विवाहित महिला शादी के झूठे वादे पर बलात्कार के आरोपी पर मुकदमा नहीं चला सकती, उसकी सहमति गलत धारणा पर आधारित नहीं: एमपी हाईकोर्ट

Update: 2024-07-01 06:28 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि किसी अन्य पुरुष के साथ लगातार यौन संबंध बनाने वाली विवाहित महिला यह दलील नहीं दे सकती कि उसकी सहमति शादी के झूठे वादे के आधार पर ली गई।

जस्टिस संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों पर भरोसा करते हुए दोहराया कि सहमति को तथ्य की गलत धारणा के आधार पर प्राप्त सहमति नहीं माना जा सकता, जब अभियोक्ता आरोपी के साथ शारीरिक संबंध बनाने की तारीख पर विवाहित महिला थी। तथ्यात्मक परिस्थितियों से न्यायालय ने यह भी अनुमान लगाया कि यह सहमति से किया गया संबंध था, जो 2019 में अभियोक्ता द्वारा अपने पति से तलाक की डिक्री प्राप्त करने से पहले 8 वर्षों से अधिक समय तक जारी रहा।

इंदौर में बैठी पीठ ने टिप्पणी की:

“शारीरिक संबंध विकसित करने की तिथि पर अभियोक्ता विवाहित महिला थी और विवाह के झूठे वादे पर याचिकाकर्ता के समक्ष आत्मसमर्पण करना तथ्य की गलत धारणा पर प्राप्त सहमति की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता। यहां यह मामला है कि शारीरिक संबंध विकसित करने की तारीख पर विवाह के वादे का प्रश्न ही नहीं उठता, वह भी विवाहित महिला के साथ, क्योंकि वह याचिकाकर्ता के साथ 8 वर्षों की लंबी अवधि तक संबंध में रही।”

आरोपी के खिलाफ बलात्कार की एफआईआर खारिज करते हुए न्यायालय ने पुष्टि की कि तथ्य की गलत धारणा के आधार पर अभियोक्ता द्वारा अभियोक्ता से कोई सहमति प्राप्त नहीं की गई। इसलिए धारा 376 आईपीसी का आरोप कायम नहीं रहेगा।

उन्होंने कहा:

“यह उचित मामला है, जिसमें एफआईआर को इस आधार पर रद्द किया जा सकता है कि यदि एफआईआर में वर्णित तथ्यों को उनके अंकित मूल्य पर सत्य माना जाता है भले ही 376 का अपराध न बनता हो, क्योंकि मौजूदा तथ्य आईपीसी की धारा 375 की आवश्यकता को पूरा नहीं करते हैं, इसलिए आईपीसी की धारा 90 की सहमति की आवश्यकता भी पूरी नहीं होती है।”

तदनुसार, न्यायालय ने नईम अहमद बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली), 2023 लाइव लॉ (एससी) 66 और XXX बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य (2024) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों पर भरोसा करते हुए नोट किया।

भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (एन) और 506 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए पुलिस स्टेशन पिपलानी, जिला भोपाल में दिनांक 19.05.2019 को आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, अभियोक्ता ने उससे शादी करने का वादा करने के बाद आरोपी के साथ शारीरिक संबंध बनाए, जिसके कारण वह गर्भवती हो गई। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने से पहले आरोपी और अभियोक्ता के बीच 8 साल से अधिक समय तक सहमति से शारीरिक संबंध थे।

2012 में पीड़िता मेटा (पूर्व में फेसबुक) के माध्यम से आरोपी के संपर्क में आई और भोपाल में आरोपी से मिलने-जुलने लगी। पुलिस के अनुसार आरोपी ने अभियोक्ता से शादी करने का वादा किया, जो उस समय अपनी बहन की शादी के तुरंत बाद लखनऊ में अपने पति के साथ रह रही थी।

एफआईआर दर्ज होने से पहले दोनों भोपाल में ही पति-पत्नी की तरह रह रहे थे, जैसा कि धारा 164 सीआरपीसी के बयान में बताया गया। बाद में उसने अभियोक्ता को छोड़ दिया और अभियोक्ता द्वारा अपने पति से तलाक लेने के बाद दूसरी लड़की से शादी करने का फैसला किया, ऐसा राज्य और प्रतिवादी नंबर 2-अभियोक्ता द्वारा आरोप लगाया गया था।

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