रथम दृष्टया मैजिक मशरूम की हर कोशिका में रसायन होता है, इसलिए कमर्शियल मात्रा का पता लगाने के लिए पूरी तरह से तौला जाना चाहिए: मद्रास हाईकोर्ट
NDPS Act के तहत जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि मैजिक मशरूम की हर कोशिका में साइकोट्रॉपिक रसायन होते हैं। इसलिए यह निर्धारित करने के लिए कि जब्त की गई मात्रा वाणिज्यिक मात्रा में आती है या नहीं पूरे मशरूम का वजन करना होगा।
जमानत याचिका खारिज करते हुए जस्टिस भरत चक्रवर्ती ने प्रथम दृष्टया कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा सईदी मोजदेह एहसान बनाम कर्नाटक राज्य में अपनाए गए रुख से अलग राय रखी, जिसमें एकल जज ने कहा था कि जब्त की गई वस्तु कमर्शियल मात्रा में आती है या नहीं यह पता लगाने के लिए पदार्थ की मात्रा को मापा जाना चाहिए।
कर्नाटक हाईकोर्ट से अलग राय रखते हुए जस्टिस चक्रवर्ती ने कहा कि दंड विधियों की व्याख्या आरोपी की सहायता करने के लिए किए बिना सख्ती से की जानी चाहिए।
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा,
“जमानत देने के चरण में विशेषज्ञ के साथ अनौपचारिक बातचीत से प्रथम दृष्टया यह देखा जा सकता है कि मशरूम के विशेष प्रकार अर्थात् जादुई मशरूम की प्रत्येक कोशिका में उक्त रसायन होता है। यदि उत्पाद एक प्राकृतिक उत्पाद है। उसी की प्रत्येक कोशिका में एक रसायन होता है तो प्रथम दृष्टया मेरी राय है कि संपूर्ण सामग्री को केवल तौलना और यह निर्धारित करने के उद्देश्य से विचार करना है कि यह वाणिज्यिक मात्रा है या नहीं। प्रथम दृष्टया, मैं ऊपर उद्धृत कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा किए गए निष्कर्षों से सहमत नहीं हूं। दंड विधानों पर सख्ती से विचार किया जाना चाहिए और व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है। अभियुक्त की सहायता करने के लिए दंड प्रावधानों में और स्पष्टीकरण जोड़ने की आवश्यकता नहीं है।”
हाईकोर्ट धनराज द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिस पर कोडईकनाल पुलिस द्वारा NDPS Act की धारा 8(सी), 22(सी), 20(बी) (ii) (ए) के तहत अपराध का आरोप लगाया गया। धनराज की ओर से पेश हुए एडवोकेट करुप्पुसामी पनीडा ने तर्क दिया कि भले ही वैज्ञानिक रिपोर्ट में साइलोसाइबिन नामक रसायन की मौजूदगी दिखाई गई हो लेकिन रिपोर्ट में रसायनों के संदर्भ में अन्य अवयवों का उल्लेख नहीं किया गया।
यह तर्क दिया गया कि मैजिक मशरूम एक प्राकृतिक उत्पाद है। यह निर्धारित करना आवश्यक है कि प्राकृतिक उत्पाद में मौजूद संबंधित मनोदैहिक दवा की मात्रा वाणिज्यिक मात्रा के भीतर है या नहीं।
अतिरिक्त लोक अभियोजक ने बताया कि NDPS Act को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (संशोधन अधिनियम) 2014 द्वारा संशोधित किया गया, जिससे विधायी मंशा को स्पष्ट किया जा सके और सजा की मात्रा निर्धारित करने के लिए शुद्ध दवा सामग्री के बजाय जब्त की गई दवाओं की पूरी मात्रा को लिया जा सके।
अदालत ने विशेषज्ञ को वर्चुअली पेश होने के लिए भी कहा था कि जिन्होंने बताया कि मशरूम में मौजूद संबंधित रसायन की मात्रा का वजन करना संभव नहीं है। उन्होंने समझाया कि यदि मशरूम में विशेष रसायन होता है तो इसका मतिभ्रम प्रभाव होगा और इस प्रकार यह मनोदैहिक पदार्थ होगा। इसका अवैध कब्जा अधिनियम के तहत अपराध होगा।
जब्त की गई मात्रा कमर्शियल प्रकृति की थी, इसलिए अदालत जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं थी और याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: धनराज बनाम पुलिस निरीक्षक