संभागीय आयुक्त के पास पहले से तय अपील की समीक्षा करने का अधिकार नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2025-09-02 11:21 GMT

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि संभागीय आयुक्त को किसी अपील पर अंतिम निर्णय हो जाने के बाद उसे पुनः खोलने और उस पर पुनर्विचार करने का कोई अधिकार नहीं है।

जस्टिस अजय मोहन गोयल ने टिप्पणी की, 

"संभागीय आयुक्त को अपनी अर्ध-न्यायिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए पहले से तय की गई किसी अपील को स्वतः संज्ञान लेकर पुनः शुरू करने का कोई अधिकार नहीं है।"

हिमाचल प्रदेश पंचायती राज (चुनाव) नियम, 1994 के तहत निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन संबंधी अधिसूचना से व्यथित याचिकाकर्ता ने संभागीय आयुक्त, शिमला के समक्ष अपील दायर की। आयुक्त ने अपील स्वीकार कर ली और मामले को नए सिरे से निर्णय के लिए शिमला के उपायुक्त को वापस भेज दिया।

हालांकि, संभागीय आयुक्त ने बाद में उसी अपील पर फिर से विचार किया और रिमांड के पहले के आदेश को रद्द किए बिना उस पर निर्णय दिया।

न्यायालय ने कहा कि एक बार जब संभागीय आयुक्त ने मामले को वापस भेज दिया, तो उसके पास उसी अपील को फिर से खोलने और उस पर पुनर्विचार करने का कोई अधिकार नहीं है। जब तक किसी उच्च अधिकारी द्वारा आदेश की समीक्षा या उसे रद्द नहीं कर दिया जाता, आयुक्त के पास उसी अपील को फिर से शुरू करने और उस पर निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है।

न्यायालय ने आगे टिप्पणी की कि जब संभागीय आयुक्त ने पहले ही अपील का निपटारा कर दिया था, तो उसे उच्च अधिकारी के किसी आदेश के बिना स्वतः संज्ञान लेकर अपील को पुनर्जीवित करने का कोई अधिकार नहीं है।

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