OBC युवक से पैर धुलाने वाले वीडियो पर मीडिया को भेजे नोटिस की रिपोर्ट पेश की जाए: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2025-11-01 13:48 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार (31 अक्टूबर) को अपनी रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह यह स्पष्ट करे कि जिन अखबारों, यूट्यूब चैनलों और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक वीडियो और खबरें प्रकाशित हुई थीं — जिसमें कथित तौर पर एक पिछड़ा वर्ग (OBC) युवक को किसी व्यक्ति के पैर धोने के लिए मजबूर किया गया था — क्या उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं या नहीं।

जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनींद्र कुमार सिंह की खंडपीठ ने आदेश दिया:

“ऑफिस यह स्पष्ट रिपोर्ट दे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और अखबारों को नोटिस दिए गए हैं या नहीं। यदि नहीं दिए गए हैं, तो उन्हें नया नोटिस जारी किया जाए और उनका जवाब मांगा जाए। मामला दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जाए।”

गौरतलब है कि 14 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने उस वायरल वीडियो पर स्वतः संज्ञान (suo motu cognizance) लिया था, जिसमें कथित तौर पर एक ओबीसी समुदाय के युवक को किसी व्यक्ति के पैर धोने और वह पानी पीने के लिए मजबूर किया गया था।

शुक्रवार की सुनवाई के दौरान, हिरासत में लिए गए व्यक्तियों की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ अलग याचिका दायर की है। इस पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और अखबारों के जवाब आने दें, जिनकी रिपोर्टिंग के आधार पर अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया था।

बेंच ने कहा, “हमें यह समझना होगा कि अखबारों और सोशल मीडिया के पास कौन से साक्ष्य थे जिनके आधार पर उन्होंने यह खबर प्रकाशित की, जिस पर अदालत ने संज्ञान लिया। यह रिकॉर्ड पर आने के बाद ही तय होगा कि आप (हिरासत में लिए गए व्यक्ति) जिम्मेदार हैं या नहीं।”

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि हिरासत में लिए गए आरोपियों द्वारा दायर याचिका (WP 41492/2025) को स्वतः संज्ञान मामले के साथ एकसाथ सुना जाएगा।

अब इन मामलों की सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

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