पत्नी भरण-पोषण का उचित दावा करने के लिए पति का वेतन जानने की हकदार: मद्रास हाइकोर्ट
मद्रास हाइकोर्ट ने हाल ही में राज्य सूचना आयोग के आदेश को बरकरार रखा। उक्त आदेश मे नियोक्ता को कर्मचारी की पत्नी द्वारा मांगी गई वेतन जानकारी देने का निर्देश दिया गया।
जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने कहा कि जब पति और पत्नी के बीच वैवाहिक कार्यवाही लंबित हो तो गुजारा भत्ता की मात्रा पति के वेतन पर निर्भर करेगी और पत्नी तभी सही दावा कर सकती है, जब उसे वेतन का सही से पता हो।
अदालत ने कहा,
“जब उनके बीच वैवाहिक कार्यवाही लंबित होती है तो चौथे प्रतिवादी को कुछ बुनियादी विवरणों की आवश्यकता होती है। चौथे प्रतिवादी को देनी भरण-पोषण की मात्रा याचिकाकर्ता द्वारा प्राप्त वेतन पर निर्भर करेगी। जब तक चौथी प्रतिवादी को पता नहीं चलता कि याचिकाकर्ता को कितना वेतन मिला है, वह अपना सही दावा नहीं कर सकती।”
पत्नी ने याचिकाकर्ता पति से भरण-पोषण की मांगी की। उसने अपने नियोक्ता को कुछ बुनियादी सेवा विवरण प्रस्तुत करने के लिए आवेदन किया। हालांकि, पति की आपत्ति के बाद नियोक्ता ने जानकारी देने से इनकार कर दिया। अपीलकर्ता प्राधिकारी ने भी हस्तक्षेप करने से इनकार किया। इसके बाद पत्नी ने राज्य सूचना आयोग से संपर्क किया, जिसने नियोक्ता को जानकारी देने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा कि पत्नी तीसरी पक्ष नहीं है और वैवाहिक कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान वह इस तरह की जानकारी पाने की हकदार है। अदालत ने मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के आदेश पर भी भरोसा किया, जिसमें यह माना गया कि पत्नी यह जानने की हकदार है कि उसके पति को नियोक्ता से कितना वेतन मिल रहा है।
इस प्रकार अदालत ने राज्य सूचना आयोग के आदेश को बरकरार रखा और पति की याचिका खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता के वकील- एस.अबूबकर सिद्दीक।
प्रतिवादी के वकील- के.के.सेंथिल, टी.सीबी चक्रवर्ती, और पी.टी.एस.नरेंद्रवासन।
साइटेशन- लाइवलॉ (मैड) 27 2024
केस टाइटल- वीए आनंद बनाम राज्य सूचना आयोग और अन्य।
केस नंबर: 2020 का W.P.(MD)No.15513।
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