मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को जांच के लिए सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड सौंपने का निर्देश दिया
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को अग्रिम जमानत देते हुए उसे अपने सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पासवर्ड जांच एजेंसी को सौंपने का निर्देश दिया। अदालत ने आवेदक को सभी दस्तावेज और पीड़िता की अंतरंग तस्वीरें जांच एजेंसी और पीड़िता को सौंपने का भी निर्देश दिया।
जस्टिस देवनारायण मिश्रा की एकल पीठ ने कहा,
"आवेदक को जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया जाता है और उसे अपने पास मौजूद सभी दस्तावेज और पीड़िता की अंतरंग तस्वीरें जांच एजेंसी और पीड़िता को सौंपनी चाहिए। आवेदक को अपने सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जैसे मोबाइल, लैपटॉप आदि को जांच एजेंसी को सौंपना चाहिए। अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि के पासवर्ड भी जांच के लिए सौंपने चाहिए। अगर कोई आपत्तिजनक सामग्री मिलती है तो उसे पीड़िता और एजेंसी को सौंपना चाहिए। जांच एजेंसी डिजिटल परिधीय उपकरणों से डेटा प्राप्त करने/लेने के बाद आवेदक के सभी गैजेट वापस कर देगी।"
वर्तमान आवेदन भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 482/सीआरपीसी, 1973 की धारा 438 के तहत दायर किया गया, जिसमें आईपीसी की धारा 376(2)(एन) के तहत दंडनीय अपराध के लिए अग्रिम जमानत मांगी गई।
आवेदक के वकील ने प्रस्तुत किया कि आवेदक और पीड़िता बालिग हैं। दोनों इंजीनियर के रूप में काम करते हैं। 2006 से उनके बीच मैत्रीपूर्ण संबंध थे। 2010 से 2018 तक उनके बीच सहमति से संबंध थे। वर्ष 2018 में आवेदक बैंगलोर में काम कर रहा था। उसके बाद उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई। चूंकि FIR 10.12.2024 को दर्ज की गई, इसलिए आवेदक के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता।
आपत्तिकर्ता के वकील ने कहा कि अग्रिम जमानत का कोई मामला नहीं बनता है, क्योंकि शादी के नाम पर आवेदक ने 8 से 10 साल तक पीड़िता की निजता का हनन किया। बार-बार उससे शादी का वादा किया लेकिन बाद में मुकर गया। इस प्रकार यह पीड़िता की निजता का हनन करने का स्पष्ट मामला है, जो आईपीसी की धारा 376(2)(एन) के तहत दंडनीय है, इसलिए आवेदक की अग्रिम जमानत खारिज की जाए।
राज्य के वकील ने कहा कि आवेदक ने न केवल उसकी निजता का हनन किया बल्कि उसकी तस्वीरें अपने दोस्तों को भी भेजीं, इसलिए हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत है।
अदालत ने इस तथ्य पर विचार किया कि दोनों 2010 से 2018 तक लंबे समय तक रिलेशनशिप में थे। वे अलग-अलग जगहों पर सेवा दे रहे थे लेकिन तब निजता के हनन का कोई आरोप नहीं लगा। 2024 में FIR दर्ज की गई और दोनों बालिग हैं। इस प्रकार अदालत ने मामले की योग्यता पर टिप्पणी किए बिना आवेदक को अग्रिम जमानत दी।
अदालत ने आवेदक को निर्देश दिया कि वह अपने पास मौजूद सभी दस्तावेज और पीड़िता की अंतरंग तस्वीरें जांच एजेंसी और पीड़िता को सौंप दे। इसके अलावा, अदालत ने उसे अपने सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जैसे मोबाइल, लैपटॉप आदि को जांच एजेंसी को सौंपने का भी निर्देश दिया। साथ ही अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि के पासवर्ड भी जांच के लिए सौंपने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: तेज नारायण शर्मा बनाम मध्य प्रदेश राज्य, विविध आपराधिक प्रकरण संख्या 2736 वर्ष 2025