दिल्ली हाईकोर्ट ने अमेरिका स्थित गवाह की गवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दर्ज करने की अनुमति दी

Update: 2025-10-29 06:49 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने कारोबारी अभिषेक वर्मा से जुड़े ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट (Official Secrets Act) मामले में अमेरिका स्थित एक गवाह की गवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दर्ज करने की अनुमति दे दी है।

जस्टिस संजयव नरूला ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की यह आशंका कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गुप्त जानकारी लीक हो सकती है, इसे रोकथाम और सुरक्षा उपायों से नियंत्रित किया जा सकता है — पूरी तरह प्रतिबंध लगाकर नहीं।

यह मामला CBI द्वारा 2012 में दर्ज किया गया था, जिसमें Official Secrets Act, 1923 की धारा 3 और IPC की धारा 120B (आपराधिक साजिश) के तहत जांच शुरू हुई थी। यह शिकायत रक्षा मंत्रालय की ओर से आई थी, जब सी. एडमंड्स एलेन द्वारा तत्कालीन रक्षा मंत्री को एक पत्र भेजा गया, जिसमें भारतीय रक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी और दस्तावेज़ शामिल थे।

रक्षा मंत्रालय ने उन दस्तावेजों की जांच के बाद बताया कि वे क्लासिफाइड (गोपनीय) हैं और बिना अनुमति साझा किए गए हैं। इसके बाद FIR दर्ज की गई कि अभिषेक वर्मा और उसके सहयोगी ने दूसरों के साथ मिलकर गोपनीय रक्षा जानकारी अवैध रूप से प्राप्त कर और साझा की।

CBI ने ट्रायल कोर्ट से अनुरोध किया था कि एलेन की गवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दर्ज की जाए, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। बाद में CBI ने हाईकोर्ट में अपील की, यह कहते हुए कि OSA में कहीं भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गवाही दर्ज करने पर रोक नहीं है, खासकर तब जब कार्यवाही “इन-कैमरा” यानी गोपनीय रूप से हो और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया जाए।

CBI ने यह भी कहा कि एलेन का बयान ज़रूरी है ताकि यह साबित किया जा सके कि दस्तावेज़ किन ईमेल या खातों के जरिए प्राप्त हुए।

कोर्ट ने CBI की अपील स्वीकार करते हुए कहा:

“दिल्ली हाईकोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों का नियम 5.3.11 निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए है, ताकि अभियुक्त के अधिकारों की रक्षा हो। यह प्रावधान अभियोजन को सबूत पेश करने से नहीं रोकता।”

कोर्ट ने कहा कि OSA के सख्त प्रावधानों का उद्देश्य सुरक्षा बनाए रखना है, जिसे उचित उपायों से पूरा किया जा सकता है — जैसे कि

• गवाही सरकारी नियंत्रण वाले सुरक्षित स्थान से हो,

• कार्यवाही “इन-कैमरा” में हो,

• मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सीमित हों,

• और दस्तावेज़ों के प्रदर्शन व आवाजाही पर सख्त नियंत्रण हो।

जस्टिस नरूला ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के नियम संवेदनशील जानकारी के अनियंत्रित प्रसार की अनुमति नहीं देते। इसलिए यह गवाही कोर्ट-नियंत्रित, केवल दृश्य मोड (view-only mode) में होगी।

कोर्ट ने अभियुक्त की सहमति लेने की आवश्यकता को इस सीमित उद्देश्य के लिए शिथिल कर दिया और ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि गवाह की गवाही भारतीय वाणिज्य दूतावास, न्यूयॉर्क से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दर्ज की जाए।

कार्यवाही इन-कैमरा (गोपनीय रूप से) की जाएगी, और यह एक सुरक्षित, कोर्ट द्वारा स्वीकृत एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर होगी।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया:

“दूरस्थ स्थान (Remote Point) पर रिकॉर्डिंग, डाउनलोड, सेव, प्रिंट, कॉपी या स्क्रीनशॉट लेने की अनुमति नहीं होगी। अगर इन सुरक्षा उपायों से कोई भी विचलन करना हो, तो ट्रायल कोर्ट की पूर्व अनुमति लेनी होगी और कारण दर्ज करने होंगे।”

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