भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 481 से 486 : अभियुक्त और जमानतदारों का बांड
धारा 481: अभियुक्त को अगले अपीलीय न्यायालय में उपस्थित होने के लिए जमानत (Bail to Require Accused to Appear Before Next Appellate Court)
स्पष्टीकरण: इस धारा के अनुसार, जब किसी व्यक्ति का मुकदमा किसी न्यायालय में चल रहा हो और उस पर निर्णय आने से पहले या अपील के निपटारे से पूर्व, न्यायालय अभियुक्त से यह सुनिश्चित करने के लिए एक बांड या जमानत बांड भरवाएगा कि यदि हाईकोर्ट या अपीलीय न्यायालय में उस निर्णय के विरुद्ध कोई अपील या याचिका दायर की जाती है, तो अभियुक्त उस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होगा। यह बांड छह महीने तक प्रभावी रहेगा।
उदाहरण: मान लीजिए, राजेश पर चोरी का आरोप है और उसका मुकदमा सेशन कोर्ट में चल रहा है। निर्णय आने से पहले, सेशन कोर्ट राजेश से एक जमानत बांड भरवाता है, जिसमें यह शर्त होती है कि यदि हाईकोर्ट में अपील दायर होती है, तो वह वहां उपस्थित होगा। यह बांड छह महीने तक प्रभावी रहेगा। यदि राजेश निर्धारित समय पर उपस्थित नहीं होता, तो बांड जब्त हो जाएगा और धारा 491 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
धारा 482: गिरफ्तारी की आशंका वाले व्यक्ति को जमानत देने का निर्देश (Direction for Grant of Bail to Person Apprehending Arrest)
स्पष्टीकरण: यह धारा उन व्यक्तियों के लिए है जिन्हें आशंका है कि उन्हें किसी गैर-जमानती अपराध के आरोप में गिरफ्तार किया जा सकता है। ऐसे व्यक्ति हाईकोर्ट या सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) के लिए आवेदन कर सकते हैं। यदि न्यायालय उचित समझे, तो वह निर्देश दे सकता है कि गिरफ्तारी की स्थिति में उस व्यक्ति को जमानत पर रिहा किया जाए।
शर्तें:
1. व्यक्ति पुलिस अधिकारी द्वारा पूछताछ के लिए उपलब्ध रहेगा।
2. व्यक्ति किसी भी गवाह को धमकाने या प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेगा।
3. व्यक्ति भारत नहीं छोड़ेगा बिना न्यायालय की अनुमति के।
4. अन्य शर्तें जो धारा 480(3) के तहत लागू होती हैं।
विशेष प्रावधान: यदि व्यक्ति को धारा 65 या धारा 70(2) के तहत अपराध का आरोप है, तो यह धारा लागू नहीं होगी।
उदाहरण: सुरेश को आशंका है कि उसे एक गैर-जमानती अपराध के आरोप में गिरफ्तार किया जा सकता है। वह हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करता है। न्यायालय उसे निर्देश देता है कि गिरफ्तारी की स्थिति में उसे जमानत पर रिहा किया जाए, बशर्ते वह ऊपर दी गई शर्तों का पालन करे।
धारा 483: हाईकोर्ट या सेशन कोर्ट की विशेष शक्तियां (Special Powers of High Court or Court of Session Regarding Bail)
स्पष्टीकरण: यह धारा हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट को विशेष अधिकार देती है कि वे:
1. किसी अभियुक्त को जमानत पर रिहा कर सकते हैं, और यदि अपराध धारा 480(3) के अंतर्गत आता है, तो आवश्यक शर्तें लगा सकते हैं।
2. किसी मजिस्ट्रेट द्वारा जमानत पर रिहा किए गए व्यक्ति की शर्तों को रद्द या संशोधित कर सकते हैं।
प्रावधान:
• यदि अपराध केवल सेशन कोर्ट में विचारणीय है या जिसमें आजीवन कारावास की सजा हो सकती है, तो जमानत देने से पहले लोक अभियोजक को सूचना देना आवश्यक है, जब तक कि न्यायालय लिखित में यह न कहे कि ऐसा करना व्यावहारिक नहीं है।
• यदि अपराध धारा 65 या धारा 70(2) के तहत आता है, तो लोक अभियोजक को 15 दिनों के भीतर सूचना देना आवश्यक है।
• धारा 65 या धारा 70(2) के तहत अपराधों के मामले में, शिकायतकर्ता या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति की उपस्थिति जमानत याचिका की सुनवाई के समय अनिवार्य है।
उदाहरण: राजेश पर एक गंभीर वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप है और वह हिरासत में है। उसका वकील हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन करता है। न्यायालय, अपराध की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, उसे जमानत देता है लेकिन कुछ शर्तें लगाता है जैसे कि उसका पासपोर्ट जमा करना, हर सप्ताह स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना, और बिना अनुमति के शहर नहीं छोड़ना।
धारा 484: बांड की राशि और उसका कमीकरण (Amount of Bond and Reduction Thereof)
स्पष्टीकरण: इस धारा के अनुसार, किसी भी बांड की राशि मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की जानी चाहिए और वह अत्यधिक नहीं होनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि बांड की राशि अत्यधिक है, तो वह हाईकोर्ट या सेशन कोर्ट में जाकर उस राशि को कम करने का अनुरोध कर सकता है।
उदाहरण: राजेश पर एक मामूली चोरी का आरोप है और उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मजिस्ट्रेट ने जमानत राशि ₹50,000 निर्धारित की है। राजेश का परिवार इस राशि को अत्यधिक मानता है और हाईकोर्ट में जाकर अपनी आर्थिक स्थिति और अपराध की मामूली प्रकृति का हवाला देते हुए राशि कम करने का अनुरोध करता है। हाईकोर्ट परिस्थितियों की समीक्षा करता है और जमानत राशि को ₹10,000 तक कम कर देता है।
धारा 485: अभियुक्त और जमानतदारों का बांड (Bond of Accused and Sureties)
स्पष्टीकरण: इस धारा के अनुसार, किसी व्यक्ति को बांड या जमानत बांड पर रिहा करने से पहले, उस व्यक्ति को एक निश्चित राशि का बांड भरना होगा, जिसे पुलिस अधिकारी या न्यायालय पर्याप्त समझे। यदि वह व्यक्ति जमानत बांड पर रिहा होता है, तो एक या अधिक पर्याप्त जमानतदारों द्वारा भी बांड भरना आवश्यक है, जिसमें यह शर्त होगी कि वह व्यक्ति निर्दिष्ट समय और स्थान पर उपस्थित होगा और तब तक उपस्थित रहेगा जब तक पुलिस अधिकारी या न्यायालय अन्यथा निर्देश न दे।
प्रावधान:
• यदि जमानत पर रिहाई के लिए कोई शर्त लगाई जाती है, तो वह शर्त बांड या जमानत बांड में शामिल की जाएगी।
• यदि मामला आवश्यक समझे, तो बांड या जमानत बांड में यह भी शर्त होगी कि रिहा किया गया व्यक्ति हाईकोर्ट, सेशन कोर्ट या अन्य न्यायालय में बुलाए जाने पर उपस्थित होगा।
• जमानतदारों की उपयुक्तता या पर्याप्तता निर्धारित करने के लिए, न्यायालय हलफनामों को स्वीकार कर सकता है या आवश्यक समझे तो स्वयं जांच कर सकता है या किसी अधीनस्थ मजिस्ट्रेट से जांच करवा सकता है।
उदाहरण: रवि पर एक मामूली चोरी का आरोप है और पुलिस उसे जमानत पर रिहा करना चाहती है। रिहा करने से पहले, पुलिस अधिकारी रवि से ₹10,000 का बांड भरवाता है। रवि का मित्र सुरेश उसके जमानतदार के रूप में ₹10,000 का बांड भरता है। बांड में यह शर्त होती है कि रवि हर महीने की 15 तारीख को मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट में उपस्थित होगा जब तक मामला सुलझ नहीं जाता। यदि रवि उपस्थित नहीं होता, तो सुरेश ₹10,000 की राशि के लिए जिम्मेदार होगा।
धारा 486: जमानतदारों द्वारा घोषणा (Declaration by Sureties)
स्पष्टीकरण: इस धारा के अनुसार, हर वह व्यक्ति जो किसी अभियुक्त के लिए जमानतदार बनता है, उसे न्यायालय के समक्ष यह घोषणा करनी होगी कि उसने कितने व्यक्तियों के लिए पहले जमानत दी है, जिसमें वर्तमान अभियुक्त भी शामिल है, और सभी संबंधित विवरण प्रदान करने होंगे।
उदाहरण: राजेश मुंबई में एक व्यवसायी है। उसका मित्र सुरेश एक मामूली अपराध के लिए आरोपी है और न्यायालय ने उसे जमानत दी है। राजेश सुरेश के लिए जमानतदार बनने का निर्णय लेता है। जब राजेश न्यायालय में उपस्थित होता है, तो उसे यह घोषणा करनी होती है कि उसने पहले कितने लोगों के लिए जमानत दी है, जिसमें सुरेश भी शामिल है। राजेश घोषणा करता है कि उसने पिछले वर्ष दो अन्य व्यक्तियों के लिए जमानत दी है और उनके सभी विवरण प्रदान करता है।