SARFAESI ACT | सुरक्षित लेनदार को सुरक्षित संपत्तियों पर कब्जा लेने में सहायता करना जिला मजिस्ट्रेट का कर्तव्य: झारखंड हाईकोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (SARFAESI ACT) के तहत सुरक्षित लेनदारों को सुरक्षित संपत्तियों पर कब्जा लेने में सहायता करना जिला मजिस्ट्रेट का कर्तव्य है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जिला मजिस्ट्रेट इस अधिनियम के तहत न्याय निर्णय प्राधिकारी नहीं है।
जस्टिस आनंद सेन ने कहा,
"सुरक्षित लेनदार को सुरक्षित संपत्तियों पर कब्जा लेने में सहायता करना जिला मजिस्ट्रेट का कर्तव्य है। समय सीमा 30 दिन बताई गई है। जिला मजिस्ट्रेट के कहने पर किसी भी तरह की देरी इस अधिनियम के प्रावधान को विफल कर देगी। इसके अलावा, जिला मजिस्ट्रेट उक्त अधिनियम के तहत न्याय निर्णय प्राधिकारी नहीं है। उसका कर्तव्य केवल सुरक्षित लेनदार को संपत्ति पर कब्जा लेने में सहायता करना है, यानी सहायता देना है ताकि कब्जा शांतिपूर्वक लिया जा सके और अगर कोई बाधा डालता है तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।"
उक्त मामला तब उठा जब याचिकाकर्ता ने एक्ट की धारा 14 के तहत आवेदन दायर किया, जो 8 जुलाई, 2022 से डिप्टी कमिश्नर/जिला मजिस्ट्रेट के पास लंबित है। अदालत ने कहा कि आवेदन में देरी करके जिला मजिस्ट्रेट कानून की मंशा को विफल कर रहे हैं।
अदालत ने कहा,
"इस आवेदन के निपटारे में देरी करके जिला मजिस्ट्रेट कानून की मंशा को विफल कर रहे हैं, जो नहीं होना चाहिए।"
इस प्रकार, उपरोक्त विचारों के आधार पर अदालत ने डिप्टी कमिश्नर/जिला मजिस्ट्रेट, पूर्वी सिंहभूम को निर्देश दिया कि वे दो सप्ताह के भीतर उचित कदम उठाएं और प्रतिभूतिकरण और वित्तीय परिसंपत्तियों के पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 की धारा 14 के अनुसार याचिकाकर्ता के आवेदन का निपटारा करें।
तदनुसार, रिट याचिका का निपटारा किया गया।
केस टाइटल: टाटा कैपिटल हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड बनाम झारखंड राज्य