बिहार सरकार के जाति सर्वेक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई अप्रैल में
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार राज्य द्वारा किए गए जाति-आधारित सर्वेक्षण की संवैधानिकता के खिलाफ दायर जनहित याचिका (पीआईएल) याचिकाओं अंतिम सुनवाई अप्रैल में निर्धारित की।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने सोमवार, पांच फरवरी को बिहार सरकार के फैसले को बरकरार रखने के पिछले साल 2 अगस्त को दिए गए पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ गैर-सरकारी संगठनों यूथ फॉर इक्वेलिटी और एक सोच एक प्रयास और अन्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर सुनवाई की।
याचिकाओं में बिहार सरकार द्वारा जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का निर्णय को चुनौती दी गई थी।
उल्लेखनीय है कि मामले में अदालत ने पक्षों को विस्तार से सुनने से पहले जाति सर्वेक्षण डेटा को प्रकाशित करने या उस पर कार्रवाई करने से राज्य को रोकने के लिए स्थगन या यथास्थिति का कोई भी आदेश पारित करने से लगातार इनकार किया है।
हालांकि पिछली सुनवाई में पीठ ने सर्वेक्षण डेटा के ब्यौरे को सार्वजनिक रूप से प्रकट करने में विफलता संबंधित चिंताएं जताई थीं। जस्टिस खन्ना ने कहा, "अगर यह पूरी तरह से उपलब्ध है, तो यह एक अलग मामला है। लोगों को किसी विशेष निष्कर्ष को चुनौती देने की अनुमति देने के लिए डेटा का ब्रेक-अप आम तौर पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।"
कोर्ट ने 16 अप्रैल, 2024 से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध करने के निर्देश के साथ सुनवाई को स्थगित कर दिया।
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह ने स्पष्टीकरण के माध्यम से पूछा, "इसे अंतिम निपटान के लिए सूचीबद्ध किया जा रहा है?" इस सवाल के जवाब में जस्टिस खन्ना ने सहमति में सिर हिलाया।
जब एक अन्य वकील ने उनसे विशेष अनुमति याचिकाओं में से एक में दायर अंतरिम आवेदन पर विचार करने और अनुमति देने का आग्रह किया, तो जज ने कहा, "जब यह आएगा तो हम आपको सुनेंगे। किसी भी चीज की अनुमति नहीं दी जा रही है। हम उस दिन उस पर विचार करेंगे।"
केस डिटेलः एक सोच एक प्रयास बनाम यूनियन ऑफ इंडिया| Special Leave Petition (Civil) No. 16942 of 2023 और अन्य संबंधित मामले