नाबालिग को बिना लाइसेंस वाहन चलाने देना बीमा पॉलिसी का मूल उल्लंघन: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि वाहन मालिक लापरवाही बरतते हुए किसी नाबालिग को बिना वैध ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चलाने की अनुमति देता है या ऐसा होने देता है तो यह बीमा पॉलिसी की मूल शर्तों का गंभीर उल्लंघन माना जाएगा।
जस्टिस हिमांशु जोशी की एकल पीठ ने कहा कि यह बड़ों का दायित्व है कि नाबालिगों को उन रास्तों पर जाने से रोका जाए, जो उनकी उम्र के अनुकूल नहीं हैं विशेष रूप से वाहन चलाने जैसे कार्य जिसके लिए परिपक्वता और कानूनी अनुमति दोनों आवश्यक हैं।
यह टिप्पणी उस अपील की सुनवाई के दौरान की गई, जिसे बीमा कंपनी ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा दिए गए 76,000 रुपये के मुआवजे के आदेश के खिलाफ दायर किया था। अधिकरण ने बीमा कंपनी को मुआवजा देने का निर्देश दिया था।
मामले की पृष्ठभूमि
7 अक्टूबर, 2024 को हुए हादसे में याचिकाकर्ता गंभीर रूप से घायल हुआ था। दुर्घटना उस समय हुई, जब प्रतिवादी क्रमांक 2 जो नाबालिग था, ने मोटरसाइकिल लापरवाही से संचालित की। वाहन प्रतिवादी क्रमांक 3 के नाम पंजीकृत था।
दावा याचिका में प्रतिवादी 2 और 3 (दोनों भाई) एक्स-पार्टी हो गए थे। बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि नाबालिग चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था और वाहन मालिक केवल यह कहकर दायित्व से नहीं बच सकता कि उसने वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी थी।
अदालत ने माना कि दुर्घटना प्रतिवादी क्रमांक 2 की लापरवाही और अवैध ड्राइविंग के कारण हुई।
न्यायालय ने मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 3, 4 और 5 का हवाला देते हुए कहा,
“निर्धारित आयु से कम कोई भी व्यक्ति वाहन नहीं चला सकता और वाहन मालिक का यह वैधानिक दायित्व है कि वह सुनिश्चित करे कि उसका वाहन बिना वैध लाइसेंस वाले व्यक्ति द्वारा न चलाया जाए।”
अदालत ने यह तर्क खारिज कर दिया कि वाहन मालिक को इसकी जानकारी नहीं थी यह कहते हुए कि उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि वाहन किसी अयोग्य या बिना लाइसेंस व्यक्ति की पहुँच में न हो।
पीठ ने कहा,
“युवा मन की गति अक्सर उनकी समझ से तेज होती है। इसलिए बड़ों का यह पवित्र कर्तव्य है कि वे नाबालिगों को उन राहों पर जाने से रोकें जो उनकी उम्र के अनुरूप नहीं हैं, विशेषकर वाहन चलाने जैसे कार्य।”
न्यायालय ने यह भी कहा कि वाहन को सुरक्षित रखना और नाबालिग की पहुंच से दूर रखना मालिक की जिम्मेदारी थी और वह केवल अनुमति न देने का बहाना बनाकर दायित्व से मुक्त नहीं हो सकता।
अदालत ने कहा कि नाबालिग को वाहन चलाने देना या ऐसा होने देना बीमा पॉलिसी का मौलिक उल्लंघन है और यह उल्लंघन दुर्घटना का प्रत्यक्ष कारण भी बना। इसलिए बीमा कंपनी को दायित्व से मुक्त किया गया।
अदालत ने निर्देश दिया कि बीमा कंपनी पहले अवार्ड राशि जमा करे और बाद में कानून के अनुसार प्रतिवादी 2 और 3 से इसकी वसूली कर सकती है।
इस निर्णय के साथ हाईकोर्ट ने यह संदेश दोहराया कि नाबालिगों को वाहन चलाने देना न केवल अवैध है बल्कि इससे वाहन मालिक की आर्थिक और कानूनी दोनों तरह की जिम्मेदारियाँ गंभीर रूप से बढ़ जाती हैं।