एनडीपीएस एक्ट (The Narcotic Drugs And Psychotropic Substances Act,1985) थोड़ा विस्तृत और तकनीकी विषय है। इसका परिभाषा खंड यदि ध्यानपूर्वक पढ़ लिया जाए तो इस अधिनियम को समझना आसान होगा।
अधिनियम में प्रस्तुत किए गए प्रावधानों के अर्थ परिभाषा में मिल जाते है। इस अधिनियम की धारा 2 परिभाषा प्रस्तुत करती है। यह धारा अत्यंत विस्तृत धारा है जिसमे अधिकतर शब्दों के अर्थ स्पष्ट कर दिए गए हैं। इस आलेख के अंतर्गत स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 की धारा 2 का विस्तार से विश्लेषण किया जा रहा है।
धारा 2 के विश्लेषण से पूर्व अधिनियम में प्रस्तुत की गई धारा को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है जो इस प्रकार है-
2 परिभाषाएँ - इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न
[(i) "व्यसनी" से अभिप्रेत है ऐसा व्यक्ति जो किसी स्वापक औषधि या मनःप्रभावी पदार्थ पर आश्रितता रखता है;]
(ii) "बोर्ड" से केन्द्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 (1963 का 54) के अधीन गठित केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड अभिप्रेत है;
(iii) कैनेबिस (हैम्प)" से अभिप्रेत है.-
(क) 'चरस', अर्थात् कच्चा या शोधित किसी भी रूप में पृथक् किया गया रेजिन जो कैनेबिस के पौधे से प्राप्त किया गया हो और इसके अंतर्गत हशीश तेल या द्रव हशीश के नाम से ज्ञात सांद्रित निर्मिति और रेजिन है;
(ख) "गांजा",अर्थात् कैनेबिस के पौधे के फूलने और फलने वाले सिरे (इनके अंतर्गत बीज और पत्तियां जब वे सिरे के साथ न हो, नहीं है) चाहे वे किसी भी नाम से ज्ञात या अभिहित हो; और
(ग) उपरोक्त किसी भी प्रकार के कैनेबिस का कोई मिश्रण चाहे वह किसी निष्प्रभावी पदार्थ सहित या उसके बिना हो या उससे निर्मित कोई पेय;
(iv) "कैनेबिस का पौधा से कैनेबिस वंश का कोई पौधा अभिप्रेत है;
(v) "कोका के व्युत्पाद" से अभिप्रेत है-
(क) कच्चा कोकेन, अर्थात् कोका की पत्ती का कोई सार जिसका कोकेन के विनिर्माण के लिए प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः उपयोग किया जा सकता है;
(ख) ऐकगोनिन और ऐकगोनिन के सभी व्युत्पाद, जिनसे उसे प्राप्त किया जा सकता है;
(ग) कोकेन, अर्थात् बेंजायल - ऐकगोनिन का मेथिल एस्टर और उसके लवण और
(घ) सभी निर्मितियां जिनमें 0.1 प्रतिशत से अधिक कोकेन हो;
(vi) "कोका की पत्ती" से अभिप्रेत है -
(क) कोका के पौधे की पत्ती, सिवाय उस पत्ती के जिससे सभी ऐकगोनिन, कोकेन और कोई अन्य ऐकगोनिन एल्केलाइड निकाल लिए गए हैं:
(ख) उनका कोई मिश्रण चाहे वह निष्प्रभावी पदार्थ सहित या उसके बिना किन्तु इसके अन्तर्गत कोई ऐसी निर्मिति नहीं है जिसमें 0.1 प्रतिशत से अनधिक कोकेन है;
(vii) "कोका का पौधा" से ऐरिथ्रोजाइलान वंश की किसी जाति का पौधा अभिप्रेत है;
'[(viiक) स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थ बाबत "वाणिज्यिक मात्रा" से अभिप्रेत है केन्द्र सरकार के द्वारा अधिसूचना द्वारा राजपत्र से उच्चतर कोई विनिर्दिष्ट मात्रा ;
(viiख) "नियंत्रित परिदान" से अभिप्रेत है स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ, नियंत्रित पदार्थों या उनके लिए प्रतिस्थापित पदार्थों के अवैध या संदेहास्पद परेषणों को इस अधिनियम के तहत अपराध कारित करने में अंतर्यस्त व्यक्तियों की शनाख्त करने के विचार से अधिनियम की धारा 50क के अधीन इस निमित्त सशक्त अथवा सम्यक तौर पर प्राधिकृत की जानकारी में या उसके पर्यवेक्षण के अधीन भारत की क्षेत्रीयता से बाहर ले जाने या उससे होकर निकालने या उसमें लाने के लिए अनुज्ञात करने की तकनीक:
(vii) "तत्समान विधि से अभिप्रेत है इस अधिनियम के प्रावधानों के तत्समान कोई विधि;]
(vii) "नियंत्रित पदार्थ" से ऐसा पदार्थ अभिप्रेत है जिसे केन्द्रीय सरकार, स्वापक औषधियों या मनः प्रभावी पदार्थों के उत्पादन या विनिर्माण में उसके संभावित प्रयोग के बारे में या किसी अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन के किसी उपबन्ध के बारे में उपलब्ध जानकारी को ध्यान में रखते हुए राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियंत्रित पदार्थ घोषित करें]
(viii) "प्रवण' से किसी भी प्रकार का कोई प्रवहण और इसके अंतर्गत कोई वायुयान या यान, जलयान,
2 [(viii) स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थ बाबत "अवैध व्यापार" से अभिप्रेत है-
(i) किसी कोका पौधे की खेती करना या कोका के पौधे के किसी भाग का संग्रह करना;
(ii) अफीम पोस्त या किसी कैनेबिस के पौधे की खेती करना;
(iii) स्वापक औषधि या मनः प्रभावी पदार्थ के उत्पादन, विनिर्माण, आधिपत्य, विक्रय, क्रय, परिवहन, भंडारण, छिपाने, उपयोग या उपभोग करने, अंतरराज्यिक आयात करने, अंतरराज्यिक निर्यात करने, भारत में आयात करने, भारत से निर्यात करने या यानांतरण में नियोजित होना;
(iv) उपखंड (i) से उपखंड (iii) में निर्दिष्ट के अलावा स्वापक औषधि या मनःप्रभावी पदार्थ की किसी गतिविधि के संबंध में व्यवहृत करना, या (v) उपखण्ड (i) से उपखंड (iv) तक में निर्दिष्ट क्रियाकलापों में से किसी को किए जाने के लिए के लिए किसी स्थल को हैंडलिंग करना या भाड़े पर देना, सिवाए उनके जिनको कि इस अधिनियम या किसी निर्मित नियम या आदेश, या किसी अनुज्ञप्ति की किसी शर्त निबंधन या जारी प्राधिकार के अधीन अनुज्ञात किया गया है और इसके तहत शामिल हैं-
(1) ऊपर वर्णित किसी गतिविधि प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः वित्तपोषण करना;
(2) ऊपर वर्णित किसी गतिविधि को करने की अग्रसरता में या समर्थन में दुष्प्रेरण करना या षड़यंत्र करना और
(3) ऊपर वर्णित किसी गतिविधि को करने में लगे व्यक्तियों को संश्रय देना, ]
(ix) "अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन" से अभिप्रेत है-
(क) स्वापक औषधि एकल कन्वेंशन, 1961, जो संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा मार्च, 1961 में न्यूयार्क में अंगीकार किया गया था,
(ख) उपखंड (क) में वर्णित कन्वेंशन का संशोधन करने वाला प्रोटोकाल, जो संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा मार्च, 1972 में जेनेवा में अंगीगार किया गया था, राष्ट्र सम्मेलन द्वारा
(ग) मनःप्रभावी पदार्थ कन्वेंशन, 1971, जो संयुक्त फरवरी, 1971 में वियना में अंगीगार किया गया था और
(घ) स्वापक औषधियों या मनःप्रभावी पदार्थ से संबंधित किसी अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन का संशोधन करने वाला कोई अन्य अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन या प्रोटोकाल या अन्य लिखत जिसका इस अधिनियम के प्रारंभ के पश्चात् भारत द्वारा अनुसमर्थन या अंगीगार किया जाए;
(x) स्वापक औषधियों या मनःप्रभावी पदार्थों के संबंध में "विनिर्माण" के अन्तर्गत निम्नलिखित हैं-
(1) उत्पादन से भिन्न ऐसी सभी प्रक्रियाएँ जिनके द्वारा ऐसी औषधियाँ या पदार्थ प्राप्त किए जाएँ.
(2) ऐसी औषधियों या पदार्थों का परिष्करण,
(3) ऐसी औषधियों या पदार्थों का रुपान्तरण, और
(4) ऐसी औषधियों पदार्थों के साथ या उनको अंतर्विष्ट करने वाली निर्मितियों का ( नुस्खे के आधार पर किसी फार्मेसी में से अन्यत्र) बनाया जाना,
(xi) "विनिर्मित औषधि'' से अभिप्रेत है -
(क) कोका के सभी व्युत्पाद, औषधि कैनेबिस, अफीम के व्युत्पाद और पोस्त तृण सांद्र,
(ख) ऐसा कोई अन्य स्वापक पदार्थ या निर्मिति, जिसको केन्द्रीय सरकार, उसकी प्रकृति के बारे में उपलब्ध जानकारी को या किसी अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन के अधीन किसी विनिश्चय को यदि कोई हो, ध्यान में रखते हुए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विनिर्मित औषधि घोषित करें, किन्तु इसके अंतर्गत ऐसा कोई स्वापक पदार्थ या निर्मित नहीं है जिससे केन्द्रीय सरकार, उसकी प्रकृति के बारे में उपलब्ध जानकारी को या किसी अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन के अधीन उसकी प्रकृति के या किसी विनिश्चय के बारे में उपलब्ध जानकारी को ध्यान में रखते हुए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा विनिर्मित औषधि न घोषित करे।
(xii) "औषधीय कैनेबिस" अर्थात् औषधीय हैम्प से कैनेबिस (हैम्प) का कोई सार या टिंक्चर अभिप्रेत है;
(xiii) "स्वापक आयुक्त" से धारा 5 के अधीन नियुक्त स्वापक आयुक्त अभिप्रेत है;
(xiv) "स्वापक औषधि" से कोका की पत्ती, कैनेबिस (हॅम्प), अफीम, पोस्त तृण अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत सभी विनिर्मित औषधियां है,
(xv) "अफीम" से अभिप्रेत है, -
(क) अफीम पोस्त का स्कंदित रस, और
(ख) अफीम पोस्त के स्कंदित रस का कोई मिश्रण चाहे वह निष्प्रभावी पदार्थ सहित या उसके बिना हो, किन्तु इसके अंतर्गत ऐसी कोई निर्मिति नहीं है जिसमें 0.2 प्रतिशत से अनधिक मार्फीन हो,
(xvi) "अफीम के व्युत्पाद" से अभिप्रेत है,-
(क) औषधीय अफीम अर्थात् ऐसी अफीम जिसका भारतीय भेषजकोष या केन्द्रीय सरकार द्वारा इन निमित्त अधिसूचित किसी अन्य भेषजकोष की अपेक्षाओं के अनुसार औषधीय प्रयोग के लिए अनुकूलित करने के लिए आवश्यक प्रसंस्कार कर दिया गया है, चाहे वह चूर्ण के रूप में या कणिका के रूप में या अन्यथा हो अथवा निष्प्रभावी पदार्थों से मिश्रित हो,
(ख) निर्मित अफीन अर्थात् अफीम को धूम्रपान के उपयुक्त सार में रुपांतरित करने के लिए परिकल्पित किन्हीं क्रमबद्ध संक्रियाओं द्वारा अभिप्राप्त अमीन का कोई उत्पाद और अफीम का धूम्रपान करने के पश्चात् बचा हुआ कोई मंडूर या अन्य अवशेष,
(ग) फिर्मेशन एल्केलाइड, अर्थात् मार्फीन, कोडीन, थिवेन और उनके लवण,
(घ) डायऐसीटल मार्फीन अर्थात् ऐल्केलाइड जिसे डाई मासन या होइन कहा जाता है और उसका लवण और
(ङ) सभी निर्मितियां, जिनमें 0.2 प्रतिशत से अधिक मार्फन या डाइऐसीटल मार्फीन हो (xvii) "अफीम पोस्त" से अभिप्रेत है.
(क) पैपेयर सोम्नीफेरम एल. जातियों का पौधा और
(ख) पैपेयर की किसी अन्य जाति का पौधा जिससे अफीम या निधन एल्केलाइड निकाला जा सकता है और जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए अफीन पोस्त घोषित करें,
(xviii) " पोस्त तृण" से फसल कटाई के पश्चात् अफीम पोस्त के बीजों के सिवाय सभी भाग अभिप्रेत है चाहे वे मूल रूप में या कटे हुए, संदलित या चूर्णित हो और चाहे उनमें से रस निकाला गया हो या न निकाला गया हो;
(xix) "पोस्त तृण सांद्र" से अभिप्रेत है उस समय उत्पन्न पदार्थ जब पोस्त तृण का उसके एल्केलाइड के संद्रिण के लिए प्रसंस्कार प्रारंभ कर दिया गया हो,
(xx) स्वापक औषधि या मनःप्रभावी पदार्थ के संबंध में "निर्मिति" से अभिप्रेत है खुराक के रूप में कोई एक या अधिक ऐसी औषधियां या पदार्थ या ऐसी एक या अधिक औषधियां या पदार्थ को अन्तर्दिष्ट करने वाला कोई घोल या मिश्रण चाहे वह किसी भी भौतिक स्थिति में हो,
(xxi) "विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
(xxii) "उत्पादन" से अफीन, पोस्त तृण कोका की पत्तियों या कैनबिस का ऐसे पौधों से, जिनसे वे प्राप्त होते हैं, पृथक किया जाना अभिप्रेत है;
(xxiii) "मनःप्रभावी पदार्थ" से अभिप्रेत है कोई प्राकृतिक या संश्लिष्ट पदार्थ या कोई प्राकृतिक सामग्री अथवा ऐसे पदार्थ या सामग्री का कोई लवण जो अनुसूची में विनिर्दिष्ट मनः प्रभावी पदार्थों की सूची में सम्मिलित निर्मिति,
[(xxiiin) स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थ के संबंध में "अल्प मात्रा" से अभिप्रेत है ऐसी कोई मात्रा जो राजपत्र में केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट मात्रा से कम हो ]
(xxiv) "अंतरराज्यिक आयात" से भारत के किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र में भारत के किसी दूसरे राज्य या संघ राज्यक्षेत्र से लाना अभिप्रेत है;
(XXV ) "भारत में आयात" से उसके व्याकरणिक रुप भेदों और सजातीय पदों सहित, भारत के बाहर के किसी स्थान से भारत में लाना अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत भारत में किसी पत्तन या विमान पत्तन या स्थान में ऐसी कोई स्वापक औषधि या मनःप्रभावी पदार्थ लाना है, जिसे ऐसे किसी जलयान, वायुयान, यान या किसी अन्य प्रवहण से, जिसमें उसका वहन किया जा रहा है, हटाए बिना भारत के बाहर ले जाने का आशय हैं।
स्पष्टीकरण इस खंड और खंड (xxvi) के प्रयोजनों के लिए "भारत" के अंतर्गत भारत के राज्यक्षेत्रीय सागरखंड है,
(xxvi) "भारत से निर्यात" से उसके व्याकरणिक रूप भेदों और सजातीय पदों सहित, भारत के बाहर किसी स्थान तक भारत से बाहर में ले जाना अभिप्रेत हैं,
(xxvii) "अंतरराज्यिक निर्यात" से भारत के किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र से भारत के किसी दूसरे राज्य या संघ राज्यक्षेत्र में ले जाना अभिप्रेत हैं
(xxviii) "परिवहन " से उसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र में एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना अभिप्रेत है;
(xxviiin) स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थों के संबंध में, "उपयोग" से व्यक्तिगत उपयोग को छोड़कर किसी भी प्रकार का उपयोग अभिप्रेत हैं.
(xxix) उन शब्दों और पदों के, जो इसमें प्रयुक्त है और परिभाषित नहीं हैं, किन्तु दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) में परिभाषित है, वही अर्थ होंगे जो उस संहिता में है।
स्पष्टीकरण- खंड (v), खंड (vi), खंड (xv) और खंड (xvi) के प्रयोजनों के लिए द्रव निर्मितियों की दशा में प्रतिशतता का परिकलन इस आधार पर किया जाएगा कि उस निर्मिति से जिसमें पदार्थ का एक प्रतिशत है ऐसी निर्मिति अभिप्रेत है जिसमें उस पदार्थ का, यदि वह ठोस है तो, एक ग्राम या उस पदार्थ का, यदि वह द्रव है तो एक मिलीलीटर, उस निर्मिति के प्रत्येक एक सौ मिलीलीटर में अंतर्विष्ट है और यही अनुपात किसी अधिक या कम प्रतिशतता के लिए होगा:
परन्तु केन्द्रीय सरकार, द्रव निर्मितियों में प्रतिशतताओं की संगणना की पद्धतियों के क्षेत्र में हुए विकासों को ध्यान में रखते हुए, नियमों द्वारा ऐसे कोई अन्य आधार विहित कर सकेगी जो वह ऐसी संगणना के लिए समुचित समझे।
यह परिभाषा लगभग लगभग सभी बातों को स्पष्ट कर देती है। इसका अध्ययन करने के बाद सबसे पहला प्रश्न यह होता है कि जिन चीज़ों नशीली मानकर प्रतिबंधित किया है अनंतः वह क्या है?
इसका जवाब धारा 2 की उपधारा 14 में मिलता है जिसके अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि-
1 कोका की पत्ती
2 कैनाबिस
3 अफीम
4 पोस्ट तृण
5 विनिर्मित औषधियां
यह अधिनियम अधिकतर इन पांचों चीज़ों के आसपास ही है। इनसे ही बाकी के नशीले पदार्थ तैयार किये जाते हैं जिन्हें सरकार धारा 3 के अनुपालन में समय समय पर अनुसूचित कर प्रतिबंधित करती रहती है।
अधिनियम की धारा 2 (i) में 'व्यसनी' की परिभाषा को स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ (संशोधन) अधिनियम, 2001 (2001 का 9) के द्वारा संशोधन किया गया है। यह दिनांक 2.10.2001 से प्रभावी है। इसके अलावा स्वापक औषधि एवं मनः प्रभावी पदार्थ (संशोधन) अधिनियम, 1989 (1989 का 2) द्वारा अधिनियम की धारा 2 (vii-क) को धारा 2 (vii-घ) के रुप में पुनर्क्रमांकित किया गया है और नवीन प्रावधान 2 (vii-क) 2 (vii-ख) एवं 2 (vii-ग) के रुप में अंतःस्थापित किए गए हैं। यह संशोधन 29.5, 1989 से प्रभावी किए गए।
भांग
भांग को भी कैनाबिस के पौधे से ही प्राप्त किया जाता है लेकिन उसे इस अधिनियम के अंतर्गत नहीं माना गया है। भाँग हैम्प (Hemp) को अधिनियम की धारा 2 (iii) के अधीन यथा परिभाषित केनेबिस हेम्प की परिभाषा के अधीन होना नहीं माना गया। परिणामतः भाँग का आधिपत्य अधिनियम के अधीन दंडनीय अपराध का गठन नहीं करता है।
सामिद बनाम स्टेट ऑफ यू.पी 1995 के मामले में अभियुक्त की अधिनियम की धारा 20 (ख) के तहत की गई दोषसिद्धि अपास्त की गई।
प्रकरण में निम्न न्याय दृष्टांतों को संदर्भित किया गया-
(1) रीसेंट क्रिमिनल रिपोर्ट्स (क्रिमिनल) 449:1995 इलाहाबाद तो जर्नल 1108 मांजी बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान, 1996
(2) रीसेंट क्रिमिनल रिपोर्ट्स (क्रिमिनल) 258:1996 क्रिलॉज 3787
गुरुदयालसिंह बनाम स्टेट ऑफ पंजाब, 2002 (3) रीसेंट ब्रिमिनल रिपोर्ट्स (क्रिमिनल) 334
अर्जुन सिंह बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा, 2005 (1) मिलों 253 पंजाब- हरियाणा)
अर्जुन सिंह बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा, 2005 (1) क्रिलॉज 253 पंजाब-हरियाणा मामले में विचारणीय प्रश्न यह था कि क्या भाँग को एनडीपीएस एक्ट के तहत आच्छादित होना समझा जाना चाहिए। इस संबंध में राजस्थान हाई कोर्ट के न्याय दृष्टांत मांजी बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान, 1996 (2) रीसेंट क्रिमिनल रिपोर्ट (क्रिमिनल) 258:1996 किलॉज 3787 राजस्थान पर विचार किया गया। इस न्याय दृष्टात् में राजस्थान हाई कोर्ट ने विस्तृत तौर पर अधिनियम के अधीन दी गई विभिन्न परिभाषाओं का विश्लेषण किया था और यह निष्कर्ष निकाला था कि अधिनियम की धारा 2 (iii) में यथा परिभाषित कैनेविस (हैम्प) की परिभाषा के अधीन भाँग नहीं आती है।
न्याय दृष्टांत् सामिद बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. 1995 (3) रीसेंट क्रिमिनल रिपोट्र्स (क्रिमिनल) 449:1995 इलाहाबाद लॉ जर्नल 1108 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नारकोटिक्स औषधि को व्यवहुत करने वाले अधिकारीगण को आहूत किया था और इस बाबत स्पष्टीकरण चाहा था कि क्या भाँग नारकोटिक्स अथवा मनः प्रभावी पदार्थ औषधि है अथवा नहीं एवं इसका आधिपत्य अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय है अथवा नहीं। इस बाबत असिस्टेंट डायरेक्टर नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो ने उत्तर दिया था।
यह उत्तर पत्र के रूप में था। यह उत्तर असिस्टेंट डायरेक्टर नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो वाराणसी का था इसे न्यायालय के समक्ष रखा गया था। इसमें स्पष्ट तौर पर यह बताया गया था कि जहाँ तक अधिनियम के अंतर्गत भाँग को शामिल किए जाने का प्रश्न है अधिनियम स्वयं में यह समीचीन है कि अधिनियम के अंतर्गत भाँग आच्छादित नहीं होती है।
अधिनियम की धारा 8 मात्र गाँजा के संबंध में कतिपय क्रियाकलाप एवं प्रतिषेधात्मक संव्यवहार दर्शाती है न कि भांग के संबंध में कथित पत्र को विचार करने के उपरांत एवं अधिनियम की धारा 2 (iii) के अधीन कैनेबिस (हैम्प) एवं धारा 2 (4) में कैनेबिस पौधे की दी गई परिभाषा पर विचार करने के उपरांत न्यायालय ने यह निष्कर्ष दिया था कि भाँग अधिनियम के अंतर्गत आच्छादित नहीं होती है अतः किसी भी व्यक्ति को अधिनियम के अधीन इसके आधिपत्य के लिए दंडित नही किया जा सकता है। हालांकि अभिनिर्धारित किया गया था कि एक्साइज एक्ट के तहत भाँग का आधिपत्य दंडनीय माना गया है।
गाँजा
राजू बनाम स्टेट, 2008 क्रिलॉज 1131 बंबई के मामले में धारा 2 (iii) गांजा की परिभाषा में फ्लोरिंग टाप्त (flowering tops) शामिल होना माना गया परन्तु इसके तहत हरी पत्तियों को अपवर्जित होना माना गया जबकि यह फ्लोरिंग टाप्स (flowering tops) अथवा कैनबिस प्लांट (cannabis plant) के फ्लोरिंग टॉप्स (flowering tops) के साथ हों जब पत्तियाँ व बीज फ्लोरिंग टाप्स (flowering tops) के साथ होती है तो यह कहा जाएगा कि जब्त स्टाक गांजा था।
अभियोजन के द्वारा परीक्षित साक्षीगण ने यह बताया था कि अभियुक्त के आधिपत्य से गाँजा अंतर्निहित होने वाले 3 बैग बरामद हुए थे इनको तौला गया था। इनका वजन 18 किलोग्राम था नमूने को प्राप्त किया गया था और परीक्षण हेतु फोरेसिक साइंस लेबोट्री भेजा गया था। परीक्षण के उपरांत यह रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी कि यह गाँजा था।
अधिनियम की धारा 2 (iii) (ख) 'गाँजा' को परिभाषित करती है। अधिनियम की धारा 2 (xiv) स्वापक औषधि को परिभाषित करती है। स्पष्ट तौर पर अभियुक्त से जब्त गाँजा न तो स्वापक औषधि थी और न ही मनः प्रभावी पदार्थ था। अधिनियम की धारा 20 केनेबिस पौधे एवं केनेबिस के संबंध में दंड को प्रावधानित करती है।
अधिनियम की धारा 20 की उपधारा (8) अल्प मात्रा से अधिक परंतु आर्थिक मात्रा से कम मात्रा का आधिपत्य पाए जाने पर ऐसे सश्रम निरोध को प्रावधानित करती है जो 10 वर्ष तक विस्तारित हो सकता है एवं ऐसे जुमनि को प्रावधानित करती है जो 1,00,000 रुपए तक विस्तारित हो सकता है। केन्द्रीय सरकार ने स्वापक औषधि अथवा मनःप्रभावी पदार्थ की अल्प मात्रा, व्यवसायिक मात्रा को एसओ 1055 (E) दिनांकित 19.10.2001 में गाँजा को मद क्रमांक 55 में वर्णित किया है। अल्प मात्रा 1000 ग्राम निर्दिष्ट की गई है। व्यवसायिक मात्रा को 20 किलोग्राम विनिर्दिष्ट किया गया है।
साक्ष्य में यह तथ्य आया है कि अभियुक्त के आधिपत्य से जब्त वस्तु का वजन किया गया था। यह 18 किलोग्राम था अर्थात् वह व्यवसायिक मात्रा से कम मात्रा थी परंतु अल्प मात्रा से अधिक मात्रा थी। अभियुक्त को विचारण न्यायालय ने अधिनियम की धारा 20 (ख) के तहत दोषसिद्ध किया था और उस पर 15 वर्ष का सश्रम निरोध व 1,00,000 रुपया जुर्माना अधिरोपित किया था।
इस दंडादेश को अधिनियम की धारा 20(ख) के अधीन दंडादेश के प्रतिकूल होना माना गया। इसका कारण यह बताया गया कि अभियुक्त के आधिपत्य से जब्त मात्रा व्यवसायिक मात्रा से कम थी। समान तौर पर अभियुक्त को अधिनियम की धारा 22 के तहत दोषसिद्ध किया गया था जो कि मनः प्रभावी पदार्थ के संबंध में दंडादेश को व्यवहृत करती है। न्यायालय ने व्यक्त किया कि अभियुक्त के आधिपत्य से जब्त वस्तु गाँजा थी।
यह अधिनियम की धारा 2 (xxiii) के तहत मनः प्रभावी पदार्थ के अधीन नहीं आती थी। अधिनियम की धारा 22 मनः प्रभावी पदार्थ के संबंध में उल्लंघन होने पर दंड का प्रावधान करती है। इस प्रकार उपरोक्त धारा में अभियुक्त की की गई दोषसिद्धि दोषपूर्ण मानी गई। परिणामतः उपरोक्त वर्णित कारणों के आधार पर अभियुक्त की अधिनियम की धारा 20 (ख) एवं धारा 22 के तहत की गई दोषसिद्धि अपास्त कर दी गई।