OBC Quota: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य को 13% नियुक्तियों के लिए MPPSC द्वारा अलग मेरिट सूची को चुनौती देने वाली अनारक्षित उम्मीदवारों की याचिका में 50 हजार का खर्च देने का आदेश दिया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य को 13% नियुक्तियों को रोकने के सरकारी परिपत्रों को चुनौती देने वाली याचिका को अनावश्यक रूप से लंबा खींचने के लिए 50,000 रुपये का खर्च देने का निर्देश दिया, जो अभी तक एमपी लोक सेवा आयोग द्वारा नहीं की गई।
जस्टिस राज मोहन सिंह और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने मामले में नोटिस प्राप्त होने पर जवाब दाखिल करने में विफल रहने के लिए राज्य की निंदा की। न्यायालय ने पिछले अवसर पर प्रतिवादी राज्य से उन स्टूडेंट्स के नाम और मेरिट रैंकिंग का खुलासा करने के लिए कहा, जो विज्ञापित रिक्तियों के रोके गए 13% पदों पर नियुक्ति के लिए MPPSC द्वारा बनाए गए अलग-अलग सूचियों [अनारक्षित सूची और ओबीसी सूची] में शामिल हैं।
राज्य के अब तक के रुख से संकेत मिलता है कि उन नियुक्तियों पर अंतिम निर्णय केवल OBC Quota को 14% से बढ़ाकर 27% करने से संबंधित मामलों के अंतिम निर्णय के बाद ही किया जाएगा, जो न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं।
इंदौर में बैठी पीठ ने 04.04.2024 के अपने पहले के आदेश का पालन न करने के लिए राज्य के 'दयनीय रवैये' पर अफसोस जताते हुए कहा,
"यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रतिवादी/राज्य किसी ऐसे दोषी अधिकारी पर जिम्मेदारी तय करने के बाद लागत की राशि वसूल सकता है, जिसने समय पर आदेश का पालन नहीं किया।”
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया के लिए मामला 31 जुलाई 2024 को सूचीबद्ध किया गया, बशर्ते कि म.प्र. हाईकोर्ट विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर में 50,000/- रुपए जमा किए जाएं।
गौरतलब है कि अपने आदेश दिनांक 04.04.2024 में हाईकोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश भी दिए थे
“याचिकाकर्ताओं की मेरिट रैंकिंग का भी खुलासा किया जाए रिटर्न में यह भी स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि क्या याचिकाकर्ताओं की तुलना में कम मेरिट रैंकिंग प्राप्त करने वाले किसी उम्मीदवार को 87% रिक्तियों को भरने के लिए नियुक्त किया गया।”
याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट अंशुमान सिंह उपस्थित हुए। राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट दर्शन सोनी ने प्रतिनिधित्व किया।
केस टाइटल- प्रज्ञा शर्मा एवं अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य।