अनुमत समय के भीतर आवास परियोजना की सक्रिय प्रगति, किरायेदारी एवं भूमि सुधार अधिनियम के तहत पर्याप्त अनुपालन: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि जब हिमाचल प्रदेश किरायेदारी एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 118 के तहत अनुमति दी जाती है तो कानून केवल निर्धारित समय के भीतर इच्छित उद्देश्य के लिए भूमि का उपयोग करने की अपेक्षा करता है, न कि पूरी परियोजना को पूरा करने की।
अदालत ने टिप्पणी की,
"विधानमंडल ने जानबूझकर "परियोजना पूरी करें" के बजाय "उपयोग में लाना" वाक्यांश का प्रयोग किया, जो दर्शाता है कि अनुमत समय के भीतर सक्रिय प्रगति पर्याप्त अनुपालन है।"
राज्य के तर्क को खारिज करते हुए जस्टिस अजय मोहन गोयल ने टिप्पणी की:
"'भूमि का उस उपयोग के लिए उपयोग किया जाएगा, जिसके लिए अनुमति दी गई' शब्दों की व्याख्या उस संकीर्ण दृष्टि से नहीं की जानी चाहिए जैसा कि प्रतिवादी चाहते हैं कि अदालत उन्हें पढ़े। कानून में यह आवश्यक है कि भूमि का उपयोग उस उद्देश्य के लिए किया जाए, जिसके लिए अनुमति दी गई है।"
याचिकाकर्ता मेसर्स स्प्रिंगडेल रिसॉर्ट्स एंड विलाज़ प्राइवेट लिमिटेड, सोलन ज़िले में एकीकृत आवास परियोजना विकसित करना चाहता है, जिसके लिए नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने उसे प्रमाणपत्र जारी किया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 118 के तहत अनुमति मांगी।
2021 में कंपनी को नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग से तीन साल के लिए अनुमति मिल गई। हालांकि, फरवरी, 2024 में नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने यह दावा करते हुए संशोधित मानचित्रों पर काम करने से इनकार कर दिया कि धारा 118 की अनुमति 10 दिन बाद समाप्त हो गई।
व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसने भूमि पर निर्माण कार्य पहले ही शुरू किया और कार्य पूरा होने में देरी COVID-19 महामारी और विभागीय स्वीकृतियों में देरी के कारण हुई।
उसने आगे तर्क दिया कि हिमाचल प्रदेश भूमि काश्तकारी अधिनियम की धारा 118 के तहत जब अनुमति दी जाती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि पूरी परियोजना उस अवधि के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।
जवाब में राज्य ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को सेल डीड के रजिस्ट्रेशन से केवल दो वर्ष की अनुमति दी गई, जिसे आगे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और अधिनियम सेल डीड के रजिस्ट्रेशन की तिथि से तीन वर्ष से अधिक विस्तार का प्रावधान नहीं करता है।
अदालत ने कहा कि यह विरोधाभासी है कि धारा 118 के तहत तीन वर्ष की अनुमति देने के 10 दिन बाद प्राधिकरण ने प्रस्तुत किया कि अनुमति समाप्त हो गई।
अदालत ने टिप्पणी की कि नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया, क्योंकि उसका सीमित दायरा संशोधित प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करना था, न कि अनुमति की वैधता के बारे में टिप्पणी करना।
अदालत ने आगे टिप्पणी की कि धारा 118 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गैर-कृषक खरीदी गई भूमि का उपयोग इच्छित उद्देश्य के लिए करें। यह प्रावधान परियोजना के पूरा होने के लिए कोई विशिष्ट समय सीमा निर्धारित नहीं करता है।
इस प्रकार, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता ने भूमि का उपयोग किया और अधिकारियों ने यह घोषित करके गलती की थी कि अनुमति समाप्त हो गई।
Case Name: M/s Springdale Resorts and Villas Pvt. Ltd. v/s State of Himachal and others