भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 473: दंड की निलंबन, क्षमा और माफी

Update: 2025-05-21 13:43 GMT

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) में धारा 473 का विशेष महत्व है क्योंकि यह राज्य या केंद्र सरकार को यह अधिकार प्रदान करती है कि वह किसी व्यक्ति को दिए गए दंड को कुछ शर्तों पर या बिना शर्तों के, निलंबित (suspend), क्षमादान (remit), या आंशिक रूप से समाप्त कर सकती है। यह धारा हमारे आपराधिक न्याय तंत्र में करुणा, मानवता और पुनर्वास की भावना को स्थान देती है।

धारा 473 का सीधा संबंध धारा 472 से भी है, जो कि मृत्युदंड की क्षमा याचिका के विषय में विस्तार से बताती है। जहां धारा 472 केवल मृत्युदंड तक सीमित है, वहीं धारा 473 सभी प्रकार की सजाओं के निलंबन और क्षमा पर लागू होती है।

धारा 473(1): सरकार को सजाएं निलंबित या क्षमा करने का अधिकार

इस उपधारा में कहा गया है कि जब किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए दंडित किया गया है, तो "उपयुक्त सरकार" (appropriate Government) किसी भी समय उस सजा के क्रियान्वयन को निलंबित कर सकती है या पूरी या आंशिक क्षमा दे सकती है। यह निलंबन या क्षमा बिना किसी शर्त के दी जा सकती है, या कुछ शर्तों पर आधारित हो सकती है, जिन्हें आरोपी व्यक्ति ने स्वीकार कर लिया हो।

उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति 10 साल की कैद की सजा भुगत रहा है और उसने जेल में अच्छा आचरण किया है, तो राज्य सरकार उसे 7 साल के बाद कुछ शर्तों के साथ रिहा कर सकती है, जैसे – वह आगे किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा।

धारा 473(2): न्यायाधीश की राय प्राप्त करने का प्रावधान

जब भी किसी व्यक्ति या उसके प्रतिनिधि द्वारा सरकार को क्षमा या निलंबन की याचिका दी जाती है, तो सरकार उस न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश से, जिन्होंने आरोपी को दोषी ठहराया या सजा की पुष्टि की है, उनकी राय मांग सकती है। न्यायाधीश को यह राय कारणों सहित देनी होगी और साथ ही वह मुकदमे के रिकॉर्ड की प्रमाणित प्रतिलिपि भी सरकार को भेजेगा।

यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि सरकार बिना तथ्यों और न्यायालय की राय के, क्षमा न दे दे।

धारा 473(3): शर्तों का उल्लंघन होने पर निलंबन या क्षमा रद्द करना

यदि सरकार यह माने कि जिन शर्तों पर सजा को निलंबित किया गया था या क्षमा दी गई थी, वे शर्तें पूरी नहीं की गई हैं, तो सरकार उस क्षमा या निलंबन को रद्द कर सकती है। इसके बाद संबंधित व्यक्ति को पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है और वह व्यक्ति अपनी बाकी बची हुई सजा भुगतने के लिए फिर से जेल भेजा जा सकता है।

उदाहरण: मान लीजिए कि किसी अपराधी को इस शर्त पर क्षमा दी गई थी कि वह नशे से दूर रहेगा और पुनर्वास कार्यक्रम में भाग लेगा। लेकिन बाद में वह व्यक्ति फिर से अपराध करता है या नशे में पकड़ा जाता है, तो सरकार उसकी क्षमा रद्द कर सकती है।

धारा 473(4): शर्तें आरोपी से संबंधित या स्वतंत्र हो सकती हैं

इस उपधारा में स्पष्ट किया गया है कि निलंबन या क्षमा की शर्तें या तो उस व्यक्ति से जुड़ी हो सकती हैं जिसे सजा मिली है, या फिर ऐसी हो सकती हैं जो उसकी इच्छा से स्वतंत्र हों। इसका तात्पर्य यह है कि कुछ परिस्थितियों में सरकार बाहरी सामाजिक या सार्वजनिक हित से जुड़ी शर्तों पर भी क्षमा दे सकती है।

धारा 473(5): याचिका प्रस्तुत करने की प्रक्रिया

सरकार यह निर्देश दे सकती है कि किस प्रकार सजाओं का निलंबन किया जाएगा और किस प्रक्रिया से क्षमा की याचिका प्रस्तुत की जाएगी। इस उपधारा के अनुसार, यदि कोई वयस्क (18 वर्ष से अधिक) को जेल के अतिरिक्त कोई सजा दी गई है (जैसे – कारावास), तो वह तब तक क्षमा याचिका नहीं दे सकता जब तक वह जेल में न हो।

यदि याचिका स्वयं सजायाफ्ता व्यक्ति द्वारा दी जा रही है, तो उसे जेल अधीक्षक के माध्यम से भेजना अनिवार्य है। और यदि याचिका किसी और व्यक्ति द्वारा दी जा रही है (जैसे परिवार के सदस्य), तो याचिका में यह घोषणा अवश्य होनी चाहिए कि सजायाफ्ता व्यक्ति जेल में है।

यह प्रावधान इसलिए महत्वपूर्ण है ताकि क्षमा याचिकाएं केवल उन मामलों में दायर की जाएं, जहां व्यक्ति वास्तव में सजा भुगत रहा हो और उसका दुरुपयोग न हो।

धारा 473(6): अन्य आदेशों पर भी यह धारा लागू होती है

यह उपधारा कहती है कि यह धारा केवल सजाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यदि कोई आपराधिक न्यायालय किसी अन्य कानून के अंतर्गत कोई आदेश देता है, जिससे किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित होती है या उस पर कोई दायित्व डाला जाता है, तो ऐसी स्थिति में भी यह धारा लागू होगी।

उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति पर सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत नजरबंदी का आदेश है, तो उस आदेश की भी क्षमा या निलंबन के लिए इसी धारा के अंतर्गत याचिका दी जा सकती है।

धारा 473(7): “उपयुक्त सरकार” की परिभाषा

इस उपधारा में “उपयुक्त सरकार” की परिभाषा दी गई है, जो यह स्पष्ट करती है कि क्षमा या निलंबन का अधिकार किस सरकार को है। यदि अपराध ऐसा है जो केंद्र सरकार के कार्यक्षेत्र में आता है, तो “उपयुक्त सरकार” का अर्थ होगा – केंद्र सरकार। अन्य मामलों में राज्य सरकार “उपयुक्त सरकार” मानी जाएगी।

उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति को विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (जो केंद्रीय कानून है) के तहत सजा दी गई है, तो क्षमा देने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा। वहीं यदि किसी को राजस्थान राज्य के किसी अपराध जैसे भू-अधिग्रहण धोखाधड़ी में सजा हुई है, तो राज्य सरकार ही उपयुक्त सरकार मानी जाएगी।

अन्य संबंधित धाराएं – धारा 472 का संदर्भ

जैसा कि पहले बताया गया है, धारा 472 मृत्युदंड के मामलों में क्षमा याचिका की प्रक्रिया को स्पष्ट करती है। धारा 473, उससे अधिक व्यापक है और सभी प्रकार की सजाओं को कवर करती है – चाहे वह साधारण कारावास हो, आजीवन कारावास हो, या अन्य कोई दंड। धारा 472 में राष्ट्रपति या राज्यपाल से क्षमा की प्रक्रिया बताई गई है, जबकि धारा 473 में सरकार द्वारा स्वतः या याचिका के आधार पर क्षमा देने का अधिकार है।

धारा 473, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में न्याय के साथ-साथ दया, करुणा और पुनर्वास के सिद्धांत को भी समाहित करती है। यह सरकार को यह अधिकार देती है कि वह उपयुक्त मामलों में सजा के निलंबन या क्षमा का प्रयोग करे, परंतु यह प्रक्रिया न्यायिक अनुशंसा और कानूनी प्रक्रिया से जुड़ी होती है। यह धारा केवल प्रशासनिक शक्ति नहीं है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी है जिसे न्याय के हित में विवेक से प्रयोग किया जाना चाहिए।

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