पूरी तरह से क्रॉस एग्जामिनेशन किए गए गवाह को अदालत के समक्ष दी गई पूर्व गवाही से मुकरने के लिए वापस नहीं बुलाया जा सकता: एमपी हाईकोर्ट

Update: 2024-08-26 07:05 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पूरी तरह से क्रॉस एग्जामिनेशन किए गए गवाह को केवल इस आधार पर वापस नहीं बुलाया जा सकता कि ऐसा गवाह बाद में अपने बयान से मुकर गया।

जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल की पीठ ने कहा,

"किसी भी अभियोजन पक्ष के गवाह को केवल इसलिए जांच/क्रॉस एक्जामिनेशन के लिए नहीं बुलाया जा सकता, क्योंकि उसने ट्रायल कोर्ट के समक्ष दिए गए अपने बयान के विपरीत हलफनामा दायर किया।"

इस मामले में अभियोक्ता ने अपनी FIR और CrPc की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज बयान में अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन किया। ट्रायल कोर्ट के समक्ष उसकी पूरी जांच और क्रॉस एग्जामिनेशन किया गया, जहां उसने भी कहानी का समर्थन किया। हालांकि बाद में समय बीतने के बाद उसने घटना से इनकार करते हुए एक हलफनामा दायर किया।

इसके बाद आरोपी ने अभियोक्ता को वापस बुलाने के लिए आवेदन दायर किया, जिसे ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

राज्य ने तर्क दिया कि जहां गवाहों की पूरी जांच और क्रॉस एग्जामिनेशन किया जा चुका है। उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष दी गई अपनी पिछली गवाही से मुकरने के लिए वापस नहीं बुलाया जा सकता है।

ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट का मानना ​​था कि अभियोक्ता को अभियुक्त द्वारा जीत लिया गया था।

उन्होंने कहा,

"अभियोक्ता को निष्पक्ष सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए लेकिन यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि किसी भी पक्ष को यह आवेदन देकर कमी को पूरा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि अभियोक्ता से उसकी क्रॉस एग्जामिनेशन में या ट्रायल कोर्ट के समक्ष उसके बयान के बाद कुछ प्रश्न नहीं पूछे जा सके, जिसे उसने घटना को अंजाम देने से मना कर दिया है।"

तदनुसार, आवेदन खारिज कर दिया गया।

केस टाइटल- राजकुमार अहिरवार बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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