मद्रास हाईकोर्ट ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव को पद्म विभूषण दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

Update: 2024-11-08 04:41 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को सद्गुरु जग्गी वासुदेव को दिए गए पद्म विभूषण पुरस्कार रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज की।

चीफ जस्टिस केआर श्रीराम और जस्टिस सेंथिलकुमार राममूर्ति की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि न्यायालय संतुष्ट है कि पुरस्कार प्रदान करने के मानदंडों का पालन किया गया। इसलिए मांगी गई राहत प्रदान नहीं की जा सकती।

इससे पहले न्यायालय ने याचिका की स्वीकार्यता के बारे में भी संदेह व्यक्त किया था। टिप्पणी की थी कि पद्म पुरस्कार प्रदान करना न्यायिक पुनर्विचार के दायरे में नहीं आ सकता।

याचिकाकर्ता ने न्यायालय से यह दावा करते हुए संपर्क किया कि जग्गी वासुदेव और उनके फाउंडेशन पर कई आपराधिक आरोप और अदालती मामलों का सामना करने के मद्देनजर पुरस्कार रद्द किया जाना चाहिए। यह तर्क दिया गया कि देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण असाधारण और विशिष्ट सेवा वाले व्यक्तियों को दिया जाता है।

यह तर्क दिया गया कि केंद्र ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि वासुदेव कानून का पालन करने वाले नागरिक नहीं थे। वासुदेव तथा उनकी संस्था के खिलाफ कई मामले लंबित हैं। उन्होंने फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे अनधिकृत निर्माणों के हाल के आरोपों की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने हाल ही में फाउंडेशन में स्वयंसेवा करने वाली दो महिलाओं के पिता द्वारा दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर भी न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें दावा किया गया कि उनका ब्रेनवॉश किया जा रहा था और उन्हें भिक्षु बनने के लिए मजबूर किया जा रहा था।

याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि जब सी. वासुदेव को यह पुरस्कार दिया जा रहा था तो देश की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, जो अभी भी इस तरह की गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं।

हालांकि, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एआरएल सुंदरसन ने कहा कि वासुदेव को उचित मानदंडों का पालन करने के बाद यह पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने कहा कि पुरस्कार के लिए उनके नाम पर विचार करते समय केंद्र को खुफिया एजेंसियों से कोई प्रतिकूल इनपुट नहीं मिला था।

पक्षकारों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने टिप्पणी की कि वह पुरस्कार प्रदान करते समय मानदंडों के पालन के संबंध में संतुष्ट है। इसलिए वह मांगी गई राहत देने के लिए इच्छुक नहीं है। इस प्रकार न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।

केस टाइटल: एम वेत्री सेल्वन बनाम भारत संघ और अन्य

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