MP हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को वकील का नाम बिना फीस रजिस्टर्ड करने का निर्देश दिया

Update: 2025-09-23 11:19 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में वकील रोहित पाठक के नाम को राज्य बार काउंसिल में अस्थायी रूप से रजिस्टर्ड करने का निर्देश दिया। इस दौरान किसी फीस का भुगतान नहीं करने का निर्देश भी दिया।

यह आदेश उस याचिका पर आया, जिसमें एडवोकेट ने दावा किया था कि उन्होंने अपनी प्रैक्टिस दिल्ली से जबलपुर ट्रांसफर करने के लिए आवेदन किया था। बार काउंसिल ऑफ मध्य प्रदेश ने रजिस्ट्रेशन स्वीकार करने की शर्त के रूप में 15,000 रुपये का अत्यधिक फीस मांगी।

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय साराफ की खंडपीठ ने कहा,

"इस बीच मध्य प्रदेश बार काउंसिल को निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता का नाम अगले आदेश तक बिना किसी प्रकार की फीस लिए अपने रोल में रजिस्टर्ड करे।"

याचिकाकर्ता पहले दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड थे और अपनी प्रैक्टिस मध्य प्रदेश में ट्रांसफर करने के लिए आवेदन किया। उन्होंने बताया कि कानून के अनुसार ऐसा कोई फीस वसूलना वैध नहीं है, बावजूद इसके दिल्ली और मध्य प्रदेश बार काउंसिल ने शुल्क की मांग की, जो कि उन्होंने पहले चुका दिया था।

18 जुलाई को दिल्ली बार काउंसिल से प्रमाणपत्र के साथ आवेदन प्रस्तुत किया गया। हालांकि, मध्य प्रदेश बार काउंसिल ने रजिस्ट्रेशन स्वीकारने के बजाय 15,000 रुपये की मांग की।

याचिकाकर्ता ने एडवोकेट एक्ट, 1961 की धारा 18 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि किसी राज्य के रॉल से दूसरे राज्य के रॉल में ट्रांसफर बिना किसी फीस के होना चाहिए। इसके अलावा, भारतीय बार काउंसिल ने पहले ही उनके नाम के ट्रांसफर को मंजूरी दी थी।

कोर्ट ने इस अंतरिम आदेश के साथ मामला 7 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

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