जे जे एक्ट | याचिका में आरोपी की उम्र जल्द से जल्द तय करने के लिए निर्देश देने की मांग, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका, जिसमें किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (जेजे एक्ट ) के अनुसार आरोपी की उम्र जल्द से जल्द निर्धारित करने के लिए पुलिस, जेल अधिकारियों और अदालतों को निर्देश देने की मांग की गई है, पर पंजाब और हरियाणा की सरकारों और चंडीगढ़ प्रशासन से जवाब मांगा है।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस लापीता बनर्जी की खंडपीठ ने यह देखते हुए कि यह मुद्दा "किशोरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना है, यह गंभीर सार्वजनिक महत्व का है" हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ केंद्रशासित क्षेत्र और अन्य प्राधिकरणों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि, "इस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों के कानूनी सेवा प्राधिकरण को भी पार्टियों का संशोधित ज्ञापन दाखिल करके प्रतिवादी के रूप में शामिल किया जाए।"
मामले में एनएलयू, दिल्ली के चौथे वर्ष के कानून के छात्र अक्षय चोपड़ा ने हाईकोर्ट के समक्ष पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ यूटी की पुलिस, जेल अधिकारियों और अदालतों को जेजे एक्ट के अनुसार पहले आरोपी की उम्र निर्धारित करने और फिर कानून के अनुसार आगे बढ़ने का निर्देश देने की मांग की है, ताकि कानून का उल्लंघन करने वाले ऐसे बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जा सके। याचिका में कहा गया है कि जांच एजेंसी गिरफ्तार व्यक्तियों की उपस्थिति वाले संस्थानों से मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र इत्यादि जैसे दस्तावेजी सबूत इकट्ठा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाती है और सीधे आरोपी की कुछ मनमानी उम्र का उल्लेख करती है।
चोपड़ा ने किशोरों के कई मामलों पर प्रकाश डाला है जिनमें जेलों में वर्षों बिताने के बाद उन्हें नाबालिग घोषित कर दिया जाता है। याचिका के अनुसार, कई मामलों में गिरफ्तारी ज्ञापन में आरोपी की उम्र के बारे में कुछ नहीं बताया गया। याचिका में पुलिस अधिकारियों को महिला और बाल विकास विभाग और अन्य बनाम कोर्ट द्वारा अपने स्वयं के प्रस्ताव [डब्ल्यूपी (सी) संख्या 8889 2011] में दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से दोहराए गए सिद्धांतों के अनुसार आयु ज्ञापन तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि आयु ज्ञापन कथित अपराधी और उसके माता-पिता/अभिभावकों/या रिश्तेदारों को भी दिया जाएगा, जिन्हें उसकी गिरफ्तारी के बारे में सूचित किया गया है।
ट्रायल कोर्टों से यह भी निर्देश मांगा गया है कि वे किशोरवय की घोषणा के लिए आवेदन पर तेजी से निर्णय लें, अधिमानतः एक महीने के भीतर और यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त दृष्टिकोण अपनाएं कि जांच एजेंसियों द्वारा 15 दिनों के भीतर आयु सत्यापन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। मामले को आगे विचार के लिए दो अप्रैल तक के लिए टाल दिया गया है।
केस टाइटलः अक्षय चोपड़ा बनाम हरियाणा राज्य और अन्य