ED की हिरासत में दिया गया धारा 50 PMLA बयान अस्वीकार्य: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 140 करोड़ रुपये के पोस्ता बीज आयात करने के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को जमानत दी
धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत धन शोधन के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने दोहराया कि हिरासत में रहने के दौरान जांच एजेंसी द्वारा धारा 50 PMLA के तहत दर्ज किए गए आरोपी के बयान उसके खिलाफ अस्वीकार्य होंगे।
ऐसा करते हुए उसने यह भी देखा कि वर्तमान मामले में आवेदक के अपराध के संबंध में PMLA की धारा 19 के तहत ED द्वारा बनाई गई राय, सह-आरोपी व्यक्ति के बयान पर आधारित है, जो "प्रथम दृष्टया" अस्वीकार्य है।
पंकज बंसल बनाम भारत संघ और अरविंद केजरीवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय सहित सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए जस्टिस प्रकाश चंद्र गुप्ता ने अपने आदेश में कहा,
"ऊपर उल्लिखित निर्णयों पर विचार करने के बाद यह स्पष्ट है कि PMLA की धारा 19 का पालन न करने की स्थिति में अदालत उन सामग्रियों और संसाधनों की जांच करेगी, जिसके तहत अधिकृत अधिकारी को आरोपी के दोषी होने पर विश्वास करने का कारण देना होगा। अदालत को अपराध के दोषी न होने पर विश्वास करने का कारण देना होगा यानी विश्वास करने का कारण अनिवार्य हो जाता है। यह भी स्पष्ट है कि जब कोई आरोपी PMLA के तहत हिरासत में होता है, चाहे वह जिस भी मामले में हिरासत में हो, PMLA की धारा 50 के तहत उसी जांच एजेंसी के सामने दिया गया कोई भी बयान निर्माता के खिलाफ अस्वीकार्य है। इसके अलावा, गिरफ्तारी तर्कसंगत, निष्पक्ष और कानून के अनुसार होनी चाहिए और केवल अस्वीकार्य साक्ष्य से स्थापित आरोपी के अपराध पर आधारित नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, जिसमें पैराग्राफ 97.2 में कहा गया था कि PMLA की धारा 19 के तहत आदेश का पालन न करने पर गिरफ्तार व्यक्ति को लाभ मिलेगा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आवेदक आसिफ हनीफ थारा और सह-आरोपी व्यक्तियों, जो कथित रूप से 9 बेनामी फर्मों के मालिक हैं। बेनामी संस्थाओं के माध्यम से पोस्तादाना आयात करने के आरोपी हैं, उनके खिलाफ धारा 417, 420 और 120-बी आईपीसी के तहत FIR दर्ज की गई।
ED ने आरोप लगाया कि आवेदक ने राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय द्वारा जारी मौजूदा दिशानिर्देश को दरकिनार करके अपने लिए गलत लाभ प्राप्त करने के इरादे से सरकारी अधिकारियों को धोखा देकर अपनी बेनामी संस्थाओं के नाम पर धोखाधड़ी से आयात प्राधिकरण प्राप्त किया। अधिकारियों को गुमराह करके और उनसे तथ्य छिपाकर देश के कोटे का अधिकतम हिस्सा प्राप्त हासिल किया और सरकारी खजाने को गलत नुकसान पहुंचाया।
ED ने तर्क दिया कि आवेदक ने धोखाधड़ी से लगभग 1.5 करोड़ रुपये के पोस्तादाना का आयात किया। 141.8 करोड़ रुपये जो कि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध से संबंधित "अपराध की आय" है। यह आरोप लगाया गया कि आवेदक देशों से पोस्ता बीज आयात करता था। इसे देश के भीतर घरेलू खरीदारों को बेचता था। ED ने दावा किया कि आवेदक धारा 3 PMLA के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल था।
आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि ED ने PMLA की धारा 19 के तहत प्रावधानों का पालन नहीं किया, जिसमें आवेदक की गिरफ्तारी के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा कारण दर्ज नहीं किए गए और जो कारण दर्ज किए गए हैं, वे सह-आरोपी व्यक्तियों के बयान पर आधारित हैं, जो साक्ष्य में स्वीकार्य नहीं हैं।
यह भी तर्क दिया गया कि PMLA की धारा 50 के तहत हिरासत में लिए गए आवेदक के बयान उचित और अस्वीकार्य नहीं थे। यह तर्क दिया गया कि ED द्वारा कोई सबूत और सामग्री एकत्र नहीं की गई, केवल सह-आरोपी व्यक्तियों के बयान पर भरोसा किया गया, लाइसेंसिंग प्राधिकरण से कोई जानकारी एकत्र नहीं की गई, जिसने आवेदक के पक्ष में लाइसेंस जारी किया। कथित दागी संपत्ति या धन को ED द्वारा निर्दिष्ट नहीं किया गया।
इस बीच ED ने कहा कि PMLA की धारा 45 के तहत उल्लिखित अनिवार्य शर्तों को पूरा करने के बाद ही आरोपी को जमानत पर रिहा किया जा सकता है, जब तक कि अदालत इस बात से संतुष्ट न हो जाए कि आवेदक/आरोपी के दोषी होने का कोई उचित आधार नहीं है। उसके द्वारा कोई अपराध किए जाने की संभावना नहीं है, तभी उसे रिहा किया जा सकता है।
यह प्रस्तुत किया गया कि पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए गए, जो दर्शाते हैं कि आवेदक मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है, जो अपराध की आय है। हालांकि ED के वकील ने कहा कि आवेदक को ED द्वारा न तो बुलाया गया और न ही उसे गिरफ्तार करने से पहले उसका बयान दर्ज किया गया। साथ ही आवेदक से आगे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने कहा कि आवेदक को गिरफ्तारी से पहले बुलाया भी नहीं गया और जांच अधिकारियों द्वारा उसके बयान दर्ज नहीं किए गए। इसने कहा कि ED द्वारा लाइसेंसिंग प्राधिकरण से कोई जानकारी नहीं मांगी गई, जिससे पता चले कि आवेदक ने आयात लाइसेंस प्राप्त करने में धोखाधड़ी की है। इसने आगे कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में PMLA की धारा 19 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया।
इसके बाद हाईकोर्ट ने गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना आवेदक को जमानत दी, बशर्ते कि वह संबंधित निचली अदालत की संतुष्टि के लिए 5,00,000 रुपये का निजी मुचलका और समान राशि के दो जमानतदार प्रस्तुत करे, कुछ शर्तों के अधीन।
केस टाइटल: आसिफ हनीफ थारा बनाम प्रवर्तन निदेशालय