अक्सर लोग पुलिस जांच या हिरासत के नाम से ही डर जाते हैं। लेकिन भारतीय संविधान और कानून हर नागरिक को कुछ जरूरी अधिकार देते हैं, ताकि पुलिस कार्रवाई के दौरान उनका शोषण या गलत इस्तेमाल न हो सके। इन अधिकारों को जानना और समझना बहुत जरूरी है। आइए इन्हें आसान भाषा में विस्तार से समझते हैं:
1. गिरफ्तारी के समय आपके अधिकार
गिरफ्तारी का कारण बताना जरूरी है – पुलिस को आपको गिरफ्तारी का कारण और लगाए गए आरोप स्पष्ट रूप से बताने होंगे। (अनुच्छेद 22 और CrPC की धारा 50)
परिवार को सूचित करने का अधिकार – पुलिस को आपके किसी रिश्तेदार या मित्र को आपकी गिरफ्तारी की सूचना देनी होती है।
गिरफ्तारी का मेमो (Arrest Memo)– पुलिस को एक गिरफ्तारी मेमो बनाना होता है, जिसमें समय, तारीख और गिरफ्तारी का कारण लिखा जाता है और उस पर आपके हस्ताक्षर कराए जाते हैं।
2. कानूनी सहायता का अधिकार
आपको वकील से मिलने और सलाह लेने का पूरा अधिकार है। (संविधान का अनुच्छेद 22)
अगर आप वकील नहीं कर सकते, तो राज्य की ओर से मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाती है। (Legal Aid Services)
पुलिस आपको पूछताछ के दौरान अपने वकील से मिलने का मौका देगी।
3. पूछताछ के समय अधिकार
खुद को दोषी ठहराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता– संविधान का अनुच्छेद 20(3) कहता है कि किसी व्यक्ति को खुद के खिलाफ बयान देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
पूछताछ का समय– सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के अनुसार रात में (8 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले) पूछताछ नहीं की जानी चाहिए, खासकर महिलाओं के मामले में।
महिला पुलिस अधिकारी– महिलाओं से पूछताछ केवल महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में और दिन में ही हो सकती है।
4. मेडिकल जांच का अधिकार
अगर आपको चोट लगी है या पुलिस की कार्रवाई से कोई नुकसान हुआ है, तो आप मेडिकल जांच की मांग कर सकते हैं।
हिरासत के दौरान हर 48 घंटे में मेडिकल जांच जरूरी है।
5. मैजिस्ट्रेट के सामने पेश होने का अधिकार
गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर आपको मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना जरूरी है।
अगर पुलिस 24 घंटे के भीतर पेश नहीं करती, तो यह गैरकानूनी हिरासत मानी जाएगी।
6. जमानत का अधिकार
यदि आरोप जमानती अपराध से संबंधित है, तो आपको जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
पुलिस को आपको जमानत की जानकारी देनी चाहिए।
7. पुलिस द्वारा प्रताड़ना से सुरक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने DK Basu बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (1997) केस में पुलिस हिरासत के दौरान नागरिकों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश दिए हैं।
पुलिस मारपीट, यातना या दबाव डालकर बयान नहीं ले सकती।
हिरासत में किसी की मौत या चोट के लिए पुलिस सीधे जिम्मेदार होगी।