“भारत में ऑनर किलिंग आज भी गंभीर समस्या”: मद्रास हाईकोर्ट ने कविन ऑनर किलिंग केस में पुलिसकर्मी को जमानत देने से इनकार किया
मद्रास हाईकोर्ट ने तिरुनेलवेली जिले में टेक कर्मचारी कविन सेल्वगणेश की कथित ऑनर किलिंग के मामले में आरोपी सब-इंस्पेक्टर सरवनन को जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर प्रकृति का है और “ऑनर किलिंग” जैसे जघन्य अपराधों में जमानत एक अपवादस्वरूप राहत होती है, जिसे अत्यंत सावधानीपूर्वक प्रदान किया जाना चाहिए।
जस्टिस के. मुरली शंकर ने जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि समाज में अब भी सम्मान के नाम पर हत्या की घटनाएँ सामने आना चिंताजनक है, जबकि संविधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता और वैवाहिक विकल्प की रक्षा करता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस सिद्धांत को दोहराया कि गंभीर एवं घृणित अपराधों में “बेल, नॉट जेल” का सामान्य सिद्धांत लागू नहीं होता।
मामले की पृष्ठभूमि
कविन सेल्वगणेश, जो चेन्नई में टेकie के रूप में कार्यरत थे और हिंदू देवेंद्र कुल वेल्लालार समुदाय से ताल्लुक रखते थे, की 27 जुलाई 2025 को हत्या कर दी गई थी।
प्रोसिक्यूसन के अनुसार, जिस युवती से कविन के प्रेम-संबंध होने का आरोप था, उसके परिवार—जो हिंदू मरावर समुदाय से संबंधित है—ने जातिगत घृणा और “परिवार की इज़्ज़त” के नाम पर यह अपराध किया।
घटना वाले दिन कविन अपने परिवार के साथ उस क्लिनिक में गए थे, जहाँ युवती काम करती थी। बातचीत के दौरान युवती का भाई पहुँचा और कविन को “कुछ बात करने” के बहाने बाहर ले गया। कुछ ही देर बाद, जब परिवार बाहर आया, तो उन्होंने युवती के भाई को कविन के साथ जातिसूचक गालियाँ देते हुए देखा और फिर उसने सिकली (sickle) से वार कर कविन की हत्या कर दी।
किनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ?
युवती के भाई, पिता (सरवनन – अपीलकर्ता), माता और एक रिश्तेदार के खिलाफ निम्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया:
धारा 103(1) BNS — हत्या
धारा 49 BNS — उकसावे के लिए दंड
धारा 296(b) BNS — अभद्र कृत्य
एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 2015 की
धारा 3(1)(r)
धारा 3(1)(s)
धारा 3(2)(v)
सरवनन की दलील और सरकारी पक्ष की प्रतिक्रिया
सरवनन ने दावा किया कि—
वह घटना के समय स्पेशल बटालियन, राजापालयम में ड्यूटी पर था,
उसे घटना की जानकारी टीवी रिपोर्ट से मिली,
और उसका कोई प्रत्यक्ष संलिप्तता नहीं है।
उसने यह भी आरोप लगाया कि उसे “समुदाय को संतुष्ट करने” के लिए झूठा फँसाया गया है।
लेकिन सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि—
सरवनन का “ड्यूटी पर होने” का दावा गलत है,
साक्ष्य बताते हैं कि वह घटनास्थल के आसपास मौजूद था,
और जमानत मिलने पर वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है।
पीड़ित परिवार की आपत्तियाँ
कविन की माँ ने अदालत को बताया कि—
जाँच पूर्ण व निष्पक्ष नहीं है और आरोपी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है,
परिवार लगातार धमकियों का सामना कर रहा है,
पुलिस सुरक्षा भी दी गई है,
और ऐसे संगीन मामले में आरोपी का “100 दिन की हिरासत” कोई प्रासंगिक आधार नहीं है।
हाईकोर्ट का निष्कर्ष
अदालत ने कहा कि—
यह स्पष्ट ऑनर किलिंग है,
सिर्फ चार्जशीट दाखिल हो जाना जमानत का आधार नहीं बन सकता,
अपराध की प्रकृति अत्यंत निर्मम और घोर निंदनीय है,
और पीड़ित पक्ष की गंभीर आपत्तियों को देखते हुए जमानत देना न्यायहित में नहीं होगा।
इन सभी आधारों पर हाईकोर्ट ने सरवनन की जमानत अपील खारिज कर दी।