पुलिस अधिकारी की गवाहों को उपस्थित होने की शक्ति और गवाहों की पूछताछ - भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 179 - 180

Update: 2024-09-07 12:42 GMT

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 179 पुलिस अधिकारियों को यह शक्ति देती है कि वे किसी जाँच के दौरान गवाहों को उपस्थित होने के लिए बुला सकते हैं। यह प्रावधान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि जिन व्यक्तियों को किसी मामले से संबंधित जानकारी हो, वे पुलिस की जाँच में मदद कर सकें।

गवाहों को बुलाने का अधिकार (Authority to Summon Witnesses)

इस धारा के तहत, जो पुलिस अधिकारी किसी मामले की जाँच कर रहा हो, वह लिखित आदेश के माध्यम से किसी व्यक्ति को बुला सकता है, बशर्ते कि वह व्यक्ति उसी पुलिस स्टेशन या पास के पुलिस स्टेशन के अंतर्गत हो। ऐसा व्यक्ति वह हो सकता है जिसके बारे में जानकारी या अन्य तरीकों से यह समझा गया हो कि उसे मामले के तथ्यों की जानकारी है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी इलाके में चोरी हुई है और पुलिस को लगता है कि वहां के किसी दुकानदार ने कुछ संदिग्ध गतिविधियों को देखा होगा, तो पुलिस उस दुकानदार को लिखित आदेश देकर उपस्थित होने के लिए कह सकती है। वह व्यक्ति, जिसे बुलाया गया है, कानूनी रूप से उपस्थित होने के लिए बाध्य होता है।

उपस्थिति के लिए अपवाद (Exceptions to the Requirement)

हालांकि, धारा 179 में कुछ खास अपवाद (Exceptions) दिए गए हैं जो व्यक्तिगत परिस्थितियों का ध्यान रखते हैं।

इसमें कहा गया है कि निम्नलिखित व्यक्तियों को उनके निवास स्थान से अलग किसी अन्य स्थान पर उपस्थित होने के लिए नहीं कहा जा सकता:

• 15 वर्ष से कम उम्र के पुरुष

• 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष

• किसी भी उम्र की महिलाएं

• मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति

• गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति

उदाहरण के लिए, यदि कोई गवाह 60 वर्ष से अधिक उम्र का बुजुर्ग व्यक्ति है, तो उसे पुलिस स्टेशन आने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसके बजाय, पुलिस अधिकारी को उसके निवास स्थान पर जाकर पूछताछ करनी होगी। इसी प्रकार, किसी महिला को पुलिस स्टेशन पर बुलाया नहीं जा सकता, जब तक वह स्वयं जाने की इच्छा न जताए।

उपस्थिति के लिए खर्चों की अदायगी (Payment of Expenses for Attendance)

इस धारा में यह भी प्रावधान है कि राज्य सरकार नियम बनाकर उन गवाहों के खर्चों की अदायगी (Reimbursement) सुनिश्चित कर सकती है, जिन्हें उनके निवास स्थान से दूर किसी स्थान पर उपस्थित होने के लिए बुलाया गया है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि गवाहों को पुलिस की मदद करने के कारण आर्थिक नुकसान न उठाना पड़े।

उदाहरण के लिए, अगर किसी गवाह को काफी दूरी पर जाकर बयान देना है, तो वह अपने यात्रा या खाने-पीने के खर्च की भरपाई पुलिस से मांग सकता है।

पुलिस द्वारा गवाहों की पूछताछ (Examination of Witnesses by Police)

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 180, पुलिस अधिकारियों द्वारा गवाहों की पूछताछ के तरीकों को निर्धारित करती है। यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि पुलिस सही तरीके से जानकारी इकट्ठा करे और गवाहों के कानूनी अधिकारों का सम्मान करे।

पुलिस द्वारा मौखिक पूछताछ (Oral Examination by Police Officers)

इस धारा के तहत, कोई भी पुलिस अधिकारी जो मामले की जाँच कर रहा हो, या वह अधिकारी जिसकी रैंक (Rank) राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई हो, वह किसी व्यक्ति से मौखिक रूप से पूछताछ कर सकता है यदि वह व्यक्ति मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से परिचित लगता हो। यह पूछताछ पुलिस को मामले की पूरी जानकारी बनाने और जाँच की दिशा तय करने में मदद करती है।

उदाहरण के लिए, यदि कोई सड़क दुर्घटना हुई है, तो पुलिस उस समय वहां मौजूद राहगीरों से पूछताछ कर सकती है ताकि उन्हें घटना का समय, स्थान, और संभावित कारणों के बारे में जानकारी मिल सके।

सवालों का जवाब देने की बाध्यता (Obligation to Answer Questions)

जिस गवाह से पूछताछ की जा रही है, वह कानूनी रूप से सभी सवालों का सच्चाई से जवाब देने के लिए बाध्य होता है। हालांकि, इस धारा में यह भी सुरक्षा दी गई है कि गवाह को ऐसे सवालों का जवाब देने की ज़रूरत नहीं होती, जिनसे उसे किसी आपराधिक आरोप, दंड या संपत्ति जब्ती का खतरा हो। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति पुलिस जाँच में खुद को दोषी साबित करने के लिए मजबूर न हो।

उदाहरण के लिए, यदि किसी गवाह से यह पूछा जाता है कि क्या उसने खुद उस अपराध में भाग लिया था, जिसकी जाँच हो रही है, तो वह उस सवाल का जवाब देने से इंकार कर सकता है, यदि उससे उसे आपराधिक आरोप का सामना करना पड़ सकता हो।

गवाहों के बयान की रिकॉर्डिंग (Recording of Witness Statements)

पुलिस अधिकारी गवाह द्वारा दिए गए मौखिक बयानों को लिखित रूप में दर्ज कर सकते हैं। यदि ऐसा किया जाता है, तो प्रत्येक गवाह का बयान अलग से और सच्चाई से दर्ज किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति का बयान स्पष्ट और सटीक रूप से दर्ज किया जाए, ताकि किसी तरह की गलतफहमी या गलत व्याख्या न हो।

इसके अलावा, इस धारा में यह भी प्रावधान है कि बयानों को ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (Audio-Video Electronic Means) से भी रिकॉर्ड किया जा सकता है। यह प्रावधान जाँच प्रक्रिया को आधुनिक बनाने के लिए है, ताकि तकनीक का उपयोग करके बयानों की सटीकता सुनिश्चित की जा सके और बाद में बयानों की वैधता पर कोई विवाद न हो।

उदाहरण के लिए, यदि किसी गवाह का बयान किसी हत्या के मामले में महत्वपूर्ण है, तो पुलिस उस बयान को वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से दर्ज कर सकती है, ताकि बाद में उसे अदालत में पेश किया जा सके और उसकी वैधता बनी रहे।

महिला गवाहों के लिए विशेष प्रावधान (Special Provisions for Women Witnesses)

यह कानून उन मामलों में महिला गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए विशेष प्रावधान करता है, जहां महिलाओं के खिलाफ कुछ खास अपराधों का आरोप होता है। इन मामलों में, महिला पुलिस अधिकारी या कोई अन्य महिला अधिकारी ही पीड़ित महिला का बयान दर्ज करेगी ताकि उसे किसी प्रकार की असुविधा या भय का सामना न करना पड़े। यह प्रावधान उन मामलों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जिनमें यौन अपराध या महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराध शामिल होते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि किसी महिला के साथ बलात्कार हुआ है, तो उसके बयान को महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही दर्ज किया जाना चाहिए, ताकि पीड़िता को किसी भी प्रकार की मानसिक परेशानी न हो और वह सहज महसूस कर सके। यह कदम महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए है, ताकि न्याय प्रक्रिया में उनकी गरिमा बनी रहे।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 179 और 180 पुलिस अधिकारियों और गवाहों के बीच संबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करती हैं। धारा 179 पुलिस को यह शक्ति देती है कि वे गवाहों को बुला सकते हैं, जबकि यह सुनिश्चित करती है कि कमजोर वर्गों, जैसे नाबालिगों, बुजुर्गों, महिलाओं, और विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा हो। साथ ही, यह प्रावधान करता है कि गवाहों को उनके उपस्थित होने के लिए खर्च की भरपाई की जाए।

धारा 180 पुलिस द्वारा गवाहों से पूछताछ की प्रक्रिया को विस्तृत करती है, जिसमें यह जरूरी होता है कि गवाह सच्चाई से जवाब दें, लेकिन उन्हें आत्म-अभियोग से सुरक्षा भी दी जाती है। इसके अलावा, यह तकनीकी प्रगति के तहत बयानों को ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज करने की अनुमति देता है और महिला पीड़ितों के लिए विशेष सुरक्षा प्रदान करता है, ताकि उनके बयानों को संवेदनशीलता और सम्मान के साथ लिया जा सके।

इन प्रावधानों के माध्यम से एक संतुलित प्रणाली बनाई गई है, जो पुलिस को प्रभावी तरीके से जानकारी इकट्ठा करने की अनुमति देती है, जबकि गवाहों के अधिकारों और सम्मान की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है।

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