हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने चार साल के बच्चे की हत्या के मामले में दोषियों की मृत्युदंड की सजा कम की
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 2014 के युग गुप्ता हत्याकांड में चंदर शर्मा (26) और विक्रांत बख्शी (22) को सुनाई गई मृत्युदंड की सजा कम करते हुए निर्देश दिया कि वे "अपनी अंतिम सांस तक" आजीवन कारावास की सजा काटेंगे।
अदालत ने कहा,
"...हमारे लिए इस धारणा पर आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है कि दोषी ने युग के साथ क्रूरता से व्यवहार किया, जिससे मृत्युदंड की कठोर सजा देना उचित हो... यह दलील कि आरोपी ने बच्चे को जिंदा टैंक में फेंक दिया था, रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्यों से समर्थित नहीं है।"
अदालत ने सह-अभियुक्त तेजिंदर पाल सिंह (29) को सभी आरोपों से बरी कर दिया और कहा कि तेजिंदर पाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 364ए और 347 के तहत फिरौती के लिए अपहरण का अपराध संदेह से परे साबित नहीं हुआ।
जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस राकेश कैंथला की खंडपीठ ने कहा:
"रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्य यह नहीं दर्शाते कि अभियुक्तों में सुधार नहीं किया जा सकता, इसलिए हम इस अपराध के प्रति अपने आक्रोश के बावजूद, ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मृत्युदंड की पुष्टि नहीं कर सकते। इसे घटाकर आजीवन कारावास किया जाता है, जिसका अर्थ है कि दोषियों को अपनी अंतिम सांस तक प्राकृतिक जीवन जीना होगा।"
मामले की पृष्ठभूमि:
2014 में चार वर्षीय युग गुप्ता शिमला स्थित अपने घर के बाहर से लापता हो गया था। कुछ दिनों बाद उसके माता-पिता को फिरौती की मांग वाले पत्र मिलने लगे।
जांच के अनुसार, युग गुप्ता का पड़ोसी अभियुक्त चंदर शर्मा उसे चॉकलेट का लालच देकर सह-अभियुक्तों में से एक तेजिंदर पाल की गाड़ी में एक किराए के मकान में ले गया। अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि युग को प्रताड़ित किया गया, उसे शराब पिलाने के लिए मजबूर किया गया और अंततः कुछ दिनों बाद उसे नगर निगम के एक पानी के टैंक में फेंक दिया गया।
दो साल बाद अगस्त, 2016 में शिमला नगर निगम की पानी की टंकी से उनके कंकाल बरामद हुए। इस मामले में लोगों में भारी आक्रोश फैल गया और मोमबत्ती जुलूस और विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें त्वरित न्याय की मांग की गई।
2018 में सेशन कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया और इस अपराध को "दुर्लभतम" करार देते हुए IPC की धारा 302 (हत्या) और 364ए (फिरौती के लिए अपहरण) के तहत उन्हें मौत की सजा सुनाई।
इसके बाद सेशन कोर्ट ने पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में मृत्युदंड का मामला भेजा। साथ ही तीनों आरोपियों ने अपनी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देते हुए आपराधिक अपील दायर की।
Case Name: State of H.P. v/s Chander Sharma & Others.