वैवाहिक अपराधों के लिए अभियोजन और कोर्ट का संज्ञान : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत धारा 219
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, जिसने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह ली है, वैवाहिक अपराधों के अभियोजन के लिए एक विस्तृत कानूनी प्रक्रिया प्रदान करती है।
इसमें यह निर्धारित किया गया है कि ऐसे मामलों में शिकायत कौन कर सकता है और किन परिस्थितियों में। यह संहिता कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए सख्त प्रावधान करती है, साथ ही न्याय की प्रक्रिया को सुनिश्चित करती है।
धारा 219(1): वैवाहिक अपराधों के लिए संज्ञान (Cognizance)
धारा 219(1) के तहत, कोर्ट केवल तभी वैवाहिक अपराधों (जो भारतीय न्याय संहिता, 2023 के धारा 81 से 84 के अंतर्गत आते हैं) का संज्ञान ले सकती है, जब पीड़ित व्यक्ति स्वयं शिकायत करता है। इसका मतलब यह है कि जब तक विशेष परिस्थितियाँ न हों, कोई और व्यक्ति शिकायत दर्ज नहीं कर सकता।
उदाहरण: यदि धारा 81 के तहत क्रूरता (Cruelty) का मामला है, तो पत्नी, जो सीधा पीड़ित है, को स्वयं शिकायत दर्ज करनी होगी। यदि वह किसी कारणवश ऐसा नहीं कर सकती, तो धारा 219 के तहत विशेष प्रावधान लागू होते हैं, जो किसी प्रतिनिधि को उसकी ओर से शिकायत करने की अनुमति देते हैं।
कमजोर व्यक्तियों के लिए विशेष प्रावधान (Provisions for Vulnerable Individuals) (Proviso to Section 219(1))
कुछ विशेष अपवाद हैं जिनके तहत पीड़ित व्यक्ति के अलावा कोई और व्यक्ति भी शिकायत दर्ज कर सकता है:
• बच्चे, मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति, या बौद्धिक विकलांगता (Intellectual Disability) वाले व्यक्ति: यदि पीड़ित व्यक्ति बच्चा है, मानसिक रूप से अस्वस्थ है, या उसे बौद्धिक विकलांगता है, तो कोई और व्यक्ति कोर्ट की अनुमति से शिकायत दर्ज कर सकता है।
• महिलाएँ जिनपर सामाजिक प्रतिबंध हैं: यदि किसी महिला को सामाजिक रीति-रिवाजों के कारण सार्वजनिक रूप से सामने आने की अनुमति नहीं है (जैसे कि पर्दा प्रथा का पालन करने वाली महिलाएँ), तो कोई अन्य व्यक्ति उसकी ओर से कोर्ट की अनुमति से शिकायत कर सकता है।
उदाहरण: एक मानसिक रूप से अस्वस्थ बच्ची पर उसके पति द्वारा क्रूरता की जाती है। उसका पिता, कोर्ट की अनुमति से, उसकी ओर से शिकायत दर्ज कर सकता है क्योंकि वह स्वयं ऐसा नहीं कर सकती।
सशस्त्र बलों के कर्मचारियों के लिए प्रावधान (Provisions for Armed Forces Personnel) (Clause (b) of Proviso)
यदि पीड़ित व्यक्ति पति है और वह सशस्त्र बलों (Armed Forces) में ऐसी स्थिति में तैनात है जहाँ से उसे छुट्टी लेना संभव नहीं है, तो किसी अन्य व्यक्ति को उसकी अनुमति से शिकायत दर्ज करने की अनुमति दी जा सकती है। इसके लिए उसके कमांडिंग ऑफिसर (Commanding Officer) को प्रमाणित करना होगा कि पति छुट्टी लेकर स्वयं शिकायत दर्ज नहीं कर सकता।
यह अनुमति लिखित में होनी चाहिए, पति द्वारा हस्ताक्षरित होनी चाहिए, और कमांडिंग ऑफिसर द्वारा प्रमाणित होनी चाहिए।
उदाहरण: एक सैनिक, जो अपनी पत्नी द्वारा धोखाधड़ी का शिकार हुआ है, अपनी पोस्ट से छुट्टी नहीं ले सकता। उसकी लिखित अनुमति के साथ, उसका कोई रिश्तेदार या मित्र उसकी ओर से शिकायत दर्ज कर सकता है, बशर्ते कि कमांडिंग ऑफिसर प्रमाणित कर दें कि छुट्टी लेना संभव नहीं है।
धारा 219(1)(c): पत्नी के रिश्तेदारों के लिए प्रावधान (Provisions for Wife's Relatives)
जब धारा 82 (व्यभिचार / Adultery) के तहत किसी अपराध में पत्नी पीड़ित होती है, तो कानून उसके पिता, माता, भाई, बहन, बेटे, बेटी या अन्य नजदीकी रिश्तेदारों को उसकी ओर से शिकायत करने की अनुमति देता है। कोर्ट की अनुमति से, खून, विवाह या गोद लेने के रिश्तों के आधार पर अन्य लोग भी यह शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
उदाहरण: एक पत्नी, जिसका पति व्यभिचार करता है, सामाजिक दबाव के कारण उसे सार्वजनिक रूप से इसका सामना करने में कठिनाई होती है। ऐसे में, उसका भाई या पिता उसकी ओर से शिकायत दर्ज कर सकते हैं, जिससे उसके लिए बोझ कम हो जाता है।
नाबालिगों या मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के मामलों में अभिभावकता (Guardianship) (Section 219(3))
यदि किसी बच्चे या मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति की ओर से शिकायत दर्ज करने वाला व्यक्ति कानूनी रूप से नियुक्त अभिभावक नहीं है, तो कोर्ट को वास्तविक अभिभावक को सूचना देनी होगी और उन्हें सुना जाएगा।
उदाहरण: एक बच्चा जो अपने सौतेले माता-पिता की क्रूरता का शिकार है, उसके परिवार का कोई सदस्य, जैसे कि उसकी मौसी, शिकायत दर्ज करना चाहती है। लेकिन कोर्ट पहले कानूनी रूप से नियुक्त अभिभावक को सूचित करेगी और उन्हें अपनी बात रखने का अवसर देगी।
सशस्त्र बलों में पति द्वारा अनुमति (Authorisation by Husband in Armed Forces) (Section 219(4) and (5))
जब सशस्त्र बलों में तैनात पति किसी अन्य व्यक्ति को अपनी ओर से शिकायत दर्ज करने की अनुमति देता है, तो यह अनुमति लिखित में होनी चाहिए, पति द्वारा हस्ताक्षरित होनी चाहिए और कमांडिंग ऑफिसर द्वारा प्रमाणित होनी चाहिए।
यह दस्तावेज़ तब तक मान्य माना जाएगा जब तक इसके विपरीत साबित न हो, और इसमें यह स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि पति को आरोपों के बारे में जानकारी है।
उदाहरण: एक नौसेना अधिकारी, जो समुद्र में तैनात है, अपनी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कर सकता। वह अपने भाई को लिखित अनुमति भेजता है, जिसे कमांडिंग ऑफिसर द्वारा प्रमाणित किया जाता है, जिससे उसके भाई को उसकी ओर से शिकायत दर्ज करने का अधिकार मिल जाता है।
यौन अपराधों के मामलों में शिकायत दर्ज करने की समय सीमा (Time Limit for Complaints Related to Sexual Offences) (Section 219(6))
धारा 219(6) भारतीय न्याय संहिता, 2023 के धारा 64 के तहत यौन अपराधों से संबंधित है, विशेष रूप से उन मामलों में जहाँ एक पुरुष अपनी पत्नी के साथ तब यौन संबंध बनाता है जब वह 18 वर्ष से कम उम्र की होती है। यदि अपराध घटित होने के एक साल से अधिक समय बीत चुका है, तो कोर्ट इस पर संज्ञान नहीं ले सकता।
उदाहरण: एक महिला, जो घटना के समय 17 वर्ष की थी, दो साल बाद समझती है कि वह अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकती है। लेकिन कानून के अनुसार, एक साल से अधिक समय बीत जाने के कारण वह शिकायत दर्ज नहीं कर सकती।
अपराध करने का प्रयास या उसे बढ़ावा देने के मामलों में आवेदन (Application to Abetment or Attempt to Commit Offences) (Section 219(7))
इस धारा के प्रावधान उन व्यक्तियों पर भी लागू होते हैं जिन्होंने अपराध करने में सहायता की हो या अपराध करने का प्रयास किया हो। इसका मतलब है कि जो व्यक्ति किसी अपराध को अंजाम देने में मदद करता है या उसे करने का प्रयास करता है, उस पर भी वही कानून लागू होंगे।
उदाहरण: यदि किसी रिश्तेदार ने पति को दोविवाह (Bigamy) करने में सहायता की है (जो धारा 84 के अंतर्गत आता है), तो वह रिश्तेदार भी उन्हीं प्रक्रियाओं के तहत अभियोजित हो सकता है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, के धारा 219 के तहत वैवाहिक अपराधों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक स्पष्ट और सटीक प्रक्रिया स्थापित की गई है।
यह सुनिश्चित करता है कि केवल वही व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकते हैं, जो वास्तव में मामले में रुचि रखते हैं, साथ ही कमजोर वर्गों, सशस्त्र बलों के कर्मियों और कुछ रिश्तेदारों के लिए विशेष प्रावधान भी प्रदान किए गए हैं। ये प्रावधान न्याय सुलभ बनाने के लिए बनाए गए हैं, जबकि यह सुनिश्चित करते हुए कि कानून का दुरुपयोग न हो।
यह कानूनी ढांचा एक स्पष्ट और परिभाषित प्रक्रिया स्थापित करता है, जो निष्पक्षता और पीड़ित व्यक्तियों की सुरक्षा को प्रोत्साहित करता है, साथ ही व्यक्तिगत रिश्तों और सांस्कृतिक संवेदनशीलताओं का सम्मान करता है।