ऑनलाइन जुए को नियंत्रित करने के लिए कड़े कानून की मांग वाली याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा

Update: 2025-05-23 10:12 GMT

ऑनलाइन जुए के मुद्दे और युवाओं पर इसके प्रभाव से संबंधित जनहित याचिका में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और उन्हें चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

निवर्तमान चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने कहा,

"नोटिस जारी किया गया। अमित सेठ, एडिशनल एडवोकेट जनरल प्रतिवादी/राज्य की ओर से नोटिस स्वीकार करते हैं। जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगते हैं। जवाब चार सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए।"

अदालत ऑनलाइन जुए को नियंत्रित करने के लिए सख्त कानून बनाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए राज्य को निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि ऑनलाइन जुए और सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन संचार स्रोतों पर झूठे और मनगढ़ंत विज्ञापन उन्हें कम समय में पैसा कमाने की योजनाओं में फंसाकर गुमराह करते हैं। इसके कारण राज्य के युवा ऑनलाइन जुए में लिप्त हो रहे हैं और अपना पैसा खो रहे हैं।

याचिका में कहा गया कि युवाओं को ऑनलाइन जुए से बचाना राज्य सरकार का कर्तव्य है। याचिका में आगे कहा गया कि वर्तमान में राज्य में ऑनलाइन जुए के रूप में धोखाधड़ी और प्रलोभन से लोगों को रोकने के लिए कोई सख्त नियम नहीं है।

याचिका के अनुसार भारत सरकार ने झूठे और भ्रामक विज्ञापन के संबंध में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अधिसूचना जारी की लेकिन राज्य सरकार ने ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की। इसके अलावा, भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भी ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफार्मों के विज्ञापनों के लिए एक सलाह जारी की लेकिन राज्य के पास ऐसी कोई सलाह नहीं है।

याचिका में आरोप लगाया गया कि ऑनलाइन जुआ प्लेटफॉर्म आजीविका को नुकसान पहुंचाते हैं और युवाओं को अवैध गतिविधियों में भाग लेने के लिए लुभाते हैं। याचिका में कहा गया कि कुछ राज्यों ने ऑनलाइन जुए को विनियमित और नियंत्रित करने के लिए कानून भी बनाए हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश राज्य के पास इसके लिए कोई प्रभावी कानून नहीं है।

केस टाइटल : राजेंद्र प्रसाद गुप्ता बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य, रिट याचिका संख्या 4719/2025

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