बिना इरादे के शरीर के किसी महत्वपूर्ण अंग को चोट पहुंचाना हत्या का प्रयास नहीं: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ताओं के सिर पर लकड़ी के लट्ठे से वार करके 'हत्या के प्रयास' के आरोपी दो लोगों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट का फैसला बरकरार रखा और कहा कि हत्या के इरादे के बिना शरीर के किसी महत्वपूर्ण अंग को चोट पहुंचाना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 307 के तहत नहीं आता।
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस जय कुमार पिल्लई की खंडपीठ ने कहा;
"अपीलकर्ताओं और अभियुक्तों के बीच पहले से कोई दुश्मनी नहीं थी। विवाद अचानक हुआ। विवाद बहुत मामूली था, इसलिए किसी कठोर और कुंद वस्तु से वार करने के पीछे हत्या का इरादा नहीं हो सकता। लकड़ी का लट्ठा या लाठी घातक हथियार नहीं हैं। इसलिए केवल महत्वपूर्ण हिस्से पर चोट पहुंचाई गई। हालांकि, यह हत्या के इरादे से नहीं किया गया। ट्रायल कोर्ट ने आरोपित फैसले के पैरा 87 से 100 में चोटों और IPC की धारा 325 के तहत दोषसिद्धि पर सही ढंग से चर्चा की। इसलिए हमें आरोपों और सजा में वृद्धि के लिए इस अपील को स्वीकार करने का कोई आधार नहीं मिलता है।"
अभियोजन पक्ष के अनुसार, घायल पक्ष शिकायतकर्ता के पिता और भाई हैं। भाई ऑटो चालक है, आमतौर पर घर के सामने गाड़ी पार्क करता है। हालांकि, पड़ोसियों (प्रतिवादी नंबर 2 और 3) ने उस जगह पर अतिक्रमण कर लिया। 30 नवंबर, 2018 को रात 8:30 बजे जब भाई लौटा तो उसने पड़ोसियों से उक्त अतिक्रमण हटाने के लिए कहा। हालांकि, पड़ोसी लकड़ी का लट्ठा लेकर बाहर आए और उसके पिता और भाई पर हमला कर दिया।
इसके बाद IPC के अंतर्गत हत्या के प्रयास (धारा 307), जानबूझकर चोट पहुंचाने की सज़ा (धारा 323), गंभीर चोट पहुँचाने की सज़ा (धारा 325), अश्लील कृत्य और गाने (धारा 294), आपराधिक धमकी की सज़ा (धारा 506) और सामान्य इरादे (धारा 34) के तहत FIR दर्ज की गई।
27 दिसंबर, 2018 को अधिकारियों ने फाइनल रिपोर्ट दायर की और सेशन कोर्ट ने जानबूझकर चोट पहुंचाने की सज़ा (धारा 323), गंभीर चोट पहुंचाने की सज़ा (धारा 325) के तहत आरोप तय किए और दोषसिद्धि का आदेश पारित किया।
हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने IPC की धारा 307 के तहत आरोपियों को बरी कर दिया।
पीड़ित पक्षकारों ने आरोपों में वृद्धि की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यह दावा किया गया कि पड़ोसियों ने जान से मारने के इरादे से हमला किया और पिता और भाई के सिर पर लकड़ी के लट्ठे से वार किया, जो शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसलिए अभियुक्त को धारा 307 के तहत दोषी ठहराया जाना चाहिए, न कि धारा 325 के तहत।
घायल पक्ष की मेडिकल रिपोर्ट की जांच करते हुए अदालत ने पाया कि कोई सक्रिय सर्जरी नहीं की गई और पार्श्विका में एक छोटा सा घाव, बाएं टेम्पोरल में एक छोटा सा घाव और मास्टॉयड हड्डी में फ्रैक्चर है।
अदालत ने कहा कि डॉक्टर ने अपनी गवाही में कहा कि पिता को लगी सिर की चोट सामान्य है। इसके साथ ही अदालत ने अपील खारिज कर दी।
Case Title: Himanshu Sarwan v State of MP (CRA-5705-2025)