प्ली बार्गेनिंग का प्रावधान: धारा 289, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अध्याय XXIII में
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) के अध्याय XXIII में प्ली बार्गेनिंग (Plea Bargaining) का प्रावधान दिया गया है। यह प्रावधान एक आरोपी को अपनी गलती स्वीकार कर सज़ा में राहत या कम गंभीर आरोपों के बदले समझौता करने का अवसर देता है। इसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाना और अदालतों के बोझ को कम करना है।
प्ली बार्गेनिंग का उपयोग: धारा 289(1)(a)
धारा 289(1)(a) उन मामलों में लागू होती है जहां पुलिस ने धारा 193 के तहत रिपोर्ट (Chargesheet) जमा की हो और यह आरोप लगाया हो कि आरोपी ने अपराध किया है। यह प्रावधान केवल उन्हीं अपराधों पर लागू होता है जिनकी सजा मृत्युदंड (Death Penalty), आजीवन कारावास (Life Imprisonment), या सात साल से अधिक की कैद नहीं है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति पर धारा 379 (चोरी) के तहत आरोप है, जिसकी सजा तीन साल तक हो सकती है, तो आरोपी प्ली बार्गेनिंग का उपयोग कर सकता है। लेकिन, यदि मामला हत्या (Murder) का है, जो धारा 302 के तहत आता है और जिसकी सजा मृत्युदंड या आजीवन कारावास है, तो प्ली बार्गेनिंग संभव नहीं है।
शिकायत के आधार पर अपराध: धारा 289(1)(b)
धारा 289(1)(b) उन मामलों पर लागू होती है जहां मजिस्ट्रेट (Magistrate) ने किसी निजी शिकायत (Private Complaint) के आधार पर अपराध का संज्ञान लिया हो। शिकायतकर्ता (Complainant) और गवाहों (Witnesses) की धारा 223 के तहत जांच के बाद और धारा 227 के तहत प्रक्रिया जारी करने के बाद, प्ली बार्गेनिंग पर विचार किया जा सकता है।
यह प्रावधान उन्हीं अपराधों पर लागू होता है जिनकी सजा सात साल से अधिक न हो। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति पर धारा 417 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप है, जिसकी अधिकतम सजा एक साल है, तो आरोपी मजिस्ट्रेट के संज्ञान लेने के बाद प्ली बार्गेनिंग का उपयोग कर सकता है।
प्ली बार्गेनिंग के अपवाद (Exceptions)
प्ली बार्गेनिंग का उपयोग उन अपराधों के लिए नहीं किया जा सकता जो देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति (Socio-Economic Condition) को प्रभावित करते हैं या जो महिलाओं और बच्चों के खिलाफ किए गए हैं। ऐसे अपराधों की पहचान करने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) को अधिसूचना (Notification) जारी करनी होती है।
उदाहरण के लिए, बड़े पैमाने पर कर चोरी (Tax Evasion), तस्करी (Smuggling), या भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों (Anti-Corruption Laws) के तहत अपराधों को सामाजिक-आर्थिक अपराध माना जा सकता है। इसी तरह, घरेलू हिंसा (Domestic Violence), यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment), या मानव तस्करी (Human Trafficking) जैसे अपराध, जो महिलाओं या बच्चों को नुकसान पहुंचाते हैं, इस प्रावधान के तहत नहीं आते।
अपवादों के व्यावहारिक उदाहरण (Practical Examples)
उदाहरण के लिए, यदि किसी पर धारा 370 (मानव तस्करी) के तहत आरोप है, जो शोषण और दुर्व्यवहार से जुड़ा है, तो यह अपराध महिलाओं और बच्चों के खिलाफ है और प्ली बार्गेनिंग के तहत नहीं आता। इसी तरह, धनशोधन (Money Laundering) जैसे अपराध, जो देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं, केंद्र सरकार की अधिसूचना के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक अपराधों की श्रेणी में आ सकते हैं।
केंद्र सरकार की अधिसूचना की भूमिका (Role of Notification by Central Government)
धारा 289(2) में यह प्रावधान है कि केंद्र सरकार ऐसी अधिसूचना जारी करेगी जो सामाजिक-आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने वाले अपराधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करेगी। इससे प्ली बार्गेनिंग के उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित होती है और राष्ट्रीय हितों की रक्षा होती है।
उदाहरण के लिए, नकली मुद्रा (Counterfeit Currency) बनाना, जो अर्थव्यवस्था को बाधित करता है, इस अधिसूचना के माध्यम से प्ली बार्गेनिंग के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
प्ली बार्गेनिंग का महत्व (Importance of Plea Bargaining)
प्ली बार्गेनिंग न्यायिक प्रणाली की प्रभावशीलता को बढ़ावा देती है, जिससे मुकदमों (Trials) में समय बचता है और त्वरित न्याय मिलता है। यह आरोपी को एक कम सजा या समझौते का मौका भी देता है, बशर्ते कि अपराध निषिद्ध श्रेणी (Prohibited Category) में न हो।
उदाहरण के लिए, छोटी चोरी या संपत्ति विवादों (Property Disputes) में प्ली बार्गेनिंग आरोपी और न्याय प्रणाली दोनों के लिए लाभदायक हो सकती है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 289 में प्ली बार्गेनिंग के लिए एक व्यापक ढांचा दिया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि गंभीर अपराधों के मामलों में न्याय के साथ समझौता न हो।
गहन अपराध, सामाजिक-आर्थिक अपराध और महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों को अपवाद बनाकर, यह कानून न्यायिक प्रणाली की दक्षता और समाज के हितों में संतुलन स्थापित करता है। जैसे, चोरी या धोखाधड़ी जैसे मामूली अपराधों में प्ली बार्गेनिंग का उपयोग न्याय प्रणाली और संबंधित पक्षों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।