संविधान के अनुच्छेद 300-ए के तहत पेंशन कर्मचारी का संवैधानिक अधिकारः झारखंड हाईकोर्ट

Update: 2024-04-16 10:09 GMT

झारखंड हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने हाल ही में बिरसा एग्र‌िकल्चर यूनिवर्सिटी बनाम झारखंड राज्य के मामले में एक लेटर्स पेटेंट अपील पर दिए निर्णय में माना‌ कि किसी कर्मचारी को पेंशन लाभ से वंचित करना, उसे संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत पेंशन के रूप में संवैधानिक अधिकार से वंचित करना है।

कार्यवाहक चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने कहा कर्मचारी पेंशन अपनी सराहनीय सेवाओं के कारण अर्जित करता है। निर्णय में अदालत ने कहा कि प्रतिवादी ने लगभग तीन दशकों तक यूनिवर्सिटी में काम किया है, इसलिए पेंशन लाभ के लिए उनकी पिछली सेवाओं पर विचार किया जाना चाहिए।

अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता ने भी उम्र में छूट देकर प्रतिवादी की पिछली सेवाओं को मान्यता दी है। इसलिए, प्रतिवादी पेंशन के लिए अपनी पिछली सेवाओं को गिनने के हकदार थे। अदालत ने देवकीनंदन प्रसाद बनाम बिहार राज्य के मामले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेंशन कोई इनाम या दान नहीं है, यह कर्मचारी द्वारा पिछली सरहानीय सेवाओं के कारण अर्जित की जाती है।

अदालत ने माना कि रिट अदालत के आदेश को चुनौती देकर, अपीलकर्ता संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत उत्तरदाताओं के संवैधानिक अधिकार को लूटने की कोशिश कर रहा है। उपरोक्त टिप्पणियों के साथ, लेटर्स पेटेंट अपीलें खारिज कर दी गईं।

केस नंबर: L.P.A. No. 430 of 2023; L.P.A. No. 459 of 2023 and L.P.A. No. 460 of 2023

केस टाइटलः बिरसा एग्र‌िकल्चरल यूनिवर्सिटी बनाम झारखंड राज्य

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