Injunction से संबंधित वादों में न्यायालय शुल्क की गणना – धारा 26 राजस्थान न्यायालय शुल्क अधिनियम

Update: 2025-04-12 12:22 GMT
Injunction से संबंधित वादों में न्यायालय शुल्क की गणना – धारा 26 राजस्थान न्यायालय शुल्क अधिनियम

राजस्थान न्यायालय शुल्क और वाद मूल्यांकन अधिनियम की धारा 26 उन वादों से संबंधित है जिनमें वादी अदालत से निषेधाज्ञा (injunction) की मांग करता है। निषेधाज्ञा एक प्रकार का आदेश होता है जिसमें अदालत प्रतिवादी को किसी कार्य को करने या न करने का निर्देश देती है। यह धारा बताती है कि ऐसे वादों में न्यायालय शुल्क कैसे गणना किया जाएगा।

धारा 26 की व्याख्या करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि इस अधिनियम में विभिन्न प्रकार के वादों के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारण की व्यवस्था की गई है:

• धारा 21: धन की वसूली के लिए वाद

• धारा 22: भरण-पोषण या वार्षिकी से संबंधित वाद

• धारा 23: चल संपत्ति या दस्तावेज़ों से संबंधित वाद

• धारा 24: केवल घोषणा (declaration) के लिए वाद

• धारा 25: विशिष्ट निषेधाज्ञा (specific performance) से संबंधित वाद

इन धाराओं के क्रम में, धारा 26 केवल निषेधाज्ञा की मांग वाले वादों पर लागू होती है।

धारा 26 का उद्देश्य

यह धारा इस बात की स्पष्टता देती है कि जब वादी अदालत से केवल निषेधाज्ञा चाहता है, तो न्यायालय शुल्क किस आधार पर तय होगा। यह धारा तीन श्रेणियों में बाँटी गई है—(a), (b), और (c)—और प्रत्येक श्रेणी की प्रकृति के अनुसार शुल्क की गणना का तरीका निर्धारित किया गया है।

अब आइए हर उपखंड को सरल भाषा में समझते हैं।

उपखंड (a): अचल संपत्ति (Immovable Property) से संबंधित निषेधाज्ञा

यदि वादी निषेधाज्ञा की मांग इस आधार पर करता है कि वह किसी अचल संपत्ति का मालिक है और प्रतिवादी उसके स्वामित्व को नकार रहा है, तो शुल्क निम्न में से जो अधिक हो उस पर आधारित होगा:

• संपत्ति के बाजार मूल्य का आधा भाग,

या

• 300 रुपये

उदाहरण: यदि संपत्ति का बाजार मूल्य 10 लाख रुपये है, तो शुल्क 5 लाख रुपये के आधार पर लगेगा, लेकिन यदि संपत्ति का मूल्य केवल 400 रुपये होता, तब भी न्यूनतम शुल्क 300 रुपये देना ही पड़ता।

यह उपखंड धारा 24(b) से जुड़ा हुआ है, जिसमें वादी घोषणा के साथ निषेधाज्ञा की मांग करता है। वहाँ शुल्क संपत्ति के आधे बाजार मूल्य पर लगता है। लेकिन धारा 26(a) में केवल निषेधाज्ञा की मांग होती है—बिना किसी घोषणा के।

उपखंड (b): बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) से संबंधित निषेधाज्ञा

यदि वादी किसी विशिष्ट अधिकार, जैसे—

• नाम,

• चिह्न (Trademark),

• पुस्तक,

• चित्र,

• डिज़ाइन आदि

का उल्लंघन (infringement) रोकने के लिए निषेधाज्ञा चाहता है, तो शुल्क निम्न में से जो अधिक हो, उस पर आधारित होगा:

• वादी द्वारा याचिका में बताई गई राहत की कीमत

या

• 500 रुपये

उदाहरण: मान लीजिए कोई लेखक अपनी किताब को किसी और द्वारा प्रकाशित करने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा चाहता है और उसने उस अधिकार का मूल्य 700 रुपये बताया है, तो शुल्क 700 रुपये के आधार पर लगेगा। यदि मूल्य 300 रुपये बताया गया है, तब भी 500 रुपये शुल्क देना होगा।

यह प्रावधान धारा 24(c) से जुड़ा हुआ है, जहां वादी घोषणा के साथ विशिष्ट अधिकार की पुष्टि चाहता है। लेकिन धारा 26(b) में केवल निषेधाज्ञा की मांग होती है।

उपखंड (c): अन्य सभी प्रकार के निषेधाज्ञा वाद

यदि निषेधाज्ञा की मांग अचल संपत्ति से संबंधित नहीं है और न ही विशिष्ट अधिकार के उल्लंघन से जुड़ी है, तो शुल्क निम्न में से जो अधिक हो, उस पर आधारित होगा:

• वादी द्वारा याचिका में बताई गई राहत की कीमत

या

• 400 रुपये

उदाहरण: मान लीजिए कोई व्यक्ति चाहता है कि उसका पड़ोसी उसकी दुकान के सामने गंदगी न फैलाए और इसके लिए वह निषेधाज्ञा मांगता है, तो यह धारा 26(c) के अंतर्गत आएगा। यदि उसने इस राहत का मूल्य 300 रुपये बताया है, तब भी 400 रुपये शुल्क देना होगा।

यह प्रावधान उन सामान्य निषेधाज्ञाओं को कवर करता है जो न तो अचल संपत्ति से और न ही बौद्धिक संपदा से संबंधित होती हैं।

धारा 26 निषेधाज्ञा की मांग करने वाले मामलों में न्यायालय शुल्क को वर्गीकृत करती है ताकि—

• संपत्ति से जुड़े विवादों में संपत्ति के मूल्य के अनुसार न्यायसंगत शुल्क लगे,

• बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन पर न्यूनतम शुल्क सुनिश्चित हो,

• सामान्य सामाजिक और व्यक्तिगत विवादों में भी एक न्यूनतम शुल्क सुनिश्चित किया जा सके।

यह धारा धारा 24 और 25 से भिन्न है क्योंकि यहाँ केवल निषेधाज्ञा की मांग की जाती है, जबकि धारा 24 में घोषणा के साथ निषेधाज्ञा की बात होती है और धारा 25 में विशिष्ट निष्पादन (specific performance) से संबंधित वाद शामिल होते हैं।

इस प्रकार, धारा 26 वादकारियों को यह स्पष्ट दिशा देती है कि निषेधाज्ञा प्राप्त करने के लिए उन्हें कितना शुल्क देना होगा, और यह शुल्क उनकी याचिका की प्रकृति के अनुसार तय किया जाएगा।

यदि आप इस धारा से संबंधित कोई उदाहरण, याचिका प्रारूप या केस कानून जानना चाहें तो बताएं, मैं उसे भी सरल भाषा में उपलब्ध करा सकता हूँ।

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