विवाहित पुरुष के साथ रहने से कोई कानून नहीं रोकता, वयस्क महिला को अपनी पसंद का अधिकार: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2025-08-23 06:27 GMT

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कोई भी कानून किसी वयस्क महिला को विवाहित पुरुष के साथ रहने से नहीं रोकता।

अदालत ने स्पष्ट किया कि एक वयस्क महिला को यह अधिकार है कि वह किसके साथ रहना चाहती है और अदालत उसके नैतिक मूल्यों पर टिप्पणी नहीं कर सकती।

जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की खंडपीठ ने यह आदेश हेबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। महिला को अदालत में पेश किया गया तो उसने उस पुरुष के साथ रहने की इच्छा जताई, जिसके साथ वह भागी थी। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि चूंकि वह पुरुष पहले से विवाहित है, इसलिए महिला को अपने माता-पिता के साथ रहना चाहिए।

इस पर अदालत ने कहा,

“कॉर्पस 'X' वयस्क है। उसे एक वस्तु की तरह नहीं देखा जा सकता। उसे अपने जीवन से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार है, चाहे वह सही हो या गलत। जिस व्यक्ति के साथ वह रहना चाहती है, उसके विवाहित होने से कोई कानून उसे रोकता नहीं है। यदि वह उससे विवाह करती है तो यह गैर-संज्ञेय अपराध होगा और केवल पहली पत्नी ही बिगैमी का मामला दर्ज कर सकती है।”

राज्य पक्ष ने अदालत को बताया कि जिस व्यक्ति के साथ महिला रहना चाहती है उसने अपनी पहली पत्नी को छोड़ दिया और तलाक लेने की प्रक्रिया में है।

अदालत ने आगे कहा,

“यह अदालत नैतिकता पर उपदेश नहीं दे सकती। चूंकि कॉर्पस ने अपने माता-पिता के साथ रहने से इनकार कर दिया, इसलिए पुलिस को निर्देशित किया जाता है कि वह उससे यह लिखित आश्वासन लें कि वह अपनी इच्छा से उस व्यक्ति के साथ रह रही है और उस व्यक्ति से भी पुष्टि लें कि उसने महिला की संगति स्वीकार की है।"

इसके साथ ही अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि महिला को तुरंत रिहा किया जाए।

केस टाइटल: एन बनाम मध्यप्रदेश राज्य

Tags:    

Similar News