गवाह के बयान की वापसी और कार्यवाही का स्थगन: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के सेक्शन 323 और 324

Update: 2024-12-28 11:40 GMT

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita - BNSS) का उद्देश्य भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाना और इसे अधिक प्रभावी बनाना है। इसके सेक्शन 319 से 324 गवाहों की जांच के लिए commission जारी करने की प्रक्रिया पर केंद्रित हैं।

इनमें सेक्शन 323 और 324 विशेष रूप से executed commissions की वापसी और गवाह के बयान के लिए कार्यवाही स्थगित (Adjournment) करने की शक्ति पर चर्चा करते हैं।

इन प्रावधानों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न्यायिक प्रक्रिया में कोई अनावश्यक विलंब न हो, भले ही गवाहों की उपस्थिति में व्यावहारिक कठिनाइयां हों। इन सेक्शनों को समझने के लिए यह भी आवश्यक है कि हम सेक्शन 319, 320, 321 और 322 के प्रावधानों को ध्यान में रखें, जो गवाहों के लिए commission जारी करने और उसे पूरा करने की नींव रखते हैं।

सेक्शन 319 से 322: गवाहों की जांच के लिए Commission की प्रक्रिया

सेक्शन 319 के तहत, जब किसी गवाह की उपस्थिति में देरी, खर्च या असुविधा का जोखिम हो, तो न्यायालय commission जारी कर सकता है। सेक्शन 320 यह निर्धारित करता है कि commission किसे भेजा जाना चाहिए, गवाह की भौगोलिक स्थिति के आधार पर।

सेक्शन 321 में commission के निष्पादन (Execution) के लिए Chief Judicial Magistrate या अन्य अधिकारियों की भूमिका बताई गई है। वहीं, सेक्शन 322 यह सुनिश्चित करता है कि पक्षकार (Parties) गवाह की जांच प्रक्रिया में शामिल हो सकें।

सेक्शन 323: Commission की वापसी और उसका साक्ष्य में उपयोग

सेक्शन 323 यह सुनिश्चित करता है कि जब कोई commission निष्पादित हो जाता है, तो उसे गवाह के बयान (Deposition) के साथ उस न्यायालय या मजिस्ट्रेट को वापस किया जाए जिसने उसे जारी किया था। यह प्रक्रिया न्यायिक कार्यवाही की निरंतरता बनाए रखती है और बयान को मामले के रिकॉर्ड का हिस्सा बनाती है।

बयान का निरीक्षण और साक्ष्य के रूप में उपयोग

वापस किया गया commission और गवाह का बयान दोनों पक्षों के निरीक्षण (Inspection) के लिए खुले होते हैं। यह पारदर्शिता (Transparency) प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को बनाए रखने में मदद करती है। दोनों पक्ष, चाहे वह अभियोजन (Prosecution) हो या बचाव पक्ष (Defense), बयान की समीक्षा कर सकते हैं और अपनी दलीलें (Arguments) तैयार कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि किसी गवाह का बयान एक सुदूर गांव में रिकॉर्ड किया गया है और इसे न्यायालय को भेजा गया है, तो इसे ट्रायल रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा। यह बयान, सभी उचित आपत्तियों (Just Exceptions) को देखते हुए, मामले में साक्ष्य के रूप में पढ़ा जा सकता है।

आगे के चरणों में साक्ष्य के रूप में उपयोग

सेक्शन 323(2) के तहत, यदि बयान भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (Bharatiya Sakshya Adhiniyam) के सेक्शन 27 की शर्तों को पूरा करता है, तो इसे मामले के बाद के चरणों में भी स्वीकार किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि गवाह का बयान, न्यायालय बदलने की स्थिति में भी, वैध (Valid) और उपयोगी बना रहे।

उदाहरण के लिए, यदि एक मामला किसी अन्य न्यायालय में स्थानांतरित हो जाता है, तो commission के तहत दर्ज गवाही का साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इससे समय की बचत होती है और गवाहों पर दोबारा बयान देने का बोझ नहीं पड़ता।

सेक्शन 324: कार्यवाही का स्थगन (Adjournment of Proceedings)

सेक्शन 324 यह अधिकार देता है कि जब सेक्शन 319 के तहत कोई commission जारी किया जाता है, तो कार्यवाही को एक निश्चित अवधि के लिए स्थगित किया जा सकता है। यह स्थगन उस समय सीमा तक सीमित होता है, जो commission को निष्पादित और वापस करने के लिए पर्याप्त हो।

न्याय और व्यावहारिकता के बीच संतुलन

यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि गवाह के बयान की प्रक्रिया के लिए पर्याप्त समय दिया जाए, लेकिन न्याय में अनावश्यक विलंब न हो। न्यायालय स्थगन की अवधि तय करते समय गवाह की दूरी, प्रक्रिया की जटिलता और मामले की तात्कालिकता जैसे कारकों पर विचार करते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि किसी विदेशी गवाह की गवाही रिकॉर्ड करनी हो, तो न्यायालय दो महीने का समय दे सकता है ताकि commission पूरा हो सके। यह अवधि न तो अत्यधिक लंबी होनी चाहिए और न ही इतनी कम कि निष्पादन में बाधा उत्पन्न हो।

उदाहरण

1. सुदूर क्षेत्र में गवाह का बयान

एक हत्या के मामले में, एक महत्वपूर्ण गवाह हिमालय के एक सुदूर गांव में रहता है। न्यायालय सेक्शन 319 के तहत commission जारी करता है और स्थानीय मजिस्ट्रेट को गवाही दर्ज करने का निर्देश देता है। बयान को ट्रायल रिकॉर्ड का हिस्सा बनाया जाता है, और इस दौरान कार्यवाही सेक्शन 324 के तहत स्थगित कर दी जाती है।

2. अंतर्राष्ट्रीय गवाह की गवाही

एक वित्तीय धोखाधड़ी मामले में, गवाह ब्रिटेन में रहता है। न्यायालय सेक्शन 320 के तहत commission जारी करता है, और गवाह का बयान रिकॉर्ड कर भेजा जाता है। न्यायालय इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मामले की सुनवाई को उचित समय के लिए स्थगित करता है।

3. मामले का स्थानांतरण

एक ड्रग तस्करी मामले में, यदि ट्रायल किसी विशेष न्यायालय में स्थानांतरित हो जाता है, तो commission के तहत रिकॉर्ड की गई गवाही नए न्यायालय में भी साक्ष्य के रूप में उपयोगी रहती है।

आपस में जुड़ी प्रक्रियाएं

सेक्शन 323 और 324, सेक्शन 319 से 322 के साथ मिलकर गवाह की गवाही को commission के माध्यम से प्रबंधित करने के लिए एक संगठित प्रणाली बनाते हैं।

जहां सेक्शन 319 गवाह की अनुपस्थिति की स्थिति में commission की आवश्यकता को स्थापित करता है, वहीं सेक्शन 320 से 322 इसके निष्पादन को सुनिश्चित करते हैं। सेक्शन 323 और 324 इस प्रक्रिया के बाद गवाही को न्यायिक प्रक्रिया में शामिल करने की व्यवस्था करते हैं।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के सेक्शन 323 और 324 न्यायिक प्रक्रिया में गवाह की गवाही की अहमियत को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये प्रावधान सुनिश्चित करते हैं कि commission की प्रक्रिया को सुचारू रूप से अंजाम दिया जाए और न्यायिक प्रक्रिया में किसी भी तरह की देरी को रोका जा सके।

इन प्रावधानों के माध्यम से संहिता यह दर्शाती है कि यह न्याय को अधिक प्रभावी, आधुनिक और समावेशी बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है।

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