AMRUT 2.0 परियोजना को मिली हाईकोर्ट से राहत, अधूरी AMRUT 1.0 के आधार पर नई योजना रोकने से इनकार

Update: 2025-11-30 04:34 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को AMRUT 2.0 परियोजना को मंजूरी देने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि AMRUT 1.0 का पूरी तरह लागू न होना या सरकारी खर्च बढ़ने की आशंका, शहर की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए नई पेयजल योजना शुरू करने से नहीं रोक सकती।

चीफ़ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सर्राफ की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि—

“पहली योजना के अधूरे रहने का मतलब यह नहीं कि राज्य सरकार और नगर निगम भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बेहतर योजना न बना सकें।”

याचिकाकर्ता ने इंदौर नगर निगम द्वारा 7 अक्टूबर 2023 और मेयर-इन-काउंसिल द्वारा 14 सितंबर 2023 को पारित उस प्रस्ताव को चुनौती दी थी जिसमें ताज़े पानी की आपूर्ति के लिए AMRUT 2.0 के तहत डीपीआर (DPR) को मंजूरी दी गई थी। याचिका में तर्क दिया गया कि 2011 में शुरू हुई AMRUT 1.0 योजना अधूरी रह गई, इसलिए नई योजना से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

कोर्ट ने रिकॉर्ड का अध्ययन करते हुए पाया कि—

• 2011 में इंदौर की आबादी 19 लाख थी,

• 29 गाँव जुड़ने के बाद यह 22 लाख हो गई,

• नगर सीमा में 280 वर्ग किलोमीटर का विस्तार भी हुआ।

योजना में अनुमान है कि 2050 तक इंदौर की आबादी 82 लाख से ज्यादा हो सकती है। वर्तमान में शहर में 323 MLD पानी की आपूर्ति होती है, जबकि 97.69 MLD की कमी है। AMRUT 2.0 में इसे बढ़ाकर 1650 MLD करने का प्रस्ताव है।

कोर्ट ने कहा:

“विशेषज्ञों—टाउन प्लानर्स, इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों—ने बढ़ती आबादी और विस्तारित नगर क्षेत्र को देखते हुए पानी की आपूर्ति बढ़ाने की आवश्यकता बताई है। ऐसे में वित्तीय बोझ नई योजना रोकने का कारण नहीं बन सकता।”

खंडपीठ ने यह भी कहा कि पुरानी योजना को लागू हुए 14 साल बीत चुके हैं, इसलिए बदली हुई परिस्थितियों में नई योजना बनाना बिल्कुल आवश्यक है।

अंत में, कोर्ट ने कहा कि कोई वैध आधार न होने पर याचिका खारिज की जाती है।

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