गवाह की गैरमौजूदगी पर त्वरित सजा – भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 389

Update: 2025-03-17 15:58 GMT
गवाह की गैरमौजूदगी पर त्वरित सजा – भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 389

न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) में गवाह (Witness) की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। एक गवाह अपनी गवाही (Testimony) और सबूतों (Evidence) के माध्यम से अदालत को सही निर्णय लेने में मदद करता है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि अदालत द्वारा बुलाए जाने के बावजूद गवाह बिना किसी उचित कारण के हाजिर नहीं होता।

इस समस्या को हल करने के लिए, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 389 में एक संक्षिप्त प्रक्रिया (Summary Procedure) का प्रावधान किया गया है। इसके तहत, यदि कोई गवाह बिना किसी वैध कारण के अनुपस्थित रहता है, तो अदालत उसे त्वरित रूप से दंडित (Punish) कर सकती है।

गवाह का अदालत में उपस्थित होना क्यों आवश्यक है? (Legal Obligation of a Witness – Section 389(1))

धारा 389(1) में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई गवाह अदालत के आदेश (Summons) के बावजूद तय समय और स्थान पर नहीं आता, तो यह कानूनी उल्लंघन (Legal Violation) माना जाएगा।

गवाह की अनुपस्थिति निम्नलिखित तरीकों से हो सकती है:

1. गवाह बिल्कुल उपस्थित नहीं होता और अदालत के समन (Summons) की अवहेलना करता है।

2. गवाह देर से आता है और सुनवाई (Hearing) में बाधा उत्पन्न करता है।

3. गवाह अदालत परिसर छोड़कर चला जाता है जबकि उसे वहां उपस्थित रहना जरूरी होता है।

यदि अदालत को लगता है कि गवाह की गैरमौजूदगी न्याय की प्रक्रिया (Justice Process) को बाधित कर रही है, तो वह इस अपराध (Offence) पर तुरंत संज्ञान (Cognizance) ले सकती है और त्वरित सुनवाई कर सकती है।

गवाह को सफाई देने का अवसर (Opportunity to Show Cause – Section 389(1))

किसी भी व्यक्ति को बिना कारण सुने दंडित नहीं किया जा सकता। इसलिए, अदालत को यह सुनिश्चित करना होता है कि गवाह को अपनी अनुपस्थिति का कारण बताने का मौका मिले।

अगर गवाह अदालत में यह साबित कर देता है कि उसकी अनुपस्थिति का कोई वाजिब कारण (Justifiable Reason) था, तो उसे सजा नहीं दी जाएगी। उदाहरण के लिए:

• स्वास्थ्य संबंधी आपातकाल (Medical Emergency)

• कोई अप्रत्याशित दुर्घटना (Unexpected Accident)

• परिवार में कोई संकट (Family Crisis)

लेकिन यदि अदालत को लगता है कि गवाह ने जानबूझकर अनुपस्थित रहने का बहाना बनाया है, तो उसे अधिकतम ₹500 का जुर्माना (Fine) लगाया जा सकता है।

संक्षिप्त सुनवाई प्रक्रिया (Summary Trial Procedure – Section 389(2))

धारा 389(2) यह बताती है कि गवाह की अनुपस्थिति के मामलों में संक्षिप्त सुनवाई (Summary Trial) की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। संक्षिप्त सुनवाई का उद्देश्य छोटे अपराधों (Minor Offences) के मामलों को जल्दी निपटाना होता है।

संक्षिप्त सुनवाई की विशेषताएँ:

• जल्दी फैसला – इसमें लंबी कानूनी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती।

• अपराध का त्वरित संज्ञान – अदालत तुरंत निर्णय ले सकती है।

• ₹500 तक का जुर्माना – यह सुनिश्चित करता है कि सजा अपराध के अनुरूप हो।

संक्षिप्त प्रक्रिया से यह फायदा होता है कि अदालत का समय बर्बाद नहीं होता और गवाहों को भी यह समझ में आता है कि अदालत में उपस्थित रहना उनका कर्तव्य (Duty) है।

अन्य संबंधित प्रावधान (Relation with Other Provisions – Sections 384 to 388)

धारा 389 अन्य कई प्रावधानों से जुड़ी हुई है, जो अदालत के आदेशों की अवहेलना (Contempt of Court) और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने वालों के लिए सजा निर्धारित करते हैं:

1. धारा 384 – यदि कोई व्यक्ति अदालत के सामने उसका अपमान (Contempt) करता है, तो उसे अदालत तत्काल दंडित कर सकती है।

2. धारा 385 – कुछ गंभीर मामलों में अदालत स्वयं दंडित करने की बजाय मजिस्ट्रेट (Magistrate) को मामला भेज सकती है।

3. धारा 386 – कुछ विशेष परिस्थितियों में रजिस्ट्रार (Registrar) और सब-रजिस्ट्रार (Sub-Registrar) को भी अदालत के समान अधिकार दिए जाते हैं।

4. धारा 387 – यदि दोषी व्यक्ति माफी मांग लेता है या अदालत के आदेश का पालन करने को तैयार हो जाता है, तो उसे दंड से मुक्त किया जा सकता है।

5. धारा 388 – यदि कोई गवाह अदालत में सवालों का जवाब देने से इंकार करता है या दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं करता, तो उसे दंडित किया जा सकता है।

धारा 389 इन सभी प्रावधानों के साथ मिलकर अदालत की गरिमा बनाए रखने में मदद करती है और यह सुनिश्चित करती है कि गवाह अपने कर्तव्य का पालन करें।

उदाहरण (Illustrations of Section 389)

उदाहरण 1: समन के बावजूद अनुपस्थित रहने वाला गवाह

रामेश्वर एक चोरी के मामले (Theft Case) का प्रमुख गवाह है। अदालत से समन मिलने के बावजूद वह कोर्ट नहीं पहुंचता क्योंकि उसे अदालत जाने में परेशानी होती है। चूंकि उसके पास कोई वैध कारण नहीं था, न्यायाधीश उसे ₹500 का जुर्माना लगाते हैं।

उदाहरण 2: गवाह का बिना अनुमति अदालत से चले जाना

नेहा एक धोखाधड़ी के मामले (Fraud Case) की गवाह है। वह अदालत में उपस्थित होती है, लेकिन न्यायाधीश के बुलाने से पहले ही अदालत से बाहर चली जाती है। न्यायाधीश इस पर संज्ञान लेते हैं और उसके खिलाफ धारा 389 के तहत संक्षिप्त सुनवाई कर जुर्माना लगाते हैं।

उदाहरण 3: उचित कारण बताने पर सजा से छूट

अजय को हिट एंड रन (Hit and Run) मामले में गवाही देने के लिए बुलाया जाता है, लेकिन वह गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है। वह अदालत में अस्पताल के दस्तावेज प्रस्तुत करता है, जिससे यह साबित होता है कि वह सच में उपस्थित नहीं हो सकता था। न्यायाधीश उसे दंडित नहीं करते क्योंकि उसका अनुपस्थित रहना न्यायसंगत था।

धारा 389 का महत्व (Importance of Section 389)

धारा 389 का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गवाह अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लें और अदालत के समन की अवहेलना न करें।

यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावी बनाए रखने में सहायक है और निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है:

• न्यायिक कार्यवाही (Judicial Proceedings) में अनावश्यक देरी नहीं होती।

• गवाहों को यह एहसास होता है कि अदालत के आदेशों का पालन करना अनिवार्य है।

• छोटे अपराधों (Minor Offences) के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से बचा जा सकता है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 389 एक स्पष्ट और प्रभावी कानून है, जो सुनिश्चित करता है कि गवाह अदालत के समन को हल्के में न लें। यह कानून न्यायालय को यह अधिकार देता है कि वह संक्षिप्त प्रक्रिया के माध्यम से गवाहों की अनुपस्थिति पर त्वरित कार्रवाई कर सके।

साथ ही, यह कानून यह भी सुनिश्चित करता है कि गवाह को अपनी अनुपस्थिति का कारण बताने का उचित अवसर दिया जाए, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष बनी रहे।

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