मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2023 में वकीलों की हड़ताल के लिए बिना शर्त माफ़ी मांगने के बाद राज्य बार काउंसिल के खिलाफ अवमानना कार्यवाही समाप्त की
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने स्व-प्रेरणा जनहित याचिका पर निर्णय करते हुए पिछले वर्ष हड़ताल बुलाने के लिए राज्य बार काउंसिल के खिलाफ अवमानना कार्यवाही समाप्त की।
अदालत ने राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष द्वारा दायर हलफनामे को रिकॉर्ड में लेने के बाद ऐसा किया जिसके अनुसार राज्य बार काउंसिल ने हड़ताल की जिम्मेदारी ली। उनकी बिना शर्त माफ़ी को भी स्वीकार कर लिया।
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने 21 नवंबर के अपने आदेश में कहा कि अवमाननाकर्ताओं द्वारा बिना शर्त माफ़ी मांगे जाने के मद्देनजर, हम अवमाननाकर्ताओं को अवमानना कार्यवाही से मुक्त करते हैं।
यह आदेश 2023 में स्वप्रेरणा से दायर एक जनहित याचिका पर पारित किया गया, जो मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष द्वारा राज्य के पूरे वकील समुदाय को 23 मार्च, 2023 से अदालती काम से दूर रहने के लिए कहने के संचार के परिणामस्वरूप शुरू की गई थी।
जिला अदालतों में लंबे समय से लंबित मामलों के निपटारे के लिए हाईकोर्ट प्रशासन की नीति के खिलाफ राज्य में बड़ी संख्या में वकील हड़ताल पर चले गए थे।
वकील पुराने मामलों के मुद्दे से निपटने के लिए अक्टूबर 2021 में हाईकोर्ट द्वारा शुरू की गई 25 लोन योजना का विरोध कर रहे थे, जो कई सालों से लंबित हैं और जिन पर सुनवाई नहीं हुई है।
इस नीति के अनुसार जिला अदालतों को प्रत्येक अदालत में त्रैमासिक रूप से 25 सबसे पुराने मामलों की पहचान करने और उनका निपटारा करने की आवश्यकता होती है।
24 मार्च, 2023 को अपने आदेश में अदालत ने कहा कि एक वकील का कर्तव्य कानून के शासन को बनाए रखना है। यह वह है जो एक वादी के कानूनी अधिकारों के लिए लड़ता है।
जिला न्यायालयों में लगभग 20 लाख मामले लंबित हैं। हाईकोर्ट में 4 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। लंबित मामलों को कम करने के लिए माननीय हाईकोर्ट द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
प्रतिवादी नंबर 1 (अध्यक्ष, मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल) द्वारा न्यायालयीन कार्य से विरत रहने की कार्रवाई विधिक पेशे के सुस्थापित सिद्धांतों के विपरीत है। प्रतिवादी नंबर 1 किसी अवैध कार्य को करने के लिए नहीं कह सकता।
न्यायालय ने अपने मार्च 2023 के आदेश में सभी अधिवक्ताओं को तत्काल प्रभाव से अपना न्यायालयीन कार्य पुनः आरंभ करने का निर्देश दिया। कहा कि यदि कोई वकील आदेश का पालन नहीं करता या किसी अन्य वकील को न्यायालय में उपस्थित होने से रोकता हुआ पाया जाता है तो उसके विरुद्ध न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी।
न्यायालय ने रजिस्ट्री को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि सभी प्रतिवादियों को याचिका की सूचना के साथ-साथ उपरोक्त निर्देश भी दिए जाएं।
21 नवंबर को हाईकोर्ट ने सभी अवमाननाकर्ताओं की ओर से मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष द्वारा दायर हलफनामे को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें कहा गया कि प्रतिवादी/अवमाननाकर्ता कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमेशा हाईकोर्ट और अन्य न्यायालयों की गरिमा और शिष्टाचार की रक्षा करेंगे और बिना शर्त माफ़ी मांगते हैं।
21 नवंबर के आदेश में कहा गया कि यह भी कहा गया कि प्रतिवादी और वर्तमान अध्यक्ष अत्यंत सम्मानपूर्वक प्रस्तुत करते हैं कि चूंकि हड़ताल का आह्वान मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल द्वारा किया गया। इसलिए मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल उक्त हड़ताल की जिम्मेदारी लेती है।
बार काउंसिल ने सभी प्रतिवादियों यानी मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल के सदस्यों और मध्य प्रदेश के सभी बार एसोसिएशनों के अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ लंबित अवमानना कार्यवाही को वापस लेने का अनुरोध भी किया।
न्यायालय ने अवमाननाकर्ताओं द्वारा पेश की गई बिना शर्त माफ़ी को स्वीकार कर लिया और अवमानना कार्यवाही को समाप्त कर दिया।
तदनुसार रिट याचिका का निपटारा किया गया।
केस टाइटल: संदर्भ में (स्वप्रेरणा से) बनाम अध्यक्ष, राज्य बार काउंसिल ऑफ एमपी एवं अन्य